अर्थव्यवस्था

सरकार ने GST ढांचे में बड़े बदलाव का ड्राफ्ट किया तैयार, सीमेंट व ऑटो सेक्टर को टैक्स कटौती से मिलेगा बूस्ट

प्रस्तावित जीएसटी सुधारों को आम लोगों पर बोझ कम करने की दिशा में कदम के रूप में देखा जा रहा है और ऐसे में राज्यों को भी शुल्क कटौती से फायदा होगा।

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असित रंजन मिश्र   
मोनिका यादव   
Last Updated- August 18, 2025 | 4:35 PM IST

GST Reforms: केंद्र सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के ढांचे में सुधार का प्रस्ताव और साथ ही संसद से हाल ही में पारित आयकर विधेयक देश में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में व्यापक बदलाव लाएंगे। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में आमूल बदलाव है। कर स्लैब में आइटम के अनुसार सभी बदलाव पर विचार करने के लिए कम से कम दो बैठक होगी। मौजूदा ऊर्जा क्षेत्र की अनिश्चितताओं को देखते हुए पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में शामिल करने को फिलहाल टाल दिया गया है। इस पर जीएसटी सुधारों के अगले दौर में विचार किया जा सकता है।’

केंद्र सरकार ने 5 फीसदी और 18 फीसदी स्लैब वाली दो-स्तरीय जीएसटी का प्रस्ताव किया है। हालांकि अहितकर वस्तुओं की श्रेणी में आने वाली कुछ वस्तुओं पर 40 फीसदी कर स्लैब लागू रहेगा। कर की दर को कम करने के साथ ही मुआवजा उपकर को हटाया जाएगा और इनपुट टैक्स क्रेडिट प्रणाली को और सरल बनाया जाएगा। जीएसटी न्यायाधिकरणों को भी सुदृढ़ किया जा रहा है। इन प्रस्तावों की फिलहाल बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की अध्यक्षता वाले मंत्रियों के समूह द्वारा समीक्षा की जा रही है। अगर सभी राज्य इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देते हैं तो जीएसटी में मौजूदा 12 फीसदी और 28 फीसदी की दर समाप्त हो जाएंगी।

11,000 करोड़ रुपये की दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि केंद्र ने अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधारों का मसौदा राज्यों को भेज दिया है और दीवाली से पहले इसे लागू करने के लिए उनका सहयोग मांगा है। मोदी ने कहा, ‘हमारे लिए सुधार का मतलब सुशासन का विस्तार है। आने वाले दिनों में जीवन और व्यापार को आसान बनाने के लिए कई बड़े सुधार पेश किए जाएंगे।’

प्रस्तावित जीएसटी सुधारों को आम लोगों पर बोझ कम करने की दिशा में कदम के रूप में देखा जा रहा है और ऐसे में राज्यों को भी शुल्क कटौती से फायदा होगा। सरकारी सूत्रों का मानना है कि राज्यों से किसी तरह के महत्त्वपूर्ण राजनीतिक विरोध की आशंका नहीं है।

अपने प्रस्तुतीकरण में वित्त मंत्रालय ने सीमेंट और अधिकांश वाहन और वाहन कलपुर्जों पर जीएसटी की दर को 28 फीसदी से घटाकर 18 फीसदी करने का प्रस्ताव किया है। इससे राजस्व का नुकसान होगा मगर खपत मांग को बढ़ावा मिलेगा।

एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘हम लंबे समय से लंबित सीमेंट और वाहन पर दरों को कम करने के लिए जीएसटी के प्रस्तावित नवीनीकरण के अवसर का उपयोग कर रहे हैं। दर घटाने पर मंत्रिसमूह की बैठक 20-21 अगस्त को प्रस्तावित है। हमें उम्मीद है कि मंत्रिसमूह और जीएसटी परिषद इस प्रस्ताव का समर्थन करेगी।’ दिसंबर 2018 में आयोजित जीएसटी परिषद की 31वीं बैठक के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था, ‘सीमेंट पर जीएसटी से लगभग 13,000 करोड़ रुपये और वाहनों के कलपुर्जों से करीब 20,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिला है। इसलिए इन वस्तुओं पर कर 28 फीसदी से घटकार 18 फीसदी किया जाता है तो राजस्व पर तत्काल 33,000 करोड़ रुपये  का प्रभाव पड़ेगा। परिषद ने महसूस किया कि इस समय कटौती नहीं की जा सकती मगर आगे हमारा अगला लक्ष्य यही होगा।’ दर घटाने के निर्णय से संभावित राजस्व हानि के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि कर संग्रह में कुछ हफ्तों के लिए अस्थायी गिरावट आ सकती है। इन बदलावों को अक्टूबर के पहले हफ्ते तक लागू करने की है।

अधिकारी ने कहा कि केंद्र सरकार वित्त वर्ष 2026 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 4.4 फीसदी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य का पालन करेगी, भले ही मौजूदा वित्त वर्ष में राजस्व में मामूली गिरावट आए। विशेषज्ञों के अनुसार सीमेंट पर जीएसटी दर घटाने की मांग लंबे समय से की जा रही है। सीमेंट पर कम कर से निर्माण लागत में कमी आएगी, रियल एस्टेट की क्षमता में सुधार होगा और सरकार के आवास और बुनियादी ढांचा लक्ष्यों को प्रोत्साहन मिलेगा। केपीएमजी में पार्टनर अभिषेक जैन ने कहा, ‘ सीमेंट पर किए गए जीएसटी भुगतान पर इनपुट टैक्स क्रेडिट आम तौर पर उपलब्ध नहीं होता है, इसलिए इसका लाभ न केवल अंतिम ग्राहकों को होगा बल्कि यह औद्योगिक, इन्फ्रा और वाणिज्यिक परियोजनाओं के लिए भी उपलब्ध होगा।’

वर्तमान में छोटी पेट्रोल कारें, सिडैन और एसयूवी पर 28 फीसदी जीएसटी के साथ 1 से 22 फीसदी का मुआवजा उपकर लगता है। इससे छोटी कारों पर प्रभावी कर का बोझ 29 फीसदी और एसयूवी पर लगभग 50 फीसदी हो जाता है। कर में बदलाव के तहत अधिकांश कारों पर दर 18 फीसदी रहने की उम्मीद है। हालांकि लक्जरी कारों पर उच्च कर की दर बरकरार रह सकती है। जिन वाहन कलपुर्जों पर कर की दर कम की जा सकती है उनमें गियरबॉक्स और ट्रांसमिशन कंपोनेंट, ड्राइव एक्सल, सस्पेंशन सिस्टम, रेडिएटर, साइलेंसर, क्लच और संबंधित पार्ट्स शामिल हैं। वर्तमान में इन पर 28 फीसदी की दर से कर वसूला जाता है।

ग्रांट थॉर्नटन भारत एलएलपी के पार्टनर और लीडर, इंडिया इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी कृष्णन अरोड़ा ने कहा, ‘इन पुर्जों का उपयोग व्यापक रूप से यात्री वाहनों, दोपहिया वाहनों, वाणिज्यिक ट्रकों और बसों में किया जाता है। ऐसे में दर में कटौती से विनिर्माण लागत और बिक्री के बाद मरम्मत खर्च कम हो सकते हैं।’ लक्ष्मीकुमारन ऐंड श्रीधरन अटॉर्नीज में कार्यकारी पार्टनर शिवम मेहता के अनुसार दर घटाना अंतिम ग्राहकों को लाभ पहुंचाने का प्रयास है मगर देखना होगा कि इसका कितना लाभ ग्राहकों को मिल पाता है।

First Published : August 17, 2025 | 10:41 PM IST