केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 अन्य क्षेत्रों को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत लाने के लिए 1.45 लाख करोड़ रुपये की आज मंजूरी दी। इस कदम का मकसद निवेश आकर्षित करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, रोजगार पैदा करना तथा कंपनियों को वैश्विक आपूर्ति शृंखला का हिस्सा बनने में मदद करना है।
जिन क्षेत्रों को पीएलआई के दायरे में लाया गया है उसमें एडवांस कैमेस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी भी शामिल है, जिसका उपयोग कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहनों और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में होगा है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक एवं तकनीकी उत्पादों, वाहनों और वाहन कलपुर्जा, औषधि, दूरसंचार एवं नेटवर्किंग उत्पाद, कपड़ा, खाद्य उत्पादों, सोलर पीवी मॉड्यूल, एयर कंडीशनर, एलईडी और विशेषीकृत स्टील शामिल हैं।
इससे पहले पीएलआई के तहत मोबाइल विनिर्माण और विशेषीकृत इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे, बल्क दवाएं एवं एपीआई तथा चिकित्सा उपकरणों जैसे तीन क्षेत्रों के लिए 51,311 करोड़ रुपये की घोषणा की जा चुकी है।
इन दोनों को मिलाकर इस योजना के तहत करीब 2 लाख करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार सरकार को उम्मीद है कि पीएलआई योजना से पांच साल में करीब 2 से 3 लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
सभी 10 क्षेत्रों को पांच साल के लिए पीएलआई का लाभ दिया जाएगा। सबसे बड़ा प्रोत्साहन 57,000 करोड़ रुपये का है जो वाहन एवं वाहन कलपुर्जा क्षेत्र को दिया जाएगा, उसके बाद एसीसी बैटरी विनिर्माण के क्षेत्र में 18,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन मिलेगा।
फार्मा उत्पादों के लिए पीएलआई के तहत 15,000 करोड़ रुपये की घोषणा की गई है। इसमें पेटेंट दवाएं, बायोफार्मास्युटिकल्स, हर्बल और भारत में अभी नहीं बनने वाली दवाएं आदि शामिल हैं।
इस योजना को संबंधित मंत्रालयों और विभागों द्वारा क्रियान्वित किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि हालांकि पीएलआई के लिए हर क्षेत्रों के अंतिम प्रस्ताव को व्यय वित्त समिति द्वारा अनुशंसित किया जाएगा और उसके 45 दिन के अंदर मंत्रिमंडल की मंजूरी दी जाएगी।
उद्योग के भागीदारों का कहना है कि इस योजना की प्रभाविता का आकलन करने के लिए अंतिम विवरण का इंतजार कर रहे हैं।
पीएलआई योजना के तहत किसी एक क्षेत्र की बची राशि को सचिवों के अधिकार प्राप्त समूह की मंजूरी से दूसरे क्षेत्र में उपयोग किया जा सकता है। पीएलआई के लिए नए क्षेत्र को मंत्रिमंडल से मंजूरी लेनी होगी।
बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘पीएलआई के जरिये हम जिस नीति को आगे बढ़ा रहे हैं उसका लक्ष्य अपनी क्षमता बढ़ाने के साथ ही वैश्विक बाजार का हिस्सा भी बनना है। सरकार इन वित्तीय प्रोत्सोहनों के लिए आवश्यक रकम का बंदोबस्त कर रही है।’
दवा उद्योग के दिग्गजों ने कहा कि सरकार का कदम सही दिशा में है। कैडिला हेल्थकेयर के चेयरमैन पंकज पटेल ने कहा कि सरकार का कदम स्वागत योग्य है। उन्होंने कहा कि दवा क्षेत्र रणनीतिक लिहाज से महत्त्वपूर्ण क्षेत्र था और इस योजना का जोर स्थानीय स्तर पर शोध को बढ़ावा देने के साथ उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के विकास पर है, जो एक अच्छी बात है।
एयर कंडीशन खंड में पीएलआई का मकसद 15,000 करोड़ रुपये मूल्य के एसी उपकरणों के आयात को कम करना है। जहां तक एलईडी की बात है तो कोई भी इकाई एलईडी पैनल का विनिर्माण नहीं करता है। एलईडी टीवी में करीब 60 प्रतिशत से अधिक खर्च पैनल तैयार करने पर आता है। एलईडी पैनल का देश में लगातार आयात हो रहा है। भारत और चीन के बीच मतभेद का यह एक अहम वजह है। कोविड-19 महामारी के बाद एलईडी पैनल की कीमत 120 प्रतिशत तक बढ़ गई है। परिधान कंपनियों ने कहा कि छोटी कंपनियों को भी पीएलआई योजना का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। तिरुपुर एस्पोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एन शणमुगम ने कहा कि मैन मेड फाइबर (एमएमएफ) और तकनीकी परिधान पर जोर देने की काफी गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि इससे परिधान क्षेत्र को खासा लाभ पहुंचेगा।
(साथ में संजीव मुखर्जी, सोहिनी दास, टी ई नरिसम्हन, अर्णव दत्ता और इंदिवजल धस्माना)
