अर्थव्यवस्था

RBI के लाभांश से मिलेगी केंद्र को वित्तीय ताकत, अर्थशास्त्रियों ने कहा- सरकार को कम उधारी होगी जरूरत

RBI surplus transfer 2024: केंद्र सरकार अपने राजकोषीय मार्ग के तहत वित्त वर्ष 2026 तक राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत पर लाना चाहती है।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- May 22, 2024 | 11:02 PM IST

RBI surplus transfer 2024: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा केंद्र को 2.11 लाख करोड़ रुपये का बंपर लाभांश देने से अगली सरकार को व्यय प्रबंधन में खासी मदद मिलेगी। रिजर्व बैंक द्वारा किया गया लाभांश हस्तांतरण वित्त वर्ष 2025 के अंतरिम बजट के 1.02 लाख करोड़ रुपये के अनुमान से खासा अधिक है, जिसमें रिजर्व बैंक व वित्तीय संस्थानों दोनों का लाभांश शामिल किया गया था।

क्वांटइको रिसर्च में अर्थशास्त्री विवेक कुमार ने कहा, ‘उम्मीद से ज्यादा लाभांश मिलने से जीडीपी के अनुपात के हिसाब से 35 से 40 आधार अंक की मदद मिलेगी। इससे विनिवेश सहित किसी भी तरह की राजस्व हानि की भरपाई हो जाएगी। सबसे महत्त्वपूर्ण यह है कि सरकार को अतिरिक्त व्यय करने में इससे मदद मिलेगी।’

केंद्र सरकार अपने राजकोषीय मार्ग के तहत वित्त वर्ष 2026 तक राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत पर लाना चाहती है।

फरवरी में संसद में पेश किए वित्त वर्ष 2025 के अंतरिम बजट में सरकार ने 5.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है। वित्त वर्ष 2025 का पूर्ण बजट चल रहे लोकसभा चुनाव के बाद नई सरकार के शपथ ग्रहण करने पर जून या जुलाई में पेश किए जाने की संभावना है। वित्त वर्ष 2024 के लिए राजकोषीय घाटा और जीडीपी के आंकड़े सरकार की ओर से 31 मई को जारी किए जाएंगे।

रिजर्व बैंक द्वारा बजट अनुमान से अधिक अधिशेष हस्तांतरण से वित्त वर्ष 2025 में केंद्र सरकार के संसाधन को बढ़ावा मिलेगा। इससे वित्त वर्ष 2025 के लिए अंतरिम बजट में निर्धारित व्यय की तुलना में खर्च बढ़ाने या तेज राजकोषीय समेकन करने में मदद मिलेगी।

इक्रा में रिसर्च और आउटरीच की प्रमुख और मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘पूंजीगत व्यय के लिए उपलब्ध धन बढ़ने से निश्चित रूप से राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता को बल मिलेगा। बहरहाल अंतिम बजट पेश किए जाने व संसद से इसे मंजूरी मिलने के बाद 8 महीने ही बचेंगे।’

बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘व्यय के मामले में पिछले 3 महीने सुस्त रहे हैं। कोई चूक नहीं हुई। इसलिए कुल मिलाकर राजकोषीय घाटा कम हो सकता है और हम राजकोषीय घाटे के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ सकते हैं। हम कभी नहीं जानते कि अगले साल क्या स्थिति होगी, ऐसे में 4.5 प्रतिशत का लक्ष्य ही बेहतर रहेगा।’

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि सरकार को ज्यादा उधारी लेने की जरूरत संभवतः नहीं पड़ेगी, क्योंकि सरकार को उच्चतम स्तर पर अधिशेष ट्रांसफर किया गया है। कुमार ने कहा, ‘इससे जी-सेक उधारी की जरूरत में कमी आने की संभावना है और ब्याज घटाने में मदद मिलेगी।’

केंद्र सरकार ने मार्च में घोषणा की थी कि वित्त वर्ष 2025 की पहली छमाही (अप्रैल-सितंबर) के दौरान पूरे लक्ष्य का 53.07 प्रतिशत उधार लिया जाएगा। आगामी वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान सकल उधारी 7.50 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है, जबकि उधारी का कुल लक्ष्य 14.13 लाख करोड़ रुपये रखा गया है।

First Published : May 22, 2024 | 10:45 PM IST