देश की अर्थव्यवस्था के प्रति अधिकतर भारतीय मुख्य कार्याधिकारियों (सीईओ) का नजरिया सकारात्मक बना हुआ है। सलाहकार फर्म पीडब्ल्यूसी के एक सर्वेक्षण में अधिकतर भारतीय सीईओ ने उम्मीद जताई कि अगले 12 महीनों के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ेगी।
कंपनी ने अपने 27वें वार्षिक वैश्विक सर्वेक्षण के तहत 2 अक्टूबर 2023 से 10 नवंबर 2023 के बीच 105 देशों के कुल 4,702 मुख्य कार्याधिकारियों से बातचीत की। इसमें भारत से 79 सीईओ को शामिल किया गया। भारत के करीब 86 फीसदी सीईओ ने विश्वास जताया कि अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। यह एक साल पहले के मुकाबले 30 फीसदी अधिक है।
सर्वेक्षण में शामिल महज 44 फीसदी वैश्विक सीईओ का मानना था कि उनके यहां अर्थव्यवस्था में सुधार होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर दुनिया भर में उम्मीद जताई जा राही है। यही कारण है कि वैश्विक सीईओ के लिए भारत निवेश के लिहाज से पांचवां शीर्ष गंतव्य बन गया है जो 2023 में 9वें पायदान पर रहा था।
यह सर्वेक्षण दावोस में आयोजित विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक के पहले दिन जारी किया गया। इसमें शामिल करीब 62 फीसदी भारतीय सीईओ ने कहा कि वे अगले 12 महीनों के दौरान अपनी कंपनी की वृद्धि के प्रति ‘अत्यधिक अथवा बहुत’ आश्वस्त हैं। जबकि महज 37 फीसदी वैश्विक सीईओ ने ऐसा कहा।
भारतीय सीईओ ने अगले 12 महीनों के दौरान अपनी कंपनियों के लिए महंगाई और साइबर हमले को सबसे बड़ा खतरा बताया।
पीडब्ल्यूसी द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत की वार्षिक खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर 2023 में घटकर करीब 5.5 फीसदी तक आने से पहले जुलाई 2023 में 7.44 फीसदी पर 15 माह के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी।
करीब 28 फीसदी भारतीय सीईओ ने साइबर हमले को सबसे बड़ा खतरा बताया जबकि 2023 में यह आंकड़ा 18 फीसदी रहा था। भारतीय उद्योग जगत के नेताओं ने स्वास्थ्य संबंधी खतरों का भी उल्लेख किया।
करीब 27 फीसदी भारतीय सीईओ ने कहा कि उन्हें आशंका है कि अगले 12 महीनों में उनकी कंपनी इससे काफी प्रभावित हो सकती है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि स्वास्थ्य संबंधी खतरों के प्रति चिंता करना लाजिमी है क्योंकि कर्मचारी ऐसे नियोक्ताओं को पसंद करते हैं जो उन्हें और उनके परिवार के लिए पर्याप्त स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराते हों।
भारत में पीडब्ल्यूसी के चेयरपर्सन संजीव कृष्णन ने कहा, ‘वैश्विक मोर्चे पर चुनौतियां बरकरार रहने के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था निकट भविष्य में एक दमदार वृद्धि अनुमान के साथ मजबूत बनी हुई है। वास्तव में भारत को 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में भारतीय सीईओ की बड़ी भूमिका होगी। उन्हें अपने कारोबार और कार्य संस्कृति में बदलाव करने की भी जरूरत होगी ताकि लंबी अवधि में स्थायी सफलता सुनिश्चित हो सके।’
कारोबार पर जेनेरेटिव एआई के प्रभाव के बारे में बात करते हुए करीब 71 फीसदी भारतीय सीईओ ने कहा कि अगले 12 महीनों के दौरान जेनएआई से कर्मचारियों की दक्षता बेहतर होगी, जबकि 70 फीसदी भारतीय सीईओ का मानना था कि इससे उनके खुद के प्रदर्शन में सुधार होगा। करीब 48 फीसदी सीईओ का मानना था इससे राजस्व में वृद्धि होगी जबकि 46 फीसदी सीईओ ने कहा कि जेनएआई से लाभप्रदता में सुधार होगा।
जेनएआई के बढ़ते उपयोग के प्रभाव के बारे में करीब 30 फीसदी सीईओ ने माना कि इससे रोजगार में कमी आएगी, मगर उनका यह भी कहना था कि इसमें रोजगार के नए अवसर सृजित करने की व्यापक क्षमता है। करीब 48 फीसदी सीईओ ने कहा कि जेनएआई का रोजगार पर कोई असर नहीं पड़ेगा और महज 13 फीसदी का मानना था कि इससे रोजगार में वृद्धि होगी।
भारतीय मुख्य कार्याधिकारियों ने नियामकीय, आंतरिक और आपूर्ति श्रृंखला संबंधी बाधाओं से निपटने के लिए अपने कारोबार को नए सिरे से दुरुस्त करने पर भी विचार कर रहे हैं। करीब 61 फीसदी सीईओ ने कहा कि पिछले पांच वर्षों के दौरान उनकी कंपनी ने ग्राहकों की पसंद के अनुसार कारोबार में बदलाव करते हुए मूल्य अर्जित किए हैं। करीब 57 फीसदी सीईओ ने कहा कि तकनीकी बदलाव के कारण कारोबार के तरीके में बदलाव करना पड़ रहा है।