जुलाई में एक कार्यक्रम के दौरान रैपिड फायर राउंड में भारतीय तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह ने कहा था, ‘मेरा पसंदीदा कप्तान खुद मैं हूं।’ यह कहते हुए बुमराह मुस्करा रहे थे मगर बाद में हम सभी ने देखा कि उन्होंने जो कहा वह कर भी दिखाया। ऑस्ट्रेलिया में चल रही बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में बुमराह को टीम की कप्तानी का मौका मिला और उन्होंने अपने हुनर का जौहर दिखाते हुए न सिर्फ टीम को मैच जिताया बल्कि प्लेयर ऑफ द मैच का खिताब भी अपने नाम कर लिया। आस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम को उसकी ही जमीन पर हराना आसान नहीं है और भारत पर्थ के मैदान में उसे हराने वाली पहली टेस्ट टीम बन गया।
उसी शाम कई दूसरे भारतीय गेंदबाजों के नाम भी सुर्खियों में थे मगर वजह मैदान के बाहर थी। असल में अगले साल होने वाले इंडियन प्रीमियर लीग के लिए नीलामी चल रही थी, जिसमें पेसर अर्शदीप सिंह 18 करोड़ रुपये में बिके थे। आईपीएल में इससे पहले कोई भारतीय गेंदबाज इतनी कीमत नहीं वसूल पाया था। उनके साथ युजवेंद्र चहल भी 18 करोड़ रुपये बटोरकर सबसे महंगे स्पिनर बन गए।
इस साल आईपीएल में छह भारतीय गेंदबाजों ने 10 करोड़ रुपये या उससे अधिक की बोली हासिल की है। खेल वेबसाइट ईएसपीएन के आंकड़े बताते हैं कि आईपीएल की दस टीमों ने 71 गेंदबाजों पर करीब 285 करोड़ रुपये खर्च किए और 32 बल्लेबाज करीब 117 करोड़ रुपये में बिके हैं। कुछ साल पहले कोई ऐसा सोच तक नहीं सकता था। भारत को पहली बार विश्व कप का खिताब जिताने वाले कप्तान कपिल देव ने 2012 में कहा था, ‘भारत में बल्लेबाजों का दर्जा अफसर की तरह रहा है और गेंदबाजों का मजदूर की तरह।’ कपिल खुद भी नई गेंद के कारामाती गेंदबाज रहे हैं और किसी जमाने में सबसे ज्यादा टेस्ट तथा एकदिवसीय विकेट लेने के रिकॉर्ड भी उनके नाम थे।
बाद के सालों में धीरे-धीरे महसूस होने लगा कि मैच जिताने में गेंदबाजों की भूमिका कितनी अहम है। बतौर ओपनर टेस्ट क्रिकेट खेल चुके विकेटकीपर और अब कमेंटेटर दीप दासगुप्ता कहते हैं, ‘पिछले कुछ साल में मैच गेंदबाजों के दम पर जीते जा रहे हैं। हो सकता है किसी दिन बदकिस्मती से बल्लेबाज खाता खोले बगैर ही आउट हो जाए मगर गेंदबाज को तो हर मैच में तय ओवर फेंकने ही पड़ते हैं। इसलिए भी फ्रैंचाइजी अब गेंदबाजों पर रकम खर्च करने लगे हैं।’ मगर ब्रांड अब भी अहमियत नहीं समझ रहे।
ब्रांड और विज्ञापन उद्योग ने अब तक गेंदबाजों को उनका वाजिब हक नहीं दिया है। क्रॉल की 2023 की सेलेब्रिटी ब्रांड वैल्यूएशन रिपोर्ट के मुताबिक कई रिकॉर्ड तोड़ चुके धांसू बल्लेबाज विराट कोहली सबसे कीमती सेलेब्रिटी थे, जिनकी ब्रांड के तौर पर कीमत 22.79 करोड़ डॉलर आंकी गई। रिपोर्ट में शीर्ष 25 नामों में भारतीय क्रिकेट कप्तान और ओपनर रोहित शर्मा भी थे मगर वह 4.1 करोड़ डॉलर कीमत के साथ 18वें स्थान पर थे। पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी 9.58 करोड़ डॉलर ब्रांड वैल्यू के साथ इस सूची में सातवें और सचिन तेंडुलकर 9.13 करोड़ डॉलर ब्रांड वैल्यू के साथ आठवें स्थान पर रहे।
अल्केमिस्ट ब्रांड कंसल्टिंग के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर समित सिन्हा कहते हैं, ‘बल्लेबाजों की बात करते हैं तो 11 खिलाड़ियों से अकेले जूझते क्रिकेटर की तस्वीर दिमाग में कौंधती है। इसमें बड़ी हिम्मत और बहादुरी दिखती है, इसलिए ब्रांडों को यह पसंद है।’ हंसा रिसर्च ग्रुप की इसी नवंबर में जारी एक रिपोर्ट बताती है कि कोहली, धौनी और सचिन ने बाकी सभी सेलेब्रिटियों को पछाड़ दिया और 2024 में वे सबसे कीमती सेलेब्रिटी हैं।
क्रॉल की रिपोर्ट में पावर हिटर और हरफनमौला हार्दिक पांड्या भी 3.8 करोड़ डॉलर ब्रांड वैल्यू के साथ ब्रांडों के चहेते क्रिकेटर बनकर उभरे हैं। 2022 और 2021 की रिपोर्ट में भी कमोबेश ऐसा ही नजर आता है। क्रॉल के प्रबंध निदेशक अविरल जैन ने कहा, ‘हमारी रिपोर्ट सेलेब्रिटी के साथ जुड़े ब्रांडों, उनकी शख्सियत, प्रशंसकों की तादाद और सोशल मीडिया पर उनकी छाप के हिसाब से तय की जाती है। जसप्रीत बुमराह ऐसे गेंदबाज हैं, जो शीर्ष 30 में जगह बना सकते हैं।’
जानकारों का कहना है कि बल्लेबाजों के पास उपलब्धियां हासिल करने और रिकॉर्ड बनाने के काफी मौके होते हैं। अर्द्धशतक, शतक, सबसे ज्यादा छक्के, सबसे ज्यादा चौके, सबसे अधिक स्ट्राइक रेट, पावरप्ले के दौरान स्ट्राइक रेट, आखिर तक रुककर मैच जिताने की कुव्वत, डेथ ओवर में ज्यादा से ज्यादा रन बनाना जैसे कई रिकॉर्ड वे अपने नाम कर सकते हैं। एक-एक शॉट के यादगार रीप्ले, उपलब्धि पर मनाए गए जश्न और ऐसे यादगार लम्हे बार-बार दिखाने के साथ भी बल्लेबाज बाजार में अपनी जगह पुख्ता करता जाता है।
खेल पंडित कहते हैं कि गेंदबाज अक्सर धाकड़ और मशहूर कप्तान नहीं बन पाते हैं, इसलिए भी वे सेलेब्रिटी के तौर पर अपनी जगह पुख्ता नहीं कर पाते हैं। इंगलैंड के सबसे चतुर क्रिकेट कप्तानों में शुमार माइक ब्रेयरली अपनी मशहूर किताब ‘दि आर्ट ऑफ कैप्टेंसी’ में लिखते हैं कि गेंदबाजों को कप्तान बनने के बाद बल्लेबाजों के मुकाबले ज्यादा जूझते देखा गया है। वह लिखते हैं, ‘कब गेंदबाजी करनी है यह समझने, अपना पूरा दमखम लगाकर गेंद फेंकने और मौके की नजाकत तथा टीम की जरूरत समझने के लिए अलहदा किस्म की शख्सियत की जरूरत पड़ती है।’
बुमराह के ब्रांड करारों और विज्ञापनों को मैनेजमेंट एजेंसी राइज वर्ल्डवाइड संभालती है और उसके प्रमुख निखिल बर्डिया को लगता है कि खिलाड़ी को चुनते समय ब्रांड कई पहलुओं पर नजर डालते हैं। वह कहते हैं, ‘वैल्यू, प्रदर्शन, कारोबार पर असर और उसके लिए अहमियत तथा ब्रांड और खिलाड़ी के बीच तालमेल सबसे जरूरी होते हैं। उपलब्धियों और आईपीएल जैसी बोलियों से खिलाड़ी की छवि और बेहतर बन जाती है, जिससे उसकी चर्चा होने लगती है।’
फिलहाल विराट 45 ब्रांडों का प्रचार करते हैं और हरेक के लिए वे औसतन 7 करोड़ रुपये फीस लेते हैं। रोहित भी 35 से अधिक ब्रांडों का प्रचार करते हैं और हरेक के लिए वह 4 करोड़ रुपये तक लेते हैं। करीब 20 ब्रांडों का प्रचार करने वाले हार्दिक पांड्या को प्रति ब्रांड औसतन 2.5 करोड़ रुपये फीस मिलती है।
गेंदबाजों की बात करें तो बुमराह के अलावा इक्का-दुक्का नाम ही ब्रांडों का ध्यान खींच पाए हैं। 2023 के विश्व कप के बाद मुहम्मद शमी के लिए तस्वीर बदल गई। टूर्नामेंट में उन्होंने 23 विकेट झटके, जिनमें तीन बार एक ही मैच में 5 विकेट थे। शमी के करार देखने वाली एजेंसी फ्लेयर मीडिया के मुताबिक निश्व कप के बाद उनकी ब्रांड नैल्यू करीब दोगुनी होकर 1 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। सोशल मीडिया पर अनोखी मौजूदगी वाले चहल भी सात-आठ ब्रांडों के साथ सौदा करने में कामयाब रहे हैं।
‘एलेक्सा, प्ले जसप्रीत बुमराह’ (एलेक्सा, जसप्रीत बुमराह की आवाज सुनाओ)। ‘सॉरी, ही इज अनप्लेयेबल’ (माफ कीजिए, उनकी गेंदें खेली ही नहीं जा सकतीं)।
बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी के पहले टेस्ट में पर्थ की पिच पर जब बुमराह की गेंदों ने कहर बरपाया तो सोशल मीडिया पर यह मीम छा गया।
बुमराह इस समय आईसीसी की टेस्ट गेंदबाज रैंकिंग में अव्वल हैं और उनकी कप्तानी तथा मैदान से बाहर की शख्सियत भी चर्चा में बनी हुई है। कोई उन्हें कपिल की टक्कर का उम्दा गेंदबाज बता रहा है तो कोई उन्हें टर्मिनेटर कह रहा है। उन्हें ‘सर्वकालिक महान गेंदबाज’ का तमगा थमाने पर भी बहस चल रही है। मगर कुल मिलाकर वह सुर्खियों में बने हुए हैं। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रृंखला के दौरान कमेंटरी करते हुए महान भारतीय बल्लेबाज सुनील गावसकर ने कहा, ‘यह पीढ़ी कभी-कभी भूल जाती है कि 2000 के पहले भी भारतीय टीमों ने मैच लड़े और जीते हैं।’ मगर ब्रांड सोशल मीडिया और उससे बाहर की गूंज सुन रहे हैं।