भारत की अध्यक्षता में हो रहे G-20 सम्मेलन में इन देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर (FMCBG) ऋण संकट से जूझ रहे कम और मध्य आय वर्ग के देशों की समस्या और उसके समाधान पर चर्चा करेंगे। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने मंगलवार को यह जानकारी दी है।
बेंगलूरु में G-20 की बैठक के पहले संवाददाताओं से बातचीत में सेठ और मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि G-20 देश जलवायु वित्तपोषण शहरी बुनियादी ढांचे, क्रिप्टो संपत्तियों, बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार व अन्य इस तरह के मसलों पर चर्चा करेंगे और आगे की रूपरेखा पर विचार करेंगे।
हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया कि बैठक के बाद इन जटिल मसलों को लेकर किसी ठोस समझौते पर पहुंचा जा सकेगा।
सेठ ने कहा, ‘कई देश हैं, जो बड़े ऋण संकट से जूझ रहे हैं। हमारा मकसद है कि G-20 इन समस्याओं का ठोस समाधान निकाले। साथ ही हम इस विषय पर भी काम करेंगे कि वैश्विक समुदाय बहुपक्षीय विकास बैंकों के माध्यम से साथआकर कुछ दीर्घावधि चुनौतियों का किस तरह से मुकाबला कर सकता है, जिसका सामना दुनिया को करना पड़ रहा है।’
सेठ ने कहा कि इस तरह की चुनौतियों में टिकाऊ विकास के लक्ष्य (एसडीजी), जलवायु परिवर्तन और नीतियों की वजह से सामने आ रही चुनौतियां शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और जलवायु वित्तपोषण के लिए विभिन्न देशों द्वारा अपनाए जा रहे कदमों पर भी विचार होना है। अन्य क्षेत्रों में शहरों की स्थिति और शहरी बुनियादी ढांचा भी शामिल है, जो विकासशील और विकसित दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए अहम है।
नागेश्वरन ने कहा, ‘हम तमाम देशों में चल रहे कर्ज के संकट को लेकर चिंतित हैं, वहीं इस पर भी विचार कर रहे हैं कि किस तरीके से उन्हें उबारा जा सकता है। इन स्थितियों से निपटने और इस तरह की स्थिति आने के पहले और बाद की स्थिति पर भी चर्चा होगी।’
मुख्य बैठक के अलावा विभिन्न देशों के बीच द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास बैठक की सह अध्यक्षता करेंगे और वे भी जी-20 देशों के अपने समकक्षों के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे।