Zee Sony Merger: राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) ने जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज (Zee Entertainment Enterprises) और कल्वर मैक्स एंटरटेनमेंट (पहले सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया) के विलय पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
एच वी सुब्बा राव और मधु सिन्हा की एनसीएलटी की मुंबई पीठ ने इस ‘व्यवस्था’ पर आपत्ति जताने वाले कर्जदाताओं की दलीलों को सुनने के बाद सोमवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
इन कर्जदाताओं में एक्सिस फाइनेंस, जेसी फ्लॉवर एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी, आईडीबीआई बैंक, आईमैक्स कॉर्प और आईडीबीआई ट्रस्टीशिप शामिल हैं। दिसंबर, 2021 में जी एंटरटेनमेंट और सोनी पिक्चर्स ने अपने कारोबार का विलय करने पर सहमति जताई थी।
दोनों मीडिया घरानों ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, बीएसई, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) और अन्य क्षेत्रीय नियामकों से अनुमति प्राप्त करने के बाद विलय की मंजूरी के लिए न्यायाधिकरण से संपर्क किया था। एस्सेल समूह के कई ऋणदाताओं द्वारा योजना में प्रतिस्पर्धा नहीं करने का प्रावधान जोड़ने को लेकर आपत्ति जताने के बाद यह प्रक्रिया रुक गई।
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जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड (जेडईईएल) के वकील जनक द्वारकादास ने कहा कि “Zee Sony Merger” को 99.97 प्रतिशत शेयरधारकों के अलावा बीएसई, एनएसई और सीसीआई जैसे नियामकों ने मंजूरी दे दी है।
उन्होंने कहा कि आपत्ति जता रहे लेनदारों के दावों का कुल मूल्य 1,259 करोड़ रुपये है। जी की कुल सार्वजनिक शेयरधारिता 96.01 प्रतिशत है, जिसमें से 70 प्रतिशत सार्वजनिक संस्थानों के पास है। लगभग 25.88 प्रतिशत हिस्सेदारी सार्वजनिक गैर-संस्थानों के पास है, जबकि प्रवर्तकों के पास सिर्फ 3.99 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
एनएसई और बीएसई ने एनसीएलटी की मुंबई पीठ को एस्सेल समूह की इकाइयों के दो आदेशों के बारे में सूचित किया, जिनमें प्रवर्तकों ने सूचीबद्ध इकाइयों के कोष को अपनी सहायक इकाइयों के लाभ के लिए स्थानांतरित किया है।
इनमें प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) का पुनीत गोयनका के खिलाफ जारी आदेश भी शामिल है। सैट ने गोयनका के किसी भी सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक स्तर का पद लेने की रोक लगाई है। सैट ने सेबी के उस आदेश को उचित ठहराया था जिसमें जी एंटरटेनमेंट के प्रवर्तकों सुभाष चंद्रा और पुनीत गोयनका पर किसी सार्वजनिक सूचीबद्ध कंपनी में निदेशक मंडल स्तर का पद लेने की एक साल की रोक लगाई गई थी।
विलय का विरोध करने वाले ऋणदाताओं का कहना है कि इस आदेश का प्रक्रिया में सीधा असर पड़ेगा। योजना का एक आंतरिक हिस्सा गोयनका को विलय के बाद अस्तित्व में आने वाली इकाई का प्रबंध निदेशक नियुक्त करना है। उन्होंने कहा कि गोयनका के इस तरह का पद लेने पर रोक है, ऐसे में विलय योजना आगे नहीं बढ़ सकती।