चीन के ऐप पर रोक से देश में ऐप बनने का बना माहौल

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 1:12 AM IST

चीन के मोबाइल ऐप पर रोक लगाने के केंद्र सरकार के फैसले के करीब 18 महीने बाद अब देश के मोबाइल ऐप क्षेत्र में दो अहम बदलाव नजर आने लगे हैं। पहला, इस कदम से कुछ विशेष श्रेणियों में देसी ऐप निर्माताओं की सक्रियता बढ़ी है। दूसरा, इससे देश में चीन के ऐप की बाजार हिस्सेदारी में अहम कमी आई है। 
केंद्र सरकार ने टिकटॉक और वीचैट समेत चीन के 59 ऐप पर मार्च 2020 में अंतरिम रोक लगाई थी और इस साल जनवरी में उनमें से बहुत से ऐप पर स्थायी रोक लगा दी गई। चाइना इंटरनेट रिपोर्ट 2021 (साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट द्वारा जारी) के मुताबिक भारत में चीन के ऐप की बाजार हिस्सेदारी में अहम गिरावट आई है। वर्ष 2018 में 44 फीसदी बाजार उनके पास था, जो 2020 में घटकर महज 29 फीसदी रह गया। वर्ष 2017 में यह 41 फीसदी थी। 

यह रिपोर्ट साफ तौर गूगल प्लेस्टोर जैसे विभिन्न स्टोर में भारतीय ऐप की बढ़ती हिस्सेदारी की तस्दीक करती है। विशेष रूप से उन क्षेत्रों में, जिनमें वे चीन के ऐप की जगह ले सकते थे। चीन के ऐप का शॉर्ट वीडियो सोशल ऐप, मैसेजिंग प्लेटफॉर्म, गेमिंग, लाइफस्टाइल (कपड़े एïवं एक्सेसरीज) खरीदारी आदि में दबदबा था। 
ऐप एनी के आंकड़ों के मुताबिक प्रतिबंध से महज एक महीने पहले मई 2020 में देश में शीर्ष 10 ऐप कंपनियों में 50 फीसदी चीन की थीं। भारतीय ऐप निर्माताओं की केवल 20 फीसदी हिस्सेदारी थी और इसमें सबसे ऊपर आरोग्य सेतु की बदौलत एनआईसी था। चीन के ऐप बाहर होने से भारतीय ऐप निर्माता रैकिंग में बड़ी हिस्सेदारी हासिल करने में सफल रहे हैं। सितंबर में अब तक ऐप एनी में शीर्ष 10 ऐप में से 60 फीसदी पर भारतीय निर्माताओं का ही स्वामित्व है। 

एक समय सोशल मीडिया में टिकटॉक जैसे ऐप का दबदबा था और उसने अपने शॉर्ट वीडियो के जरिये फेसबुक को सफल टक्कर दी थी। टिकटॉक के मामूली समय में ही 11.9 करोड़ ग्राहक बन गए थे। लेकिन सितंबर के ताजा आंकड़ों के मुताबिक अब इस क्षेत्र के शीर्ष 10 ऐप में 60 फीसदी भारतीय निर्माताओं के हैं जैसे एमएक्स टकाटक, मौज, शेयरचैट, जोश और पब्लिक आदि। उनमें से ज्यादातर ने शॉर्ट वीडियो मुहैया कराने के साथ शुरुआत की थी और पिछले साल जून में टिकटॉक पर अंतरिम रोक लगने के बाद अपने ऐप शुरू किए थे। 
चीन के गेमिंग ऐप पबजी ने देश में रातोरात खलबली मचा दी थी। एक समय 3.4 करोड़ भारतीय रोजाना इसे खेलते थे और इसे 17.5 करोड़ बार से ज्यादा डाउनलोड किया जा चुका था। मगर इस रोक का यह मतलब नहीं है कि भारतीय निर्माताओं ने शीर्ष 10 रैंकिंग में चीन के ऐप की जगह ले ली है। ऐप एनी के मुताबिक शीर्ष 10 गेमिंग ऐप में केवल मुंबई की गेमेशन द्वारा बनाया गया एक गेम लूडो किंग पहले पायदान पर है। चीन के ऐप की जगह ब्रिटेन, दक्षिण कोरिया और हॉन्गकॉन्ग तथा अन्य देशों के गेमिंग ऐप ने ले ली है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि अब भारतीय गेमिंग ऐप कंपनियों का दौर आ गया है। ऐप कारोबार के आंकड़ों पर नजर रखने वाली एक वैश्विक एजेंसी 42मैटर्स के मुताबिक इस साल अगस्त तक गूगल प्ले स्टोर के वैश्विक गेमिंग ऐप (19,323) में भारतीय गेम निर्माताओं की हिस्सेदारी 4 फीसदी थी। लेकिन इनसे कमाई करना अब भी चुनौती है क्योंकि केवल दो फीसदी ऐप ही शुल्क लेते हैं, जबकि दुनिया भर में औसतन 4 फीसदी ऐप शुल्क लेते हैं।
बहरहाल भारत में 86 फीसदी ऐप को विज्ञापन का सहारा मिल रहा है, जबकि वैश्विक औसत 73 फीसदी ही है। सभी कंपनियों का कहना है कि इनमें डाउनलोड के मामले में सबसे बड़ी गेेमेशन है, जिसके चार गेमिंग ऐप 62.9 करोड़ बार डाउनलोड हो चुके हैं, जबकि इसकी प्रतिस्पर्धी वड्र्समोबाइल के 27 गेमिंग ऐप को 50.09 करोड़ बार डाउनलोड किया जा चुका है।

First Published : September 9, 2021 | 11:40 PM IST