महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत अक्टूबर में काम की मांग मई और जून महीनों की शीर्ष मांग की तुलना में कम रही है, लेकिन यह 2019-20 की समान अवधि की तुलना में बहुत ज्यादा है। अप्रैल और सितंबर के बीच काम मांगने वाले 80 प्रतिशत से ज्यादा लोगों को मनरेगा के तहत काम मिला। अक्टूबर महीने में जहां 2.43 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम की मांग की, वहीं वास्तव में 1.63 करोड़ को ही काम मिला है। जिससे 81 लाख परिवारों की मांग पूरी नहीं हुई।
लेकिन सूत्रों ने कहा कि काम की मांग पूरी न कर पाने की धारणा एक महीने के आंकड़े से नहीं तय की जा सकती है क्योंकि संभव है कि काम मांगने वालों को आगामी महीनों में काम मिले और ऐसे में इस पर विचार करने के लिए 3 से 5 महीनों के आंकड़ों को देखा जाना चाहिए। मनरेगा वेबसाइट से मिले आंकड़ों से पता चलता है कि करीब 2.43 करोड़ परिवारों ने अक्टूबर में काम की मांग की, जो पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 88.37 प्रतिशत और अक्टूबर 2018 की तुलना मेंं 52.50 प्रतिशत ज्यादा है। साफ है कि ग्रामीण इलाकों में मनरेगा के तहत काम की मांग तेज बनी हुई है। अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में हर महीने करीब 2.43 से 2.44 करोड़ परिवारों ने मनरेगा के तहत काम मांगा, जबकि 2019 में औसतन 1.3 से 1.4 करोड़ परिवारों ने काम मांगा था।
