वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में कहा कि खाद्य तेल सहित अन्य महत्त्वपूर्ण जिंसों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। संसद में दिए गए इस बयान के कुछ घंटे पहले ही सरकार ने कृषि जिंसों के वायदा कारोबार पर कड़ाई बरतने की घोषणा की थी। उसके बाद केंद्र सरकार ने दो प्रमुख जिंसों खाद्य तेल और दलहन की कीमतों पर काबू करने के लिए कई कदमों की घोषणा की।
सरकार ने रिफाइंड पाम तेल पर बुनियादी सीमा शुल्क मार्च 2022 तक के लिए 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया है। साथ ही कारोबारियों को दिसंबर 2022 तक एक और साल के लिए बगैर लाइसेंस के रिफाइंड तेल आयात की अनुमति दी गई है।
रिफाइंड पाम तेल और रिफाइंड पामोलीन पर प्रभावी शुल्क में कटौती (इसमें समाज कल्याण उपकर शामिल है) के बाद कर 19.25 प्रतिशत से घटकर 13.75 प्रतिशत रह गया है। 2020-21 (नवंबर से अक्टूबर) में भारत के कुल 131 लाख टन खाद्य तेल आयात में कच्चे व रिफाइंड पाम ऑयल का आयात 60 प्रतिशत से ज्यादा है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन आफ इंडिया के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने कहा, ‘आयात शुल्क में कमी करने की घोषणा आत्मनिर्भर भारत के हमारे सिद्धांत के प्रतिकूल है और इससे रोजगार सृजन व भारत के भीतर मूल्यवर्धन को नुकसान पहुंच सकता है।’ केवल खाद्य तेल ही नहीं, केंद्र सरकार ने दलहन को लेकर भी कई फैसले किए हैं। सरकार ने मूंग, अरहर और उड़द के मुक्त आयात की अंतिम तिथि 31 मार्च, 2022 तक के लिए बढ़ा दी है। अरहर और उड़द का कार्गो भारत में 30 जून, 2022 के पहले आ जाएगा। मूंग के मुक्त आयात की अंतिम तिथि 31 अक्टूबर, 2021 को, जबकि अरहर व उड़द की अंतिम तिथि 30 दिसंबर, 2021 को खत्म हो रही थी। इंडिया पल्सेज ऐंड ग्रेन एसोसिएशन (आईपीजीए) के वाइस चेयरमैन बिमल कोठारी ने कहा कि उनके अनुमान के मुताबिक करीब 1.5 लाख टन अरहर अगले कुछ महीनों में वर्मा से आ जाएगी और आयात की अंतिम तिथि बढ़ाए जाने से घरेलू बाजार में स्थिरता रहेगी।
