केंद्रीय बजट पेश किए जाने से पहले वाणिज्य मंत्रालय निर्यात को बढ़ावा देने की 2 प्रमुख योजनाओं को जारी रखने के लिए वित्त मंत्रालय से बातचीत कर रहा है। इनमें निर्यात केंद्रित इकाइयों और विशेष आर्थिक क्षेत्रों से निर्यातित उत्पादों पर शुल्कों और करों में छूट (रोडटेप)और ब्याज समतुल्यीकरण योजना (आईईएस) शामिल हैं।
दोनों योजनाओं की अवधि 31 दिसंबर को समाप्त हो गई है। पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद से एसईजेड और ईओयू के लिए रोडटेप और एडवांस ऑथराइजेशन (एए) योजनाओं को 29 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है। वहीं दूसरी तरफ आईईएस का नवीकरण नहीं किया गया है। हालांकि एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि वाणिज्य मंत्रालय कुछ बदलाव के साथ कम से कम एमएसएमई के लिए इस योजना को जारी रखने की मांग कर रहा है।
वाणिज्य विभाग अब करीब 1,600 से 1,700 करोड़ रुपये अतिरिक्त आवंटन की मांग कर रहा है, जिसे सरकार इस योजना को 31 मार्च तक चालू रख सकेगी। अधिकारी ने कहा, ‘रोडटेप में एक ऐसी व्यवस्था है, जिसके तहत आवंटन में 10 फीसदी वृद्धि होती है। तो 10 फीसदी वृद्धि के साथ हम अगले साल भी इसको चालू रखने में सक्षम होंगे।’ केंद्रीय बजट 2025 में रोडटेप योजना के लिए 16,575 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
रोडटेप योजना के तहत निर्यातकों द्वारा इनपुट पर भुगतान किए गए केंद्र, राज्य व स्थानीय निकाय शुल्कों को वापस किया जाता है, जिससे देश के निर्यात को बढ़ावा मिल सके। यह योजना 2021 में लागू की गई, जिसे बाद में 11 मार्च 2024 से एसईजेड, ईओयू और एए धारकों तक बढ़ा दिया गया, ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यवधानों से जूझ रहे निर्यातकों को मदद मिल सके। इस समय घरेलू शुल्क क्षेत्र (डीटीए) या घरेलू बाजार से निर्यात के लिए रोडटेप योजना 30 सितंबर तक लागू है।
वाणिज्य विभाग दोनों योजनाओं की मंजूरी और जल्द से जल्द इसकी घोषणा किए जाने की उम्मीद कर रहा है। अगर वित्त मंत्रालय सहमत हो जाता है तो बजट दस्तावेजों में इसका उल्लेख हो सकेगा। दोनों योजनाओं की अवधि बढ़ाने की मांग ऐसे समय में की गई है, जब निर्यातकों को वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ रहा है और निर्यात में वृद्धि की रफ्तार सुस्त हो गई है। वाणिज्य विभाग के अलावा वित्त मंत्री के साथ पिछले महीने बजट के पहले हुई बैठक में निर्यातकों ने भी आईईएस जारी रखने की मांग की थी।
आईईएस के मामले में विभाग ने इस योजना को 5 वर्षों तक लागू किए जाने की मांग की है। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘वित्त मंत्रालय आईईएस को जारी रखने का औचित्य जानना चाहता है। हमने वित्त मंत्रालय को विभिन्न विकल्प दिए हैं। हमारी पहली तरजीह मौजूदा योजना को जारी रखना है। अगर ऐसा नहीं होता है तो हमने इससे फिलहाल गैर एमएसएमई को बाहर रखने का विकल्प रखा है।’ अधिकारी ने कहा कि हमने इसे कम से कम एमएसएमई के लिए नए सिरे से जारी रखने का सुझाव दिया है।
क्या है आईईएस
आईईएस ब्याज में छूट देने की योजना है। इसके तहत बैंकों द्वारा लिए जाने वाले ब्याज पर निर्यातकों को लाभ यानी छूट दी जाती है। उसके बाद बैंकों को इसकी भरपाई सरकार द्वारा की जाती है। यह योजना 2015 में 5 साल के लिए शुरू की गई थी, जिससे निर्यातकों पर दबाव कम हो सके। खासकर श्रम केंद्रित सेक्टर और एमएसएमई के लिए यह योजना लाई गई थी। उसके बाद धीरे-धीरे इस योजना को विस्तार दिया गया।