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ZEEL Vs SEBI: ज़ी के प्रोमोटर्स को सैट से नहीं मिली तात्कालिक राहत, अगली सुनवाई 19 जून को

सैट अब इस पर 19 जून को सुनवाई करेगा और सेबी को 48 घंटे के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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खुशबू तिवारी   
Last Updated- June 15, 2023 | 9:49 PM IST

प्रतिभूति अपील पंचाट (SAT) ने फंड की कथित हेराफेरी मामले में गुरुवार को एस्सेल समूह के चेयरमैन सुभाष चंद्रा (Essel Group Chairman) और बेटे पुनीत गोयनका को बाजार नियामक सेबी के निर्देशों के खिलाफ तात्कालिक राहत देने से इनकार कर दिया। हालांकि सैट अब इस पर 19 जून को सुनवाई करेगा और सेबी को 48 घंटे के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (Zee Entertainment Enterprises) प्रवर्तकों के वकील ने सेबी के अंतरिम आदेश पर स्थगन की अपील की, जिसने ज़ी के प्रवर्तकों को किसी सूचीबद्ध‍ कंपनी में अहम पद व निदेशक का पद लेने से रोक दिया है।

सैट के पीठ ने कहा, पक्षकारों की वकीलों की दलील सुनने के बाद हमारी राय है कि इस चरण में अंतरिम आदेश जारी करना करीब-करीब अपील की इजाजत होगी। गोयनका का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील ने कहा कि सेबी निष्कर्ष पर पहुंच गया था और उससे इस आदेश पर 14 दिन के स्थगन का अनुरोध किया गया था।

उन्होंने कहा कि सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के साथ ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज के विलय का मामला एनसीएलटी में लंबित है। एनसीएलटी में अगली सुनवाई 16 जून को होनी है।

सूत्रों ने कहा कि ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज एनसीएलटी में इस मामले को टालने की याचिका दे सकती है। विलय के बाद बनने वाली 40,000 करोड़ रुपये वाली इकाई के प्रबंध निदेशक के तौर पर गोयनका पर सहमति बन गई है।

चंद्रा के वकील ने कहा कि ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज का संस्थापक किसी सूचीबद्ध कंपनी के बोर्ड में निदेशक या किसी अहम पद पर नहीं रहे हैं।

ट्रिब्यूनल ने जानना चाहा कि सेबी की तरफ से इस मामले की जांच पूरा करने के कितने वक्त की दरकार है। 12 जून को जारी अंतरिम आदेश में बाजार नियामक सेबी ने आरोप लगाया था कि खुद के फायदे के लिए रकम की हेराफेरी की खातिर उन्होंने निदेशक व अहम प्रबंधकीय पद का दुरुपयोग किया।

सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया के आदेश में कहा गया है, जांच अभी चल रही है, लेकिन किसी सूचीबद्ध कंपनी या उसकी सहायक फर्मों में निदेशक या अहम प्रबंधकीय पद पर उनका बना रहना उन कंपनियों, खास तौर से उसके निवेशकों के हितों के लिए नुकसानदायक हो सकता है।

कमजोर कॉरपोरेट गवर्नेंस का मामला बताते हुए बाजार नियामक ने पाया कि वैयक्तिक स्तर पर गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार पर नियंत्रण के लिए कोई ढांचा नहीं था और चंद्रा व गोयनका ने ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज का इस्तेमाल अपने गुल्लक के तौर पर किया।

सेबी ने आरोप लगाया था कि ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज व एस्सेल समूह की अन्य सूचीबद्ध‍ कंपनियों की परिसंपत्तियों में हेराफेरी में दोनों की प्रत्यक्ष भूमिका थी।

First Published : June 15, 2023 | 9:49 PM IST