वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को कहा कि भारत का वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात वित्त वर्ष 23 में 447 अरब डॉलर पहुंच गया है, जो एक साल पहले 442 अरब डॉलर था। हालांकि अभी अंतिम आंकड़ों का इंतजार है।
इस हिसाब से निर्यात में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वाणिज्य विभाग इसके आंकड़े एकत्र करता है, उसे अंतिम रूप देता है और हर महीने में 15 तारीख को जारी करता है।
सेवाओं के निर्यात में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद है। उम्मीद की जा रही है कि वित्त वर्ष-23 में यह 320 अरब डॉलर पार कर जाएगा, जो एक साल पहले 254 अरब डॉलर था।
गोयल ने कहा, ‘अंतिम आंकड़े (वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के) 765 अरब डॉलर के करीब होंगे। मुझे कोई आश्चर्य नहीं होगा अगर यह 772 अरब डॉलर पर पहुंच जाए, जिसका खाका 2030 तक 2 लाख करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य तय करते समय तैयार किया गया था।’
गोयल ने कहा कि अगर आंकड़े 772 अरब डॉलर पर पहुंच जाते हैं तो 2030 के आंकड़े फिर से तय किए जाएंगे।
मंत्री ने इक्रियर की रिपोर्ट ‘एक्सप्रेस डिलिवरी सर्विसेज सपोर्टिंग द जर्नी टुवार्ड्स इंडिया @2047’ जारी करते हुए यह कहा। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को व्यापार को सुविधा देने संबंधी सुधार में तेजी लाने की जरूरत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक्सप्रेस डिलिवरी सर्विस (EDS) उद्योग में एकीकृत डोर-टु-डोर ट्रांसपोर्ट सेवाएं मुहैया कराई जाती हैं, जिसमें दस्तावेज व उत्पाद पहुंचाए जाते हैं। इसकी उद्यमों खासकर छोटे और मझोले उद्योगों (SME) को वैश्विक मूल्य श्रृंखला के साथ जोड़ने में अहम भूमिका है।
भारत का EDS सेक्टर छोटा है, वहीं यह तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है, जिसमें 2020 में 15.5 प्रतिशत सीएजीआर के हिसाब से वृद्धि हुई है और यह 5.5 अरब डॉलर हो गया है।
वृद्धि के प्रमुख चालकों में ई-कॉमर्स, बढ़ता मध्य वर्ग, डिजिटलीकरण को सरकार से मिल रहा समर्थन, जीएसटी लागू किया जाना, पीएम गतिशक्ति के तहत लॉजिस्टिक्स सेक्टर पर विशेष ध्यान, राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति और एमएसएमई को डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर लाने के लिए सरकार का समर्थन शामिल है।