भारत का निर्यात 2007-08 में 23 प्रतिशत बढ़कर करीब 155 अरब डॉलर होने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन भारतीय निर्यात की असली तस्वीर कुछ और ही बयान करती है।
रुपये की मजबूती और कमजोर आधारभूत ढांचे ने इस पर विपरीत असर डाला है। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक पेट्रोलियम, जेम्स ऐंड ज्वैलरी और इंजीनियरिंग के सामानों की साथ फार्मास्यूटिकल्स और केमिकल्स तथा कृ षि सामग्री के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है।
नेशनल काउंसिल आफ अप्लायड इकनामिक रिसर्च के वरिष्ठ शोधकर्ता राजेश चङ्ढा ने कहा कि अर्थव्यवस्था को असली फायदा तब होगा जब आयात पर कम निर्भर क्षेत्र जैसे टेक्सटाइल, हैंडीक्राफ्ट और चमड़े के उत्पाद के निर्यात में बढ़ोतरी हो। इसकी तुलना में पेट्रोलियम उत्पाद या जेम्स ऐंड ज्वैलरी के निर्यात में कम फायदा है क्योंकि ये आयात पर निर्भर हैं।
अप्रैल और नवंबर 2007 के बीच इंडियन एक्सपोर्ट बास्केट (20.57 प्रतिशत) में इंजिनियरिंग सामानों के निर्यात में सबसे ज्यादा 23.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसमें कुल निर्या 20.57 अरब डॉलर का निर्यात हुआ जिससे निर्यात में बढ़ोतरी देखी जा रही है।
हालांकि इस क्षेत्र के निर्यातकों को निर्यात बढ़ने से खुश होने का कोई कारण नहीं है। इंजिनियरिंग गुड्स ऐंड एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के चेयरमैन राकेश शाह का कहना है, ‘भारत में पिछले 11 महीनों में इस्पात की कीमतें 35 प्रतिशत से अधिक बढ़ गई हैं। इसके परिणामस्वरूप असली बढ़ोतरी के बजाय निर्यात में वृध्दि नजर आ रही है। कच्चे पदार्थ की कीमतों में बढ़ोतरी से इनपुट्स के खर्च बढ़े हैं, जिससे निर्यात में वृध्दि नजर आ रही है।’
इस उद्योग में इस्पात और लौह अयस्क का प्रयोग कच्चे माल के रूप में 80 प्रतिशत होता है। शाह ने कहा, ‘रुपये की मजबूती का सीधा असर स्टील की कीमतों पर पड़ा है। हम इस क्षेत्र में 2007-08 के दौरान 40 प्रतिशत की वृध्दि देख रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि वास्तविक रूप से केवल 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो मात्रात्मक रूप से काफी कम है।’
इसके साथ ही अन्य इंजीनियरिंग उत्पादों की श्रेणी में मिश्रित लौह धातु, गैर लौह धातु और एल्युमिनियम में 24.79 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 7.29 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। इस सेक्टर का निर्यात देश के कुल निर्यात का 7.26 प्रतिशत है। अप्रैल-नवंबर के बीच पेट्रोलियम पदार्थों का निर्यात 35 प्रतिशत बढ़कर 17.37 अरब डॉलर हो गया। इंडियन एक्सपोर्ट बास्केट में इन पदार्थों का हिस्सा 17.28 प्रतिशत है।
वाणिज्य मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतें 36 प्रतिशत प्रति साल की औसत से बढ़ी हैं और इस समय यह बढ़कर 102 डॉलर प्रति बैरल के आंकड़े को पार कर गया है। इस बढ़ोतरी से भी पेट्रोलियम पदार्थों के तैयार माल के निर्यात में वृध्दि नजर आ रही है। एस्सार वाडीनार रिफाइनरी ने काम करना शुरु कर दिया है और रिलायंस इंडस्ट्रीज के निर्यात में भी बढ़ोतरी हुई है। इसका सीधा असर निर्यात के आंकड़ों पर पड़ा है।
भारत में कच्चे तेल की कुल जरूरतों का करीब 70 प्रतिशत आयात होता है।हीरे से आयात शुल्क में पिछले साल की गई कटौती का भी असर पड़ा है। इससे कीमती पत्थरों का आयात बढ़ा है। तराशी के बाद इनका भी निर्यात किया जाता है। जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के चेयरमैन संजय कोठारी का कहना है कि मात्रा के लिहाज से इस क्षेत्र के निर्यात में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। इस क्षेत्र का इंडियन एक्सपोर्ट बास्केट में 13 प्रतिशत की हिस्सेदारी है।
अप्रैल-नवंबर 2007 के बीच इसमें कुल मिलाकर 25.13 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 13 अरब डॉलर का निर्यात हुआ है।केमिकल और इससे संबंधित उत्पादों में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। बेसिक केमिकल्स फार्मास्यूटिकल्स ऐंड कास्मेटिक एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के चेयरमैन सतीश वाघ का कहना है, ‘चीन ने इस क्षेत्र में दी गई सभी सब्सिडी को खत्म कर दिया है।
इसके साथ ही ओलंपिक के आयोजन को देखते हुए प्रदूषण मानकों पर भी खासा ध्यान दिया गया, जिसके परिणाम स्वरूप केमिकल्स की सैकड़ों इकाइयां बंद हो गईं। इस हालात का सीधा लाभ भारतीय कंपनियों को मिला है।’
इंडियन एक्सपोर्ट बास्केट में 7.36 प्रतिशत का योगदान करने वाले कृषि क्षेत्र के निर्यात में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें एक साल के दौरान 39.17 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 7.29 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। इस क्षेत्र में चावल, दाल, खाद्य तेलों, पोल्ट्री डेयरी उत्पाद के साथ चीनी और मोलैसिस के क्षेत्र में बढ़ोतरी दर्ज की गई है।