बढ़ती ब्याज दरों और हाउसिंग और रिटेल क्षेत्र में ऋण की कमी के कारण अप्रैल-फरवरी 2007-08 में गैर-खाद्य क्रेडिट वृद्धि 21.8 प्रतिशत रही, जबकि पिछले साल यह वृद्धि दर 29.6 प्रतिशत था।
चालू वित्तीय वर्ष में औद्योगिक गिरावट के कारण क्रेडिट वृद्धि दर रिजर्व बैंक के लक्ष्य से भी कम रहा। रिजर्व बैंक का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में इस वृद्धि दर को 23 से 24 प्रतिशत रखने का लक्ष्य था। पिछले कुछ महीने से सुधर रही ऋण व्यवस्था के कारण जो वृद्धि दर्ज की गई वह लक्ष्य के करीब पहुंच पाया।
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार फरवरी के अंत तक 22,09,732 करोड रुपये के अग्रिम का अनुमान था। वैसे भी आरबीआई ने पिछले साल 21.8 प्रतिशत के वृद्धि दर का लक्ष्य रखा था।
पंजाब और सिंध बैंक के अध्यक्ष और एम डी आर पी सिंह ने कहा कि निर्माण क्षेत्र में आजकल के्रडिट वृद्धि दर में कमी देखी जा रही है, जबकि इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में मांग के बढ़ने के कारण थोड़ी वृद्धि देखने को मिला है। निर्माण क्षेत्र में जो गिरावट देखने को मिली है उसकी मुख्य वजह उत्पादों में गिरावट बताया जाता है।
बैंकर्स का मानना है कि जिन कंपनियों को पहले ऋण आबंटित किया जा चुका है,वे संवितरण को लेकर धीमे हो जाते हैं। कुछ कंपनियां इसलिए धीमी हो जाती है क्योंकि उन्हें इस बात की उम्मीद होती है कि सरकार उनके ऋण को कम करने की दिशा में कोई कदम उठाएगी। कु छ दूसरी कंपनियां दूसरे बैंकों के साथ इस संदर्भ में एक बेहतर समझौते की उम्मीद रखते हैं।
यूको बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आज पूरी स्थिति ये है कि कुछ कंपनियों ने खर्च करने की मनसा ही त्याग चुकी है। बहुत सारी कंपनियां तो आबंटित क्रेडिट सीमा को भी पूरा नही कर पाते। ताजे आंकड़ों के मुताबिक ऑटोमोबाइल्स और टेक्सटाइल क्षेत्र को बढ़ती ब्याज दरों और रुपये की मजबूती का सबसे ज्यादा खामियाजा भुगतना पड़ा है। लेकिन ऊर्जा,सड़क,पोर्ट और एयरपोर्ट क्षेत्रों ने कुछ हद तक इस संदर्भ में अपनी भरपाई की है।
रिजर्व बैंक के अनुमानित आंकडों पर गौर करें तो अप्रैल-नवंबर 2007 में गैर-खाद्य क्रेडिट प्रवाह 25.3 प्रतिशत तक बढ़ गया था। इस लिहाज से गाड़ियों की ये वृद्धि सबसे ज्यादा दर्ज की गई है, जो 38.5 प्रतिशत रही। निर्माण और खाद्य प्रसंस्करण में ये वृद्धि दर 37 और 30 प्रतिशत रही।
इन्फ्रास्ट्रक्चर में ऋण का प्रवाह बढ़कर 34.5 प्रतिशत हो गया। नवंबर 2006 में इस क्षेत्र को पूरे औद्योगिक क्षेत्र का 20.2 प्रतिशत था,जो बढ़कर 2007 की इसी अवधि के लिए 21.7 प्रतिशत रहा। दूसरी तरफ चालू वित्तीय वर्ष के शुरुआती 8 महीने में इंजीनियरिंग क्षेत्र में ऋण का प्रवाह 28.4 प्रतिशत हो गया था। धातु क्षेत्र में यह वृद्धि 27.1 प्रतिशत आंकी गई थी। इसी तरह टेक्सटाइल और पेट्रोलियम में इस ऋण का प्रवाह 24.4 प्रतिशत और 17.8 प्रतिशत रहा।
रिटेल क्षेत्र में मिल रहे ऋणों में इस लिहाज से थोड़ा भिन्न परिदृश्य रहा। भारतीय स्टेट बैंक के एक कार्यकारी ने बताया कि बढ़ती ब्याज दरों और प्रॉपर्टी की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण रिटेल क्षेत्र में अग्रिम की वृद्धि दर में थोड़ी सी कम हो गई है। बैंक ाें के द्वारा रिटेल क्षेत्रों में दिए गए अग्रिमों में भारतीय स्टेट बैंक का हिस्सा 50 प्रतिशत के करीब है। इस लिहाज से इसने रिटेल क्षेत्र में 42,522 करोड़ रुपये का अग्रिम प्रदान किया है। इस हिस्से में 16 प्रतिशत की वृद्ध हुई है।
इस संदर्भ में आईसीआईसीआई बैंक के ऋण संवितरण में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई,जबकि यह 25 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा गया था। बैंकरों का मानना है कि ऋण के प्रवाह में इस महीने तेजी आएगी । केनरा बैंक के कार्यकारी निदेशक जी एस वेदी ने उम्मीद जताया कि 2007-08 में बैंक इस लिहाज से 23 से 24 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती है।