अर्थव्यवस्था

Economic Survey 2024: कृषि के अलावा रोजगार के लिए PLI मित्र योजना को देना होगा बढ़ावा

प्रति वर्ष गैर-कृषि क्षेत्र में रोजगार के लिए PLI (5 वर्षों में 6 लाख रोजगार), मित्र वस्त्र योजना (2 लाख रोजगार) और मुद्रा आदि जैसी मौजूदा योजनाओं को पूरक बनाने की गुंजाइश है।

Published by
शिवा राजौरा   
Last Updated- July 22, 2024 | 9:52 PM IST

Economic Survey 2024: सोमवार को जारी आर्थिक समीक्षा 2023-24 में कहा गया कि भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ते कर्मियों, श्रम बल में महिला भागीदारी और कृषि क्षेत्र से श्रमिकों के बाहर जाने की जरूरतों को पूरा करने के लिए गैर-कृषि क्षेत्र में 2030 तक हर साल औसतन 78 लाख नौकरियां सृजित करने की जरूरत होगी।

समीक्षा में गैर-कृषि क्षेत्र में रोजगार सृजन की आवश्यकता का व्यापक आकलन करने का प्रयास किया गया। इसमें यह माना गया है कि श्रम बल में कृषि की भागीदारी 2023 के 45.8 फीसदी से घटकर 2047 में ‘एक-चौथाई’ रह जाएगी।

इसमें कहा गया है कि प्रति वर्ष गैर-कृषि क्षेत्र में इस मांग को पूरा करने के लिए पीएलआई (5 वर्षों में 6 लाख रोजगार सृजन), मित्र वस्त्र योजना (2 लाख रोजगार सृजन) और मुद्रा आदि जैसी मौजूदा योजनाओं को पूरक बनाने की गुंजाइश है। इसके अलावा, समीक्षा में अतिरिक्त रोजगार पैदा करने के लिए दो क्षेत्रों – एग्रो प्रोसेसिंग और केयर इकॉनमी- की भी पहचान की गई है।

इसमें कहा गया है कि एग्रो-प्रोसेसिंग क्षेत्र ग्रामीण विकास के लिए अनेक अवसर प्रदान करता है, साथ ही यह ‘खेत से कारखाने’ में परिवर्तन के लिए एक मध्यवर्ती क्षेत्र भी है, जिसमें कृषि प्रसंस्कृत उत्पादन की निजी मांग के लिए अवसर मौजूद हैं। इस बीच, केयर इकॉनमी ऐसे समय में बेहद महत्वपूर्ण है जब इसे समान अवसर के साथ महिला श्रम बल भागीदारी बढ़ाकर निष्पक्षता और दक्षता के नजरिये से देखा जाए।

समीक्षा में कहा गया है कि 10 सर्वाधिक जनसंख्या वाले राज्यों ने सामूहिक रूप से फैक्टरी प्रक्रियाओं जैसे इलेक्ट्रोप्लेटिंग, पेट्रोलियम उत्पादन तथा कीटनाशकों, कांच, रिचार्जेबल बैटरी जैसे उत्पादों के विनिर्माण में महिलाओं की भागीदारी पर 139 प्रतिबंध लगाए हैं।

मार्च के शुरू में, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने अपनी भारत रोजगार रिपोर्ट में कहा था कि भारत द्वारा अगले दशक के दौरान श्रम बल में हर साल 70-80 लाख लोगों के जुड़ने की संभावना है। इस संदर्भ में देश को न केवल उच्च विकास दर की आवश्यकता है, बल्कि विकास की रोजगार-केंद्रित प्रक्रिया की भी जरूरत है, जिसके लिए पर्याप्त मात्रा में अकुशल श्रम को शामिल करने के लिए श्रम-प्रधान विनिर्माण रोजगार को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है।

समीक्षा में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि निजी क्षेत्र रोजगार सृजन की जरूरत पर जोर देगा, क्योंकि क्षेत्र की लाभप्रदता वित्त वर्ष 2024 में 15 वर्ष की ऊंचाई पर पहुंच गई। इसमें कहा गया है कि कारोबारियो की यह जिम्मेदारी है कि वे पूंजी के उपयोग और श्रम के उपयोग के बीच सही संतुलन बनाए रखें।

इसमें कहा गया है कि श्रम के बजाय पूंजी को प्राथमिकता देना दीर्घाव​धि कॉरपोरेट विकास संभावनाओं के लिए हानिकारक है और व्यवसायों को रोजगार सृजन तथा सामाजिक स्थिरता पर इसके परिणामस्वरूप होने वाले प्रभाव के लिए अपनी जिम्मेदारी को ध्यान में रखना होगा।

आ​र्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि रोजगार की मात्रा के अलावा, इसकी गुणवत्ता और सामाजिक सुरक्षा पहलू का भी अपना महत्व रखता है और स्टाफिंग कंपनियों के माध्यम से फ्लेक्सी श्रमिकों का बढ़ता रोजगार अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने का एक माध्यम हो सकता है।

इसमें कहा गया है, ‘भारत में संगठित अनुबंध/अस्थायी स्टाफिंग कंपनियों के जरिये करीब 54 लाख औपचारिक कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ या फ्लेक्सी श्रमिक रखे गए हैं। ये स्टाफिंग कंपनियां इनके वेतन/पारिश्रमिक, सामाजिक सुरक्षा/मेडिकल इंश्योरेंस के लिए पूरी तरह से जिम्मेदार होती हैं। भले ही वे अनुबंध पर काम करते हैं, लेकिन ये कर्मी पूरी तरह से सामाजिक सुरक्षा से संपन्न होते हैं।’

First Published : July 22, 2024 | 9:52 PM IST