भारतीय बैंकों ने अब तक महामारी के आर्थिक झटकों का अच्छी तरह से सामना किया है लेकिन कुछ और असर पडऩा अभी बाकी है। भारतीय बैंकों के बारे में ये बातें आर्थिक समीक्षा 2021-22 में कही गई है। समीक्षा के मुताबिक बैंक प्रणाली में पर्याप्त पूंजी है और गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) में ढांचागत रूप से कमी आई है।
बैंकिंग प्रणाली का सकल एनपीए अनुपात 2017-18 के 11.2 फीसदी से घटकर सितंबर, 2020 के अंत में 7.5 फीसदी और सितंबर 2021 के अंत में 6.9 फीसदी पर आ गया। इसी तरह से शुद्घ एनपीए अनुपात 2017-18 में 6 फीसदी के अपने उच्च स्तर से घटकर सितंबर, 2021 में 2.2 फीसदी पर आ गया।
लेकिन, सितंबर 2020 से सितंबर 2021 के बीच अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का दबावग्रस्त अग्रिम अनुपात सितंबर 2020 के अंत में 7.9 फीसदी से बढ़कर सितंबर 2021 के अंत में 8.5 फीसदी हो गया। बैंकों का पुनर्गठित मानक अग्रिमों (आरएसए) का अनुपात इस दौरान 0.4 फीसदी से बढ़कर 1.5 फीसदी हो गया।
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘संपत्ति गुणवत्ता के संबंध में कोविड-19 से संबंधित विभिन्न वितरणों/मोरेटोरियम ने पुनर्गठित संपत्तियों में वृद्घि की है जिसके परिणामस्वरूप बैंकिंग प्रणाली के लिए दबावग्रस्त अग्रिम अनुपात सितंबर, 2021 के अंत में बढ़ गया।’
