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13-14 फीसदी नॉमिनल जीडीपी!

Last Updated- December 11, 2022 | 10:02 PM IST

वित्त वर्ष 2023 के आम बजट में बढ़ती मुद्रास्फीति की चिंता के बाद भी नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 13 से 14 फीसदी रहने का अनुमान लगाया जा सकता है। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि नॉमिनल जीडीपी ज्यादा रहने के अनुमान से मुद्रास्फीति बढऩे की आशंका होगी, जिससे बाजार में गलत संकेत जा सकता है। वित्त वर्ष 2022 के बजट में नॉमिनल जीडीपी 14.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। हालांकि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा हाल में जारी जीडीपी के पहले अग्रिम अनुमान में वित्त वर्ष 2022 में नॉमिनल जीडीपी 17.6 फीसदी रहने की बात कही गई है, जिसमें 8.4 फीसदी अंतर्निहित जीडीपी घटने का अनुमान है, जिससे संकेत मिलता है कि वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के लिए नॉमिनल जीडीपी वृद्घि को कम करके आंका था। सांख्यिकी कार्यालय ने वास्तविक जीडीपी मूल्य का पता लगाने के मकसद से नॉमिनल जीडीपी कम करने के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक और थोक मूल्य सूचकांक के मिश्रित आंकड़े का उपयोग किया है। 
 
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के हालिया परिवार सर्वेक्षण से पता चलता है कि नवंबर में मुद्रास्फीति अनुमान 2014 के बाद से उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। परिवारों का औसत मुद्रास्फीति अनुमान नवंबर में 20 आधार अंकबढ़कर 10.4 फीसदी रहा। परिवारों का तीन महीने आगे का माध्य मुद्रास्फीति अुनमान सितंबर 2021 के सर्वेक्षण में जताए गए अनुमान की तुलना में 150 आधार अंक बढ़कर 12.3 फीसदी हो गया और साल भर बाद का अनुमान  170 आधार अंक बढ़कर 12.6 फीसदी हो गया। 
 
वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘वित्त वर्ष 2023 के लिए नॉमिनल जीडीपी वृद्घि का अनुमान 13-14 फीसदी से अधिक करना अदूरदर्शी हो सकता है। मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2022 की तुलना में नरम हो सकती है और उच्च नॉमिनल जीडीपी अनुमान से ऐसा संकेत जाएगा कि वित्त वर्ष 2023 में भी हमें मुद्रास्फीति अधिक रहने की आशंका है।’
 
नॉमिनल जीडीपी का मतलब मुद्रास्फीति प्रभाव को ध्यान में रखते हुए मौजूदा बाजार मूल्य पर जीडीपी का मूल्यांकन करना होता है और प्रमुख वृहद आर्थिक संकेतकों जैसे राजकोषीय घाटा तथा कर्ज-जीडीपी अनुमान की गणना के लिए इसे आधार के तौर उपयोग किया जाता है। इससे अर्थव्यवस्था की वित्तीय सेहत का अंदाजा लगता है। ज्यादा नॉमिनल जीडीपी होने से वित्त मंत्री के लिए कम राजकोषीय घाटा दिखाना आसान हो जाता है और नॉमिनल जीडीपी कम रहने पर राजकोषीय घाटा ज्यादा होता है। बिजनेस स्टैंडर्ड के विश्लेषण से पता चलता है कि पिछले 10 साल में बजट में नॉमिनल जीडीपी को आठ गुना ज्यादा करके आंका गया था, जबकि वित्त वर्ष 2022 में इसे कम करके आंका गया था।
 
विश्व बैंक ने अपने हालिया वैश्विक आर्थिक अनुमान में वित्त वर्ष 2023 के लिए भारत के वास्तविक जीडीपी अनुमान को 7.5 फीसदी से बढ़ाकर 8.7 फीसदी कर दिया। इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि निजी क्षेत्र और बुनियादी ढांचे में ज्यादा निवेश तथा मौजूदा सुधारों का अर्थव्यवस्था को लाभ मिलेगा। महामारी की तीसरी लहर, खाद्य पदार्थों एवं ईंधन की ऊंची कीमतों तथा आपूर्ति में बाधा के कारण भारत में मुद्रास्फीति का दबाव बना हुआ है। दिसंबर में थोक मुद्रास्फीति लगातार नवें महीने दो अंक में रही, जबकि खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में पांच महीने के उच्च स्तर 5.6 फीसदी पर रही। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले साल अक्टूबर में कहा था कि वैश्विक स्तर पर जिंसों की ऊंची कीमत और कच्चे माल की लागत बढऩे से भारत की वृद्घि पर जोखिम बना हुआ है।

First Published - January 16, 2022 | 10:03 PM IST

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