अक्टूबर से दिसंबर 2007 की तिमाही में भारत का चालू खाते का कुल घाटा 5.38 अरब डॉलर तक पहुंच गया जबकि पिछले साल की इसी अवधि में यह घाटा 3.67 अरब डॉलर का था।
कच्चे तेल की बढ़ रही वैश्विक कीमतों की वजह से इसके आयात मूल्य में 41 प्रतिशत का इजाफा हुआ,जिसकी वजह से घाटे की राशि में भी बढाेतरी हुई। भारत का वर्तमान कुल घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 0.5 प्रतिशत है। तीसरी तिमाही में व्यापार घाटा भी 25.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो इसी अवधि के लिए पिछले साल 16.5 अरब डॉलर था। ये सारे आंकडे भारतीय रिजर्व बैंक ने जारी किए हैं।
वर्ष 2007 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में अन्य प्राप्तियों में 30.4 प्रतिशत का इजाफा हुआ,जो इसी अवधि के लिए पिछले साल 27.2 प्रतिशत के इजाफे को दर्ज कर चुका था। यह वृद्धि विदेशों से भारतीयों द्वारा भेजे जा रहे धन तथा सॉफ्टवेयर और पर्यटन क्षेत्रों के जमाओं के कारण हुआ है।
कुल अदृश्य प्राप्तियों के 38.4 अरब डॉलर पहुंचने की संभावना है, जिसमें सेवा क्षेत्रों का अंश 23.4 अरब डॉलर रहने की संभावना है। तीसरी तिमाही में 18.4 अरब डॉलर की अन्य प्राप्तियों में ब्याज, लाभांश और लाभ को भी शामिल किया गया है।आज बहुत सारे भारतीय व्यापार और छुट्टियों के सिलसिले में विदेशों की काफी यात्रा करते हैं इसलिए आवागमन और पर्यटन में इस तिमाही में क्रमश: 3 अरब डॉलर और 2.5 अरब डॉलर की प्राप्तियां संभव हो सकी है।
चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में कुल अदृश्य प्राप्तियां 20 अरब डॉलर रही जो पिछले वर्ष इसी अवधि में 12.8 अरब डॉलर थी। विश्व बैंक के एक आंकडे क़े मुताबिक चीन और मेक्सिको के बाद भारत को ही सबसे ज्यादा विदेशी भारतीयों से रुपयों की प्राप्ति होती है।
सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के अधिकारी ने बताया कि भारत में इन राशियों पर ज्यादा ब्याज प्राप्त होता है,जिसकी वजह से ये विदशी भारतीय यहां पर काफी मात्रा में राशियां भेजते हैं।