आकलन वर्ष 2025-26 में फसलों के दमदार उत्पादन की उम्मीद में कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में वास्तविक रूप से 3.7 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है। एक साल पहले की समान तिमाही में यह 1.5 फीसदी की दर से बढ़ा था।
किसी भी वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही (पहली तिमाही) आमतौर पर खेती और संबंधित गतिविधियों के लिहाज से कमजोर अवधि मानी जाती है और अनुमान मोटे तौर पर उस वित्त वर्ष के लक्ष्य, पिछले आकलन वर्ष (यहां 2024-25) के तीसरे अनुमानों के साथ-साथ वित्त वर्ष 2025-26 के लिए प्रमुख पशुधन उत्पादों के गर्मी के मौसम के अनुमानों और वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही के लिए मछली उत्पादन के अनुमानों के आधार पर संकलित किए जाते हैं।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि कृषि में पहली पहली तिमाही के पहले अनुमान के लिए आकलन वर्ष 2024-25 के लिए बागवानी फसलों के क्षेत्र और उत्पादन के दूसरे अग्रिम अनुमानों पर भी विचार किया गया है।
नॉमिनल संदर्भ में कृषि एवं संबद्ध गतिविधियों के लिए जीवीए वृद्धि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 3.2 फीसदी रहने की उम्मीद है, जो एक साल पहले की इसी तिमाही में 7.5 फीसदी थी।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘3.7 फीसदी की कृषि वृद्धि दर मुख्य तौर पर बची हुई रबी फसल के कारण है, जो इस साल की खरीफ फसलों को कवर नहीं करेगी और इसका प्रभावी तीसरी तिमाही के आंकड़ों (थोड़ा बहुत दूसरी तिमाही में भी)में देखने को मिलेगा।’
क्रमिक रूप से, अनुमान दर्शाते हैं कि वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए जीवीए वृद्धि बीते तीन तिमाहियों के बराबर रह सकती है। आगे चलकर, मॉनसून के दमदार प्रदर्शन के आधार पर 2025-26 में मजबूत खरीफ उत्पादन के चलते आने वाली तिमाहियों में कृषि क्षेत्र की वृद्धि बेहतर रहने का अनुमान है।
उल्लेखनीय है कि 1 जून से 29 अगस्त तक भारत के सभी हिस्सों में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून कुल मिलाकर सामान्य 6 फीसदी अधिक रहा है, जिसमें दक्षिण भारत में 10 फीसदी, मध्य भारत में 9 फीसदी और उत्तर पश्चिम भारत में 25 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। इस अवधि के दौरान सिर्फ पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में 18 फीसदी कम बारिश हुई है।
नतीजतन, 22 अगस्त तक खरीफ फसलों की बोआई 10.73 करोड़ हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 35.4 लाख हेक्टेयर अधिक है। समीक्षाधीन अवधि में एक साल पहले के मुकाबले धान ने 29 लाख और मक्का ने 11.8 लाख अतिरिक्त क्षेत्रों को कवर किया है।