भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का आकार चालू वित्त वर्ष में घटेगा। समिति ने संकेत दिया कि अगर कोविड-19 पर जल्द काबू पा लिया गया तो वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट को थामा जा सकता है।
देश की जीडीपी वृद्धि मार्च, 2020 में समाप्त तिमाही में घटकर 3.1 फीसदी रही है, जो 44 तिमाहियों में सबसे धीमी है। समिति ने कहा कि आगामी महीनों के दौरान अर्थव्यवस्था में सुधार को ग्रामीण क्षेत्र से तगड़ा सहारा मिलेगा, जहां खरीफ की बुआई अच्छी हुई है। हालांकि कृषि का जीडीपी में 20 फीसदी से कम हिस्सा है। समिति ने कहा कि आगे के अनुमान में अत्यधिक अनिश्चितता है। समिति ने घरेलू एवं विदेशी मांग में कमजोरी और अर्थव्यवस्था के आपूर्ति पक्ष से संबंधित अवरोधों का उल्लेख किया है। समिति ने चेताया कि आपूर्ति में अवरोधों की वजह से सितंबर तक उपभोक्ता महंगाई ऊंची रहेगी। इसने कहा कि वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही में उपभोक्ता महंगाई नरम पडऩे के आसार हैं। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर जून 2020 में 6.1 फीसदी रही, जो आरबीआई के निर्धारित दायरे की ऊपरी सीमा 6 फीसदी से थोड़ी ऊपर रही।
मौद्रिक नीति समिति ने कहा, ‘आपूर्ति में अवरोधों और मांग में सुधार से लागत प्रेरित दबाव जून 2020 में उपभोक्ता कीमतों पर नजर आया है।’ समिति ने अपने बयान में कहा कि महामारी के दौरान सरकार का खर्च कम बना हुआ है। इसे बहुत सी व्यवहार्य कंपनियों की बैलेंस शीट में दबाव नजर आया है। समिति ने अभी कोविड-19 से प्रभावित तिमाहियों के जीडीपी वृद्धि के आंकड़ों के अनुमान जारी नहीं किए हैं। हालांकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय जून तिमाही में जीडीपी वृद्धि का अपना आधिकारिक अनुमान इस महीने के अंत में जारी करेगा। आरबीआई ने कहा कि आपूर्ति में अवरोधों की वजह से खाद्य और गैर-खाद्य खंडों में महंगाई बढ़ रही है। समिति ने कहा कि रबी सीजन में भारी उत्पादन और आगामी खरीफ फसलों के लिए समर्थन मूल्यों में मामूली बढ़ोतरी से खाद्य महंगाई काबू में आ सकती है। हालांकि यह तभी संभव होगा, जब सरकारी अच्छी मात्रा में खरीदारी करेगी। समिति ने कहा कि दूसरी तरफ पेट्रोल और डीजल की ऊंची खुदरा कीमतों, दूरसंचार शुल्कों में बढ़ोतरी और महंगे कच्चे माल से लागत दबाव बढ़ा है, जिससे गैर-खाद्य महंगाई में इजाफा हुआ है। इसके बयान में कहा गया है कि वृद्धि के लिहाज से वित्त वर्ष 2021 में कृषि क्षेत्र बेहतर स्थिति में रहेगा। लेकिन अनलॉक के बाद सुधरने वाले गैर-कृषि संकेतक अब ‘स्थिर’ हो गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र से अच्छा सहारा मिलेगा क्योंकि उर्वरकों का उत्पादन और ट्रैक्टरों, मोटरसाइकिलों और रोजमर्रा की वस्तुओं की बिक्री अच्छी नजर आ रही हैं। हालांकि समिति ने कहा कि जून और जुलाई में सरकार का खर्च कम रहा है। हालांकि सरकार के खर्च का भारत की जीडीपी में हिस्सा 15 फीसदी से कम है, लेकिन निवेश और उपभोग में गिरावट के मौजूदा दौर में इसकी अहमियत बढ़ जाती है।