facebookmetapixel
Jane Street vs SEBI: SAT ने जेन स्ट्रीट की अपील स्वीकार की, अगली सुनवाई 18 नवंबर कोVice President Elections: पीएम मोदी और राजनाथ सिंह ने डाला वोट, देश को आज ही मिलेगा नया उप राष्ट्रपतिदिवाली शॉपिंग से पहले जान लें नो-कॉस्ट EMI में छिपा है बड़ा राजपैसे हैं, फिर भी खर्च करने से डरते हैं? एक्सपर्ट के ये दमदार टिप्स तुरंत कम करेंगे घबराहटGST कटौती के बाद अब हर कार और बाइक डीलरशिप पर PM मोदी की फोटो वाले पोस्टर लगाने के निर्देशJane Street vs Sebi: मार्केट मैनिपुलेशन मामले में SAT की सुनवाई आज से शुरूGratuity Calculator: ₹50,000 सैलरी और 10 साल की जॉब, जानें कितना होगा आपका ग्रैच्युटी का अमाउंटट्रंप के ट्रेड एडवाइजर पीटर नवारो ने BRICS गठबंधन पर साधा निशाना, कहा- यह पिशाचों की तरह हमारा खून चूस रहा हैGold, Silver price today: सोने का वायदा भाव ₹1,09,000 के आल टाइम हाई पर, चांदी भी चमकीUPITS-2025: प्रधानमंत्री मोदी करेंगे यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो 2025 का उद्घाटन, रूस बना पार्टनर कंट्री

फंडों पर कसेगा DGGI की टैक्स जांच का ​शिकंजा

Last Updated- April 23, 2023 | 11:38 PM IST
India's total tax receipts likely to exceed Budget Estimate in FY24

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रावधानों के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के गलत दावे को लेकर कुछ शीर्ष परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों (एएमसी) को जल्द ही कर की मार झेलनी पड़ सकती है।

आयकर विभाग की जांच इकाई माल एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) मुंबई और कोलकाता के 7 से 8 म्युचुअल फंड हाउसों की जांच कर रहा है। इन पर वर्ष 2017-18 के दौरान गलत इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का आरोप है। कहा गया है कि इन फंड हाउसों ने अपने बहीखाते में योजना की लागत को पूंजीगत खर्च दिखाकर गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया। किसी परिसंप​त्ति प्रबंधन कंपनी द्वारा किया गया कुल खर्च प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) का 2.25 फीसदी तक हो सकता है। इसमें चैनल पार्टनर/ वितरकों को किए गए भुगतान शामिल हैं।

इस जांच से अवगत दो लोगों ने बताया कि कुछ मामलों में जीएसटी देनदारी को कम करने के लिए खर्च पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया गया जो निर्धारित सीमा से बहुत अधिक है।

एक अ​धिकारी ने कहा, ‘पिछले दो-तीन महीनों के दौरान डीजीजीआई ने इन परिसंप​त्ति प्रबंधन कंपनियों के बहीखातों में खर्च संबंधी दावों की जांच की। इसमें वितरकों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं एवं संबंधित साक्ष्यों के अलावा वितरकों के साथ अनुबंध विवरण के बारे में पूछताछ भी शामिल है। उन्होंने म्युचुअल फंड योजनाओं की खरीद-बिक्री की सुविधा देने वाले कुछ ऑनलाइन बिचौलियों के बयान भी दर्ज किए हैं।’

अ​धिकारियों के अनुसार, विभाग ने इस साल के आरंभ में ही जांच शुरू कर दी थी। यह मामला काफी जटिल है और इसलिए इसमें व्यापक जांच की जरूरत है। अंतिम जांच रिपोर्ट इस महीने के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है और उसी के अनुसार कारण बताओ नोटिस जारी किए जाएंगे। फिलहाल यह जानकारी नहीं है कि गलत तरीके से कितने क्रेडिट के लिए दावे किए गए हैं। मगर, एक आकलन के अनुसार यह म्युचुअल फंड उद्योग की कुल प्रबंधनाधीन परिसंप​त्तियों का करीब 0.5 फीसदी हो सकता है। कर देनदारी 500 से 1,000 करोड़ रुपये के बीच हो सकती है।

अ​धिकारियों ने बताया कि इस मामले की भी जांच की जा रही है कि कहीं इस फर्जीवाड़े में वितरकों की भी संलिप्तता तो नहीं है अथवा इस प्रकार की गतिवि​धियां अब भी जारी तो नहीं हैं।

ईवाई इंडिया के पार्टनर बिपिन सपरा ने कहा, ‘एएमसी कारोबार के तहत खरीद एवं प्रबंधन मद में किए गए खर्च जीएसटी के तहत बिना की सीमा के बिना इनपुट के तौर पर स्वीकार्य हैं। लेकिन इन आपूर्ति की प्रकृति पर विवाद हो सकता है जो व्यक्तिगत तथ्यों पर आधारित होता है।’

एक सूत्र ने कहा कि इस मामले से इनपुट टैक्स क्रेडिट की अस्वीकृति भी हो सकती है और ब्याज के साथ अतिरिक्त कर का भुगतान करने के लिए कहा जा सकता है। इसलिए फंड हाउसों को प्रदान की गई सेवाओं की प्रकृति, सीमा और मात्रा के आधार पर दावा किए गए क्रेडिट को सही ठहराना होगा।

डेलॉयट इंडिया के पार्टनर एमएस म​णि ने कहा, ‘कुछ म्युचुअल फंड जिस इनपुट टैक्स क्रेडिट मुद्दे से जूझ रहे हैं उसे स्पष्ट करना आवश्यक है क्योंकि जीएसटी के मामले में किसी भी भ्रम से लाभप्रदता और कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।’

First Published - April 23, 2023 | 11:38 PM IST

संबंधित पोस्ट