महंगाई की दर 13 साल के उच्चतम 11 प्रतिशत के पार हो गई। यह 13 साल का उच्चतम आंकड़ा है।
इस दौरान पेट्रोलियम उत्पादों के अलावा खाद्य वस्तुओं की कीमत में बढ़ोतरी ने भी मुद्रास्फीति पर भारी दबाव बनाया। बहरहाल, सरकार की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक 7 जून को समाप्त सप्ताह के दौरान महंगाई दर बढ़कर 11.05 प्रतिशत हो गई।
31 मई को समाप्त सप्ताह के दौरान यह 8.75 प्रतिशत थी। ईंधन, बिजली, लाइट एवं लुब्रिकेंट ब्रांड का इन्डेक्स समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान 7.8 प्रतिशत बढ़कर 374.2 प्रतिशत हो गया, जो पूर्व सप्ताह में 347.2 प्रतिशत था। समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे कपास और सरसों की कीमत चार-चार प्रतिशत, कच्चे जूट की कीमत दो प्रतिशत तथा मूंगफली, खोपरा और कैस्टर की कीमत एक-एक प्रतिशत बढ़ गई।
सूरजमुखी तेल की कीमत छह प्रतिशत, मूंगफली तेल की कीमत तीन प्रतिशत, आयातित खाद्य तेल, हाइड्रोजेनेटेड वनस्पति और सोयाबीन तेल की कीमत दो-दो प्रतिशत तथा सरसों तेल और ऑयल केक की कीमत एक-एक प्रतिशत बढ़ गई।
रसायन खंड में कास्टिक सोडा की कीमत तीन प्रतिशत बढ़ गई। लोहा इस्पात की कीमत 14 प्रतिशत बढ़ी। बेसिक पिग आइरन और फाउण्ड्री पिग आइरन में से प्रत्येक की कीमत 11 प्रतिशत, इस्पात शीट, प्लेट की कीमत चार-चार प्रतिशत, पाइप और टयूब की कीमत दो-दो प्रतिशत बढ़ गई। इस दौरान ट्रक और वैन की चेसिस की कीमत में छह-छह प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
जल रहा है ईंधन
लाइट डीजल ऑयल की कीमत 21 प्रतिशत बढ़ गई। एलपीजी की कीमतों में 20 प्रतिशत, नाफ्था की कीमत 17 प्रतिशत, फर्नेस ऑयल की कीमत 15 प्रतिशत, विमानन टरबाइन ईंधन की कीमत 14 प्रतिशत, पेट्रोल की कीमत 11 प्रतिशत, हाई स्पीड डीजल ऑयल की कीमत 10 प्रतिशत और बिटुमिन की कीमत सात प्रतिशत बढ़ गई।
महंगाई क्यों
पिछले चार सालों में कच्चे तेल की कीमतों में इजाफा
अमेरिकी मंदी से बैंकों और उद्योगों पर पड़ा खासा असर
डॉलर के मुकाबले रुपया होता गया मजबूत
वैश्विक खाद्यान्न संकट
और आग जल गई
वैसे तो फरवरी से महंगाई बढ़नी शुरु हुई मगर मार्च में इसने रंफ्तार पकड़ ली। 29 मार्च को महंगाई 7.41 फीसदी के स्तर पर थी
महंगाई की आग ने दिखानी शुरु की अपनी तपिश। 19 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में इसकी दर 7.57 के स्तर पर पहुंच गई
मई की शुरुआत में 8.10 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई
मई के अंत में यह 8.75 के स्तर पर पहुंच गई
साल के शुरुआती महीनों में महंगाई की दर 4 फीसदी के इर्द गिर्द थी और मार्च-अप्रैल में यह दोगुनी होकर 8 के आस पास डोलने लगी। लेकिन पेट्रोल-डीजल-गैस की कीमतें बढ़ाने के एक हफ्ते में महंगाई लगभग तीन फीसदी बढ़ गई। कहने का मतलब कि ज्यों-ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता गया।
संपादकीय टीम: अश्विनी कुमार श्रीवास्तव, ऋषभ कृष्ण सक्सेना, नीलकमल सुंदरम, कुमार नरोत्तम