पहले से कमरतोड़ महंगाई और अब पड़ने वाली है बढ़ी हुई दर की ईएमआई (होम लोन की मासिक किस्त) की मार।
मंगलवार को रेपो रेट व सीआरआर में आधा फीसदी की बढ़ोतरी के साथ ही मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले दीपक के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गयी हैं।
वर्ष 2007-08 के दौरान उनके वेतन में मात्र 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन खाने की चीजों से लेकर पेट्रोल के दाम ने उनके घर के बजट में पिछले साल के मुकाबले 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी कर दी है। बची हुई कसर होम लोन पर बढ़ने वाली ब्याज दर पूरी करने वाली है। कुल मिला कर उन्हें अपने मासिक बचत में 50 फीसदी से अधिक की कटौती करनी पड़ेगी।
बैंक सूत्रों के मुताबिक, ईएमआई बढ़ने की चिंता दीपक की अकेली नहीं है। देश के 60 लाख लोग इस माथापच्ची में डूबे हुए हैं। भारत में घर खरीदने के लिए लोन लेने वालों की कुल संख्या 60 लाख है और उनमें से 45 लाख लोग ऐसे हैं, जिन्होंने 1-20 लाख रुपये तक का लोन लिया है। सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने वाले सुभाष कहते हैं, ‘महंगाई की दर पहले ही 11 फीसदी के स्तर पर पहुंच चुकी है।
जबकि उनके वेतन में मात्र 10 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। अब अगले महीने से उनकी मासिक किस्त में भी लगभग 1500 रुपये की बढ़ोतरी हो जाएगी।’ दीपक का भी कमोबेश यही हाल है। पिछले साल उनका मासिक वेतन 40 हजार रुपये था जो अप्रैल में बढ़कर 44 हजार रुपये हो गया। लेकिन पिछले साल के मुकाबले खाने की चीजों में 30 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। यानी कि पहले उनके परिवार के खाने पर जो खर्च 10 हजार रुपये का था वह बढ़कर 13,000 रुपये का हो गया।
पेट्रोल में प्रति लीटर 5 रुपये की बढ़ोतरी के कारण उन्हें अब 1000-1500 रुपये अतिरिक्त खर्च करने पड़ते हैं। 15 लाख रुपये उन्होंने मकान खरीदने के लिए लोन लिया था। 12.5 फीसदी की ब्याज दर से उन्हें फिलहाल ईएमआई के नाम पर 15625 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। अगर होम लोन पर ब्याज दर 1 फीसदी बढ़ती है, तो उन्हें लगभग 1550 रुपये और देने पड़ेंगे।