सर्वोच्च न्यायालय द्वारा केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में पिछड़ी जातियों के 27 प्रतिशत आरक्षण को हरी झंडी दिए जाने के बाद संस्थानों में सीटें बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है।
इसमें मूलभूत सुविधाओं का विस्तार और सीटों में बढ़ोतरी का मुद्दा शामिल है, जिससे सामान्य वर्ग से आने वाले छात्रों की संख्या पर असर न पड़े। अधिकारियों के मुताबिक 2008-09 के बजट में निगरानी समिति की अनुशंसा के मुताबिक केंद्रीय विश्वविद्यालयों, इंडियन इंस्टीच्यूट आफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), इंडियन इंस्टीच्यूट आफ मैनेजमेंट (आईआईएम), नेशनल इंस्टीच्यूट आफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) को क्षमता विस्तार के लिए 2,522 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
इसमें आईआईएम संस्थानों को 53 करोड़ रुपये, आईआईएससी को 70 करोड़ रुपये और एनआईटी को 608 करोड़ रुपये दिए गए हैं।मानव संसाधन विकास मंत्री अर्जुन सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अगर इस धन से विस्तार का काम पूरा नहीं होता तो हम अतिरिक्त धन की मांग करेंगे।’ बजट 2008-09 में एक साल की योजना की ही व्यवस्था की गई है।
उदाहरण के लिए आईआईटी संस्थानों के लिए 771 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक उनकी क्षमता बढ़ाकर 1,778 सीट किया जा सकता है, जो इस साल के दौरान 16 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।पिछले साल के बजट में 2,698 करोड़ रुपये अतिरिक्त धनराशि का आवंटन किया गया था, जिससे केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में 54 प्रतिशत विस्तार किया जा सके।
इस योजना को तीन साल में लागू किया जाना था। इसमें कोई प्रगति नहीं हो सकी क्योंकि कोटा के मामले में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लंबित थी। यह धनराशि वित्त मंत्रालय को वापस भेज दी गई।इस साल के लिए संस्थानों में सीटों की बढ़ोतरी की निश्चित संख्या के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।
पिछले साल के बजट में सीटों की प्रस्तावित बढ़ोतरी के बारे में स्पष्ट किया गया था। 007-08 के दौरान सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को मिलाकर 5,754 सीटें बढ़ाए जाने का प्रस्ताव था। साथ ही आईआईएम संस्थानों में 157 अतिरिक्त सीटों, इंडियन इंस्टीच्यूट आफ साइंस बेंगलुरु में 280 सीटें, एनआईटीज में 3,831 सीटें और तीन आईआईटीज में 314 सीटें बढ़ाई जानी थी।बहरहाल विस्तार की प्रक्रि या को शुरू करने के लिए संस्थानों को अभी मानव संसाधन विकास मंत्रालय के दिशानिर्देशों की जरूरत है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष सुखदेव थोराट ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘सर्वोच्च न्यायालय के हालिया फैसले को ध्यान में रखते हुए यूजीसी की विशेषाधिकार समिति इस मसले पर विचार करेगी। इसमें सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में सीटें बढ़ाए जाने पर फैसला किया जाएगा। हम उम्मीद करते हैं कि 24 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में करीब 6000 सीटें बढ़ाई जा सकती हैं, जबकि इसके पहले के 2007-08 के प्रस्तावों में 5,754 सीटें बढ़ाए जाने की बात थी।
‘ निगरानी समिति की संस्तुतियों को लागू करने के लिए यूजीसी को इस साल 875 करोड रुपये आवंटित किए गए हैं।थोराट ने कहा कि जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय का दिशानिर्देश विश्वविद्यालयों को मिल जाएगा तो उसके एक माह के भीतर सभी कुलपतियों की एक बैठक आयोजित की जाएगी। मंत्रालय ने अभी हाल ही में कहा था कि निगरानी समिति की संस्तुतियों को विभिन्न चरणों में लागू तीन साल में किए जाने की योजना है।
लेकिन अर्जुन सिंह ने अपने बयान में कहा है कि 27 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान इसी साल से लागू कर दिया जाएगा। अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई संस्थान एक बारगी संस्थान में सीटों की संख्या बढ़ाना चाहता है तो उसे पूरा समर्थन दिया जाएगा।