आम चुनाव के बाद तीसरी बार सत्ता में वापसी होने पर केंद्र सरकार डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (डीपीडीपी) ऐक्ट और आईटी नियमों में संशोधन करने की योजना बना रही है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि तीसरी बार सत्ता में आने पर सरकार अपने 100 दिन के एजेंडे में इसके नियम अधिसूचित करने की योजना बना रही है।
डीपीडीपी ऐक्ट के लिए नियम लंबे समय से लंबित है। इससे 8 महीने पुराने डेटा निजता कानून को ताकत मिलेगी। वहीं आईटी नियमों में संशोधन से सरकार को आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के माध्यम से तैयार की जा रही गलत सूचनाएं व डीप फेक से निपटने में मदद मिलेगी। अधिकारी ने कहा कि जब तक समग्र डिजिटल इंडिया ऐक्ट लागू नहीं हो जाता है, यह संशोधन सरकार को ताकत देगा।
पिछले महीने मंत्रिमंडल की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कथित तौर पर अपने मंत्रियों से कहा था कि वे सत्ता में वापसी की स्थिति को लेकर पहले 100 दिन के कामकाज का खाका तैयार करें।
अधिकारी ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना तकनीक मंत्रालय (मेइटी) ने अपने अधीन आने वाले प्रमुख क्षेत्रों के लिए100 दिन की कार्ययोजना तैयार की है।
उन्होंने कहा, ‘डीपीडीटी ऐक्ट के लिए नियम तैयार थे, लेकिन कई वजहों से चुनाव के पहले उन्हें अधिसूचित नहीं किया जा सकता था। नई सरकार के शुरुआती 100 दिन में अब यह किया जाएगा।’
भारत के डेटा निजता कानून के नियमों को अधिसूचित किया जाना लंबे समय से प्रतीक्षित है। नियम अधिसूचित होने के बाद 45 दिन परामर्श चलेगा, उसके बाद डेटा संरक्षण बोर्ड (डीपीबी) का गठन होगा।
उद्योग से जुड़े लोगों ने एक बार फिर नियमों को अधिसूचित किए जाने में देरी को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि ज्यादातर प्लेटफॉर्मों को अपने उत्पादों और सेवाओं को नियमों की जरूरत के मुताबिक करना होगा और इसे लागू करने के लिए उचित वक्त दिया जाना जरूरी होगा।
इंटरनेट संगठनों, निजता और डेटा संरक्षण को संचालित करने वाला एक अन्य अहम नियम आईटी नियम, 2020 है। नियमों के मौजूदा प्रारूप को लेकर सरकार परामर्श जारी करती रही है। अब एआई, खासकर डीप फेक से निपटने के लिए इसमें संशोधन कर इसे व्यापक बनाने की योजना है।
अधिकारी ने कहा, ‘डिजिटल इंडिया ऐक्ट की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन इसमें वक्त लगेगा। इस बीच आईटी नियमों में बदलाव से एआई से उपजे जोखिमों और ग्राहकों को होने वाले नुकसान से निपटा जा सकेगा।’
डिजिटल इंडिया ऐक्ट को 23 साल पुराने सूचना तकनीक ऐक्ट की जगह लाया जा रहा है, जिसमें साइबर सुरक्षा, एआई, निजता सहित अन्य मसलों को ध्यान में रखा गया है।