वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वृद्धि का अनुमान 6.5 से बढ़ाकर 6.9 फीसदी कर दिया है। फिच ने कहा कि इस वृद्धि को घरेलू मांग से बल मिलेगा क्योंकि वास्तविक आय बढ़ने से उपभोक्ता खर्च भी बढ़ रहा है। साथ ही उसने कहा कि वित्तीय शर्तें नरम होने से निवेश को बढ़ावा भी मिलेगा।
फिच ने कहा, ‘वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में सालाना वृद्धि में नरमी आएगी, इसलिए हमें लगता है कि वित्त वर्ष 2027 में वृद्धि कम होकर 6.3 फीसदी रह जाएगी। चूंकि अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता से ऊपर चल रही है, इसलिए हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 2028 में वृद्धि दर और भी घटकर 6.2 फीसदी रह जाएगी।’ फिच को अब भी लगता है कि इस साल दुनिया के जीडीपी में खासी गिरावट दर्ज की जाएगी।
अब 2025 में वैश्विक वृद्धि दर 2.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जो जून के मुकाबले 0.2 प्रतिशत अंक अधिक है मगर पिछले साल की 2.9 फीसदी से काफी कम है तथा रुझान से भी नीचे है। देशों की बात करें तो फिच ने चीन में जीडीपी वृद्धि का अनुमान 4.2 फीसदी से बढ़ाकर 4.7 फीसदी कर दिया है। यूरोजोन का अनुमान 0.8 फीसदी से बढ़ाकर 1.1 फीसदी और अमेरिका की वृद्धि का अनुमान 1.5 से बढ़ाकर 1.6 फीसदी कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने 2026 के लिए वैश्विक वृद्धि दर में भी 0.1 फीसदी का इजाफा कर 2.3 फीसदी का अनुमान जताया है।
फिच मानती है कि भारत पर भारी-भरकम अमेरिकी शुल्क की समस्या बातचीत से हल हो जाएगी। मगर व्यापार संबंधों में अनिश्चितता की धारणा से निवेश कहीं न कहीं प्रभावित होगा। रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि 22 सितंबर से लागू हो रही नई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों से साल के बाकी हिस्से और अगले वित्त वर्ष में उपभोक्ता खर्च में मामूली वृद्धि होनी चाहिए।
फिच ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि मॉनसून में हुई औसत से अधिक बारिश और उच्च खाद्य भंडार के कारण खाद्य कीमतों का दबाव कमजोर रहेगा, जिससे 2025 के अंत तक मुद्रास्फीति सिर्फ 3.2 फीसदी और अगले साल 2026 के अंत तक 4.1 फीसदी ही बढ़ पाएगी। हमें अब भी लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति साल के अंत तक नीतिगत दरों में 25 आधार अंकों कटौती और कर देगी।’