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पीछे छूट गया महंगाई का बुरा दौर

Last Updated- December 11, 2022 | 5:30 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के जुलाई 2022 के बुलेटिन में कहा है कि भारत में कीमतों में वृद्धि का दौर अब खत्म हो गया है और अब महंगाई का बुरा दौर संभवतः पीछे छूट गया है।
अर्थव्यवस्था दशा पर जुलाई बुलेटिन में रिजर्व बैंक के स्टाफ ने लिखा है, ‘जून में लगातार दूसरे महीने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर कम हो रही है और खाद्य महंगाई घट रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 12 जुलाई को जारी आंकड़ों से यह पता चलता है। सावधानी के साथ, जैसा कि हमने घोषणा की थी, कई वैश्विक आंकड़े ऐसा संकेत दे रहे हैं।’
इस लेख में रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने भी अपनी राय रखी  है, लेकिन जरूरी नहीं कि यह भारतीय रिजर्व बैंक के विचार हों।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर जून में कम होकर 7.01 प्रतिशत पर आ गई है, जो एक  महीने पहले 7.04 प्रतिशत पर थी। जून के आंकड़े से पता चलता है कि लगातार छठे महीने खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के 2 से 6 प्रतिशत के बीच महंगाई दर रखने के लक्ष्य के ऊपर है। सीपीआई पर आधारित महंगाई दर जनवरी 2022 से ही 6 प्रतिशत से ऊपर है। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मई से नीतिगत दर में 90 आधार अंक बढ़ोतरी की है और अब रीपो रेट 4.90 प्रतिशत है।
वैश्विक बदलावों को देखें तो आक्रामक मौद्रिक नीति की वजह  से महंगाई का दबाव घट रहा है। जिंसों की कीमत में कमी और आपूर्ति शृंखला  की बाधाएं दूर होने की वजह से जिंसों की  कीमत कम हो रही है। लेख में कहा गया है, ‘आपूर्ति शृंखला के व्यवधानों के कारण बढ़ी कीमतें अब काबू में आ  रही हैं।’
लेख में कहा गया है कि खुदरा कारोबारियों ने भंडार जमा कर लिया था और अब वे स्टॉक कम करने के लिए कीमत घटा रहे हैं।  साथ ही जून महीने में इनपुट और आउटपुट का ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स सुधरा है।
रिजर्व बैंक के स्टाफ ने लिखा है कि इस तरह के सकारात्मक विकास का असर भारत पर भी दिख सकता है। इसमें कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय दाम में गिरावट की वजह से खाद्य कंपनियां कीमतों में कमी के लिए प्रोत्साहित हो सकती हैं।
मार्च में ब्रेंट क्रूड की कीमत 14 साल के उच्च स्तर 140 डॉलर प्रति बैरल पर थी, जो इस समय उल्लेखनीय रूप से घट गई है। ज्यादातर एक्टिव फ्यूचर्स कांट्रैक्ट इस समय 100 डॉलर प्रति बैरल पर हो रहे हैं।
फरवरी में रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद से कच्चे तेल के वैश्विक दाम में बढ़ोतरी शुरू हुई। इसकी वजह से भारत में महंगाई दर में उल्लेखनीय वृद्धि का जोखिम था, साथ ही चालू खाते के घाटे पर भी इसका विपरीत असर पड़ता क्योंकि भारत अपनी कुल जरूरतों का 80 प्रतिशत आयात करता है।
रिजर्व बैंक के बुलेटिन के लेख के मुताबिक आपूर्तिकर्ताओं की डिलिवरी का वक्त फरवरी के बाद से पहली बार सकारात्मक हुआ है। सबसे अहम यह है कि महंगाई के खिलाफ मौद्रिक नीति ने तेजी से असर दिखाया है।

First Published - July 18, 2022 | 1:25 AM IST

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