भारत का चालू खाते का घाटा (CAD) दिसंबर 2022 को समाप्त तिमाही में क्रमिक आधार पर घटकर 18.2 अरब डॉलर रह गया है। यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 2.2 प्रतिशत है। इसके पहले वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा 30.9 अरब डॉलर था, जो GDP का 3.7 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में चालू खाते का घाटा 22.2 अरब डॉलर था, जो GDP का 2.7 प्रतिशत है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है कि वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही में सीएडी में आई कमी की वजह वाणिज्यिक व्यापार घाटे में कमी है, जो वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही के 78.3 अरब डॉलर से घटकर 72.7 अरब डॉलर रह गया है। सेवा क्षेत्र में तेजी और निजी हस्तांतरण से हुई प्राप्तियों से फायदा हुआ है।
इक्रा में रिसर्च ऐंड आउटरीच की हेड और मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में चालू खाते के घाटे में कमी के बाद तीसरी तिमाही में इसमें गिरावट उम्मीद की तुलना में बहुत नीचे है।’ वित्त वर्ष 2023 की दूसरी तिमाही में अनुमान घटाकर 36.4 अरब डॉलर (GDP का 4.4 प्रतिशत) कर दिया गया था।
निजी हस्तांतरण से होने वाली प्राप्तियां, जिसमें विदेश में काम कर रहे भारतीयों द्वारा भेजा गया धन मुख्य रूप से शामिल होता है, 30.8 अरब डॉलर रही है, जिसमें एक साल पहले की तुलना में 31.7 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही में रिजर्व में भुगतान संतुलन (बीओपी) की स्थिति बढ़कर 11.1 अरब डॉलर हो गई है, जबकि वित्त वर्ष 22 की तीसरी तिमाही में यह महज 0.5 अरब डॉलर थी।