इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना-प्रौद्योगिकी मंत्रालय अगले पांच से छह महीने में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) नीति पर पहला मसौदा जारी कर देगा। मामले से वाकिफ सूत्रों ने इसकी जानकारी दी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि मंत्रालय देश में एआई के नियमन पर विचार कर रहा है और डीपफेक नियमन भी एआई नीति का हिस्सा होगा।
अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल हम कानून के जानकारों और अन्य संबंधित पक्षों के साथ आंतरिक स्तर पर विचार-विमर्श कर रहे हैं। एक तर्कसंगत मसौदा तैयार हो जाने के बाद हम इस पर व्यापक सलाह-मशविरा करेंगे।’
एआई नियमन की व्यवस्था होने तक डीपफेक एवं एआई से जुड़े विषयों से सूचना-प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2020 के अंतर्गत मौजूदा प्रावधानों के अनुसार निपटा जा रहा है। अधिकारी ने कहा, ‘एआई को अलग से देखना सही नहीं होगा क्योंकि इसके साथ कई सारे पहलू जुड़े हुए हैं।
यहां तक कि एआई के प्रचार-प्रसार जैसे विषयों पर भी विचार करना होगा। मंत्रालय ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन एआई जैसी वैश्विक संस्थाओं का भी सहयोग ले रहा है और एआई से संबंधित विभिन्न मसौदो को देख रहा है। ये ढांचे दुनिया के कई देशों में काम भी कर रहे हैं।’
अधिकारी ने कहा, ‘अंतरराष्ट्रीय मंचों के साथ कई बैठकें हुई हैं। इससे एआई नियमन पर दूसरे देशों के अनुभव को जानने में मदद मिलेगी। जीपीएआई और विभिन्न अन्य मंचों पर इन विषयों पर चर्चा की जाती है।’ फिलहाल दुनिया में यूरोपीय संघ एक मात्र ऐसा क्षेत्र है जहां एआई पर व्यापक कानून तैयार हुआ है।
अमेरिका ने भी एआई पर नियम बनाने की पहल की है मगर वहां इन्हें अधिक सख्त बनाने के बजाय स्वैच्छिक अनुपालन पर अधिक जोर दिया गया है। चीन में एआई के नियमन को लेकर हुए प्रयास सामाजिक स्थिरता और तकनीक पर सरकार के नियंत्रण पर केंद्रित हैं। भारत एआई से उत्पन्न जोखिमों को सीमित करना चाहता है मगर यह भी नहीं चाहता कि देश में एआई आधारित वृद्धि में कोई बाधा आए।