केंद्र सरकार जल्द ही विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) में संशोधन करने जा रही है। इसका मकसद निर्यातकों को रुपये में निर्यात लाभ का दावा करने में सक्षम बनाना है, जो अब तक विदेशी मुद्रा में मिलने वाले निर्यात भुगतान के लिए ही उपलब्ध था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा हाल ही में अंतरराष्ट्रीय व्यापार लेन-देन को रुपये में निपटाने के लिए एक व्यवस्था पेश करने के बाद निर्यातकों ने कहा कि वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को इस मामले पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘केंद्रीय बैंक ने सीमा पार भुगतान रुपये में करने की अनुमति दे दी है, ऐसे में विदेश व्यापार नीति में कुछ बदलाव करने होंगे।’ हालांकि यह साफ नहीं है कि यह बदलाव मौजूदा विदेश व्यापार नीति का हिस्सा होंगे या यह नई नीति में किया जाएगा, जिसे सितंबर में विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा पेश किए जाने की संभावना है।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के उपाध्यक्ष खालिद खान ने कहा, ‘हमारी विदेश व्यापार नीति के मुताबिक रिबेट आफ स्टेट ऐंड सेंट्रल टैक्स ऐंड लेवीज (आरओएससीटीएल) और रेमिशन आफ ड्यूटीज ऐंड टैक्सेज आन एक्सपोर्ट प्रोडक्ट्स (आरओडीटीईपी) जैसी योजनाओं के तहत मिलने वाले निर्यात प्रोत्साहन ईरान के मामले को छोड़कर रुपये में उपलब्ध नहीं हैं। अगर रिजर्व बैंक ने घोषणा की है कि रुपये में कारोबार किसी भी देश से किया जा सकता है तो ऐसे में नीति में बदलाव की घोषणा भी करनी होगी।’
अभी इन योजनाओं के तहत लाभ तभी मिलता है, जब भुगतान विदेशी मुद्रा में प्राप्त किया जाता है।
इस सप्ताह की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने कहा था कि वैश्विक व्यापार में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रुपया कारोबार की अनुमति दी गई है। इसमें भारत से निर्यात पर जोर दिया गया है और इसका मकसद वैश्विक कारोबारी समुदाय की रुपये में दिलचस्पी बढ़ाना है। इस तरह के लेन देन के लिए बैंकों से मंजूरी लेनी होगी और दो कारोबारी साझेदार देशों के बीच विनिमय दर बाजार द्वारा निर्धारित होगा।
निर्यातकों ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे रूस जैसे प्रतिबंध से प्रभावित देशों के साथ कारोबार हो सकेगा। इसी तरह ईरान पर भी अमेरिकी प्रतिबंध है, जहां दो बैंकों- आईडीबीआई बैंक और यूको बैंक को रुपये में कारोबार के निपटान की अनुमति है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्रीय बैंक द्वारा व्यवस्था की घोषणा की जाती है और इसे बेहतर तरीके से लागू किया जाता है तो इससे भारत और ईरान के बीच कारोबार को बढ़ावा मिलेगा।
निर्यातक इस समय विस्तृत दिशानिर्देशों का इंतजार कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक की अधिसूचना की किस तरह से व्याख्या की जाएगी।