अर्थव्यवस्था

घरेलू बाजार के साथ-साथ निर्यात के लिए भी मसालों में एथिलीन ऑक्साइड पर पैनी नजर, सरकार बना रही योजना

एथिलीन ऑक्साइड ज्वलनशील रंगहीन गैस है जिसका उपयोग आम तौर पर मसालों में सूक्ष्म जीवों को पनपने से रोकने के लिए स्टरलाइजिंग एजेंट एवं कीटनाशक के रूप में किया जाता है।

Published by
श्रेया नंदी   
Last Updated- May 05, 2024 | 10:15 PM IST

सरकार घरेलू बाजार के साथ-साथ निर्यात के लिए मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (एथिलीन ऑक्साइड) के उपयोग के लिए निगरानी बढ़ाने की योजना बना रही है। इस मामले से अवगत लोगों ने बताया कि सरकार इसके लिए फिलहाल दिशानिर्देश तैयार कर रही है।

एथिलीन ऑक्साइड ज्वलनशील रंगहीन गैस है जिसका उपयोग आम तौर पर मसालों में सूक्ष्म जीवों को पनपने से रोकने के लिए कीटाणुनाशक, स्टरलाइजिंग एजेंट एवं कीटनाशक के रूप में किया जाता है। इसका उपयोग निर्धारित सीमा से अधिक मात्रा में किए जाने पर कैंसर होने का खतरा बना रहता है। फिलहाल घरेलू खपत वाले मसालों के लिए एथिलीन ऑक्साइड के उपयोग की अनुमति नहीं है। मगर उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार बेचने के लिए निर्धारित सीमा के दायरे में इसका उपयोग किया जा सकता है। आम तौर पर इसके उपयोग की मात्रा आयातक देशों द्वारा तय की जाती है।

एक व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘भारत एथिलीन ऑक्साइड के उपयोग को कतई बर्दाश्त नहीं करता है और इसकी पहचान दर 0.10 फीसदी है। इसका मतलब यह है कि इसकी मौजूदगी नहीं होनी चाहिए। निर्यात के मामले में भी यही नियम लागू होना चाहिए। उद्योग द्वारा स्टरलाइजिंग एजेंट के रूप में इसका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए। इसी प्रकार फसलों में भी इसका उपयोग नहीं होना चाहिए।

घरेलू बाजार में भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा सख्त निगरानी के जरिये इसे सुनिश्चित किया जाएगा।’ इसके अलावा, वाणिज्य विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के अंतर्गत आने वाला भारतीय मसाला बोर्ड भी अपने स्तर से निगरानी बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा, ‘अगर घरेलू बाजार में एथिलीन ऑक्साइड-मुक्त उत्पादों का कारोबार होता है, तो इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल एथिलीन ऑक्साइड-मुक्त उत्पादों का ही निर्यात किया जाए।’

यह पहल ऐसे समय में की गई है जब भारतीय मसाला कंपनी एवरेस्ट और एमडीएच को कथित तौर पर कीटनाशक एथिलीन ऑक्साइड स्वीकार्य सीमा से अधिक मात्रा में पाए जाने के कारण सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग से अपने खेप वापस मंगाने पड़े थे।

घरेलू बाजार के लिए एफएसएसएआई और अंतरराष्ट्रीय बाजार के लिए भारतीय मसाला बोर्ड जैसी एजेंसियां मानक परिचालन प्रक्रिया तैयार करने के लिए साथ मिलकर काम कर रही हैं। इन दिशानिर्देशों को तैयार करना उद्योग के कायदे-कानून के बारे में जागरूकता बढ़ाने की दिशा में उठाया गया एक प्रमुख कदम होगा। इस कारोबार में कुछ ही बड़ी कंपनियां मौजूद हैं, जबकि 80 फीसदी से अधिक बाजार पर असंगठित क्षेत्र का वर्चस्व है।

मसाला बोर्ड ने 6 मई से सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग को निर्यात किए जाने वाले मसाला खेपों में अनिवार्य तौर पर एथिलीन ऑक्साइड की जांच शुरू करने का निर्णय लिया है। इससे मसाला उत्पादों में एथिलीन ऑक्साइड की मौजूदगी के बारे में चिंताओं को दूर करने में मदद मिलेगी।

इससे पहले एथिलीन ऑक्साइड की जांच केवल यूरोपीय देशों के लिए अनिवार्य थी क्योंकि यूरोपीय संघ ने बाजारों में भेजे जाने वाले उत्पादों के लिए एथिलीन ऑक्साइड की जांच रिपोर्ट को अनिवार्य बनाने पर जोर दिया था।

दिल्ली के थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव ने पिछले सप्ताह कहा था कि भारत को गुणवत्ता के मुद्दों को तत्परता से निपटाने की जरूरत है। भारत का मसाला निर्यात वित्त वर्ष 2023 से 2024 के बीच 4.25 अरब डॉलर का था जो वैश्विक मसाला निर्यात का महज 12 फीसदी हिस्सा है।

First Published : May 5, 2024 | 10:15 PM IST