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Editorial: टिकाऊ कर व्यवस्था से ही बढ़ेगा भारत में विदेशी निवेशपीएसयू के शीर्ष पदों पर निजी क्षेत्र के उम्मीदवारों का विरोधपहले कार्यकाल की उपलब्धियां तय करती हैं किसी मुख्यमंत्री की राजनीतिक उम्रवित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही के दौरान प्रतिभूतियों में आई तेजीलक्जरी ईवी सेगमेंट में दूसरे नंबर पर जेएसडब्ल्यू एमजी मोटर इंडियाअगले तीन साल के दौरान ब्रिटेन में 5,000 नई नौकरियां सृजित करेगी टीसीएसभारत में 50 करोड़ पाउंड निवेश करेगी टाइड, 12 महीने में देगी 800 नौकरियांसरकार ने विद्युत अधिनियम में ऐतिहासिक संशोधन किया पेश, क्रॉस-सब्सिडी के बोझ से मिलेगी राहतअर्थव्यवस्था बंद कर विकास की गति सीमित कर रहा भारत: जेरोनिम जेटल्मेयरTata Trusts की बैठक में टाटा संस विवाद पर चर्चा नहीं, न्यासियों ने परोपकारी पहल पर ध्यान केंद्रित किया

समुद्री कोष से 2030 तक आएगा 1.5 लाख करोड़ रुपये निवेश

शिप के बिल्डर और मालिक वर्षों से सरकार से समर्थन मांग रहे थे, जो अब बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय से इन सुधारों को लागू किए जाने की दिशा में कदम उठाए जाने की उम्मीद कर

Last Updated- February 03, 2025 | 7:02 AM IST
Union Minister of Ports, Shipping and Waterways Sarbananda Sonowal
केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल

शिपिंग और शिपबिल्डिंग अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में कई घोषणाएं की हैं। इसमें समुद्री विकास कोष (एमडीएफ), बड़ी जहाजों के लिए सस्ता ऋण, रिसाइक्लिंग योजना और औद्योगिक क्लस्टर शामिल है। शिप के बिल्डर और मालिक वर्षों से सरकार से समर्थन मांग रहे थे, जो अब बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय से इन सुधारों को लागू किए जाने की दिशा में कदम उठाए जाने की उम्मीद कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने ध्रुवाक्ष साहा से बातचीत में कहा कि 25,000 करोड़ रुपये का एमडीएफ यात्रा की मजबूत शुरुआत है और इससे 2030 तक 1.5 लाख करोड़ रुपये तक निवेश आएगा। बातचीत के प्रमुख अंश…

एमडीएफ कब शुरू होगा और इसका संचालन कैसे होगा?

25,000 करोड़ रुपये शुरुआती पूंजी के लक्ष्य के साथ हम इसे 2023 तक स्थापित करने की परिकल्पना कर रहे हैं। इसमें 49 प्रतिशत इक्विटी निवेश केंद्र सरकार का होगा और 51 प्रतिशत प्रमुख बंदरगाहों, वित्तीय संस्थाओं, निजी निवेशकों, सॉवरिन फंडों व अन्य स्रोतों से निवेश होगा। इसके अलावा बहुपक्षीय एजेंसियां और अंतरराष्ट्रीय विकास बैंक भी धन मुहैया कराने के संभावित साझेदार हैं। सरकार इसे शुरू करने की दिशा में सक्रियता से काम कर रही है। यह ढांचागत और चरणबद्ध तरीके से लागू होगा। इसके फंड के ढांचे, कानूनी इकाई के प्रकार, निवेश रणनीति, फंड प्रबंधन ढांचे, प्रशासन, अनुपालन व्यवस्था आदि को अंतिम रूप दिया गया है। इस समय इसको कैबिनेट से मंजूरी मिलने का इंतजार है।

शिपबिल्डिंग फाइनैंशियल असिस्टेंस प्लान (एसबीएफएपी) में सरकार क्या पेशकश करेगी?

हमने एसबीएफएपी 2.0 के लिए करीब 18,000 करोड़ रुपये की परिकल्पना की है। इस पूंजी का इस्तेमाल प्राथमिक रूप से शिपबिल्डर्स को वित्तीय सहायता करने के लिए होगा और इससे वे उत्पादन क्षमता बढ़ाने के साथ बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाने और तकनीकी क्षमता बढ़ाने का काम कर सकेंगे। इसमें 2024 से 2034 तक भारत में बने जहाजों के लिए अनुबंधित मूल्य या उचित मूल्य पर सब्सिडी देने का प्रस्ताव है। इसके अलावा इसमें पहले एसबीएफएपी की मौजूदा प्रतिबद्ध देनदारी भी शामिल होगी। संशोधित नीति का प्रमुख पहलू क्रेडिट नोट मैकनिज्म पेश किया जाना है। इस नीति को मंत्रिमंडल की मंजूरी मिलना बाकी है।

पहली शिपबिल्डिंग फाइनैंशियल असिस्टेंस पॉलिसी के सरकार को इच्छित परिणाम नहीं मिले। आपने उससे क्या सीखा और संशोधित नीति में कैसे ठीक किया गया है?

जहाज निर्माण लंबी अवधि का उद्योग है और शिपयार्ड अमूमन ऐसी परियोजनाओं में हाथ डालते हैं, जो बहुवर्षीय होती हैं। इसलिए उद्योग योजना का लाभ लेना चाहते हैं, लेकिन उनकी प्रतिक्रिया और तैयारियां सीमित थीं।

पिछले 2-3 वर्षों में वितरित राशि सहित धन का उठाव बढ़ा है। पहली एसबीएफएपी योजना के तहत भुगतान किया जा रहा है तथा धन की एक बड़ी राशि प्रतिबद्ध देयताओं के रूप में भी आवंटित की गई है, जिसका भुगतान शिपयार्डों को उनके ग्राहकों के साथ अनुबंध पूरा होने के बाद किया जाएगा।

पहली योजना से एक और प्रमुख सीख यह मिली है कि वित्तीय सहायता 40 करोड़ रुपये तक सीमित थी, जो बड़ी और ज्यादा खर्चीली जहाजों को प्रोत्साहित नहीं करती थी, जिसकी वैश्विक स्तर पर मांग थी। एसबीएफएपी 2.0 में इस सीमा को हटा दिया है।

क्या किसी बड़े घरेलू या विदेशी जहाज निर्माता ने शिपबिल्डिंग क्लस्टर कार्यक्रम में शामिल होने में रुचि दिखाई है?

मंत्रालय ने विश्व के अग्रणी जहाज निर्माताओं, विशेषकर दक्षिण कोरिया और जापान की जहाज कंपनियों से संपर्क किया है, जो विश्व में जहाज निर्माण में शीर्ष 3 देशों में शामिल हैं। उद्योग के साझेदारों के साथ मंत्रालय का प्रतिनिधिमंडल उन देशों में गया और उनका प्रतिनिधिमंडल भी भारत आया। राज्य सरकारों और हमारे मंत्रालय के बीच भी कई दौर की चर्चा हुई है।

शिपबिल्डिंग और रिपेयर क्लस्टर को लेकर राज्य सरकारों के साथ क्या योजना है?

समुद्री तट वाले कभी सभी राज्यों ने शिपबिल्डिंग क्लस्टर विकसित करने में दिलचस्पी दिखाईहै। मंत्रालय राज्य सरकारों, डीपीआईआईटी और प्रमुख बंदरगाहों के साथ मिलकर काम कर रही है, जिससे संभावित जगहों को चिह्नित किया जा सके।

बजट की घोषणा के बाद जहाजों को तोड़ने और उनके पुनर्चक्रण क्षेत्र में सरकार कितने निवेश की उम्मीद कर रही है?

2023 में जहाज तोड़ने का वैश्विक बाजार 3.98 अरब डॉलर का था और यह 2032 तक 8.2 सीएजीआर से बढ़कर 7.64 अरब डॉलर का होने का अनुमान है।

First Published - February 3, 2025 | 7:02 AM IST

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