वित्त मंत्रालय 1 अप्रैल से लागू यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) के तहत सरकार के अंशदान के निवेश की स्ट्रैटेजी तय करने से पहले, वैश्विक बेहतरीन प्रथाओं (global best practice) का अध्ययन करेगा और कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के निवेश अनुभव से सबक लेगा।एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, “सरकार अपने अंशदान को कैसे निवेश करेगी, इस पर अभी विचार चल रहा है। इसके लिए कोई न कोई व्यवस्था बनाई जाएगी। एक निवेश समिति भी होगी। इसे अंतिम रूप देने में तीन से चार महीने लग सकते हैं। हम यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि दूसरे देश यह कैसे करते हैं। साथ ही, हम यह भी अध्ययन करेंगे कि EPFO अपने फंड को कैसे निवेश करता है, क्योंकि उसके पास इसका लंबा अनुभव है।”
वर्तमान निवेश पैटर्न के अनुसार, जिसे श्रम मंत्रालय ने अप्रैल 2015 में नोटिफाई किया था, EPFO अपनी नई जमा राशि में से 5% से 15% तक की राशि केवल एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ETF) के जरिए शेयर बाजार में निवेश कर सकता है।
कनाडा पेंशन प्लान (CPP) अपने फंड का 40% से 50% हिस्सा इक्विटी में निवेश करता है, जबकि जापान का गवर्नमेंट पेंशन इन्वेस्टमेंट फंड घरेलू और विदेशी बाजारों सहित लगभग 25% फंड इक्विटी में लगाता है।
UPS को केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य कम से कम 25 साल की सेवा वाले रिटायर्ड कर्मचारियों को गारंटीड पेंशन देना है। यह पेंशन रिटायरमेंट से ठीक पहले के 12 महीनों की औसत मूल वेतन (basic pay) का 50% होगी।
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UPS के तहत सरकार का अंशदान मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 14% से बढ़ाकर 18.5% कर दिया गया है जबकि कर्मचारियों का अंशदान 10% ही बना रहेगा। इस योजना से केंद्र सरकार के 23 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने की संभावना है। वर्तमान और भविष्य के कर्मचारियों को 30 जून तक नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) या UPS में से किसी एक को चुनने का विकल्प मिलेगा। एक बार विकल्प चुनने के बाद उसे बदला नहीं जा सकेगा। UPS के प्रावधान NPS से रिटायर्ड हो चुके कर्मचारियों पर भी लागू होंगे।
सरकार के अनुसार, बकाया राशि के भुगतान पर ₹800 करोड़ का खर्च आएगा। पहले साल में वार्षिक खर्च में लगभग ₹6,250 करोड़ की बढ़ोतरी होगी। अधिकारी ने बताया कि जब तक सरकार अपने अंशदान के निवेश को लेकर कोई फैसला नहीं लेती, तब तक यह राशि डिफॉल्ट निवेश पैटर्न में ही रहेगी, जिसमें इक्विटी और बॉन्ड दोनों शामिल हैं।
सरकारी अधिकारी ने कहा, “मान लीजिए हम तीन महीने बाद यह तय करते हैं कि कुल राशि का 50% हिस्सा इक्विटी में निवेश किया जाए, तो हम उसी अनुसार आवंटन करेंगे।”
NPS के डिफॉल्ट विकल्प के तहत अधिकतम इक्विटी निवेश 50% तक सीमित है, और यह सीमा कर्मचारियों की रिटायरमेंट नजदीक आने पर हर साल धीरे-धीरे घटती जाती है।
मार्च 2023 में नरेंद्र मोदी सरकार ने एक समिति गठित की थी, जिसकी अध्यक्षता पूर्व वित्त सचिव टी वी सोमनाथन कर रहे हैं। इस समिति का उद्देश्य NPS के तहत पेंशन लाभों को बेहतर बनाने के उपाय तलाशना था, लेकिन बिना पुराने गैर-अंशदायी पेंशन सिस्टम (OPS) पर लौटे, जिसे वित्तीय रूप से टिकाऊ नहीं माना गया है।
OPS के तहत पूर्ण पेंशन पाने के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 20 साल निर्धारित थी। वहीं UPS के मामले में इसे बढ़ाकर 25 साल कर दिया गया है। OPS में मासिक गारंटीड पेंशन रिटायरमेंट से ठीक पहले के 10 महीनों की औसत मूल वेतन का 50% होती थी। UPS के मामले में यह अवधि बढ़ाकर 12 महीने कर दी गई है। OPS में कर्मचारी को रिटायरमेंट के साथ ही पेंशन मिलनी शुरू हो जाती है, जबकि UPS में पेंशन प्राप्त करने के लिए कर्मचारी को 60 वर्ष की आयु तक इंतजार करना होगा।