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आईटी कंपनियों के लिए घर से काम करना सस्ता और पर्यावरण अनुकूल

Last Updated- December 15, 2022 | 1:54 AM IST

क्या कोविड-19 के समय में वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) और स्थानीय तौर पर नियुक्तियों पर जोर दिए जाने से इन्फोसिस, विप्रो, टीसीएस और टेक महिंद्रा जैसी प्रमुख आईटी कंपनियों का कार्बन उत्सर्जन घटा है? इसके अलावा, उनके व्यवसायों के लिए कार्बन उत्सर्जन का मुद्दा मायने क्यों रखता है? परोक्ष तौर पर उत्सर्जन का (जो परिचालन से प्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ नहीं है) भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा उत्सर्जन में बड़ा योगदान है। व्यावसायिक यात्राओं और आवाजाही संयुक्त रूप से इसके लिए मुख्य कारण हैं। यदि यात्रा और दैनिक आवाजाही घटती है तो इससे कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आती है।
कोविड-19 ने आईटी कंपनियों को डब्ल्यूएफएच मॉडल अपनाने के लिए बाध्य किया है। अमेरिका जैसे बाजारों में बढ़ती वीजा सख्ती की वजह से भी उन्हें स्थानीय तौर पर कर्मचारियों को नियुक्त करना पड़ रहा है, जिससे व्यावसायिक यात्रा में कमी आ रही है। इससे लागत बचत को बढ़ावा मिला है। लेकिन अनपेक्षित परिणाम यह है कि मजबूरी में अपनाए गए इन उपायों ने कार्बन उत्सर्जन में कमी की है, और यह व्यवसायों के लिए अच्छा है। वैश्विक कंपनियां न सिर्फ बोली प्रक्रिया के दौरान बल्कि शुरुआती चयन प्रक्रिया में भी कार्बन उत्सर्जन प्रदर्शन को लेकर संभावित विक्रेताओं से जानकारी मांग रही हैं। कंपनियों ने प्रस्तावों के लिए अपने अनुरोध में इस तरह के सवालों को शामिल किया है। इससे बोली जीतने और खोने के बीच अंतर देखा जा सकता है।
इन्फोसिस जैसी आईटी कंपनियां बोली प्रस्तावों में अपने कार्बन उत्सर्जन को लेकर जानकारी पहले से ही दे रही हैं। उनका कहना है कि ग्राहक कार्बन उत्सर्जन विवरण के बारे में पूछताछ कर रहे हैं और कार्बन उत्सर्जन में विफलता का अनुबंध हासिल करने के लिए उनकी दक्षता पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। टेक महिंद्रा के मुख्य सस्टेनेबिलिटी अधिकारी संदीप चांदना का कहना है, ‘अपने अनुबंध नवीकरण के तहत, उन्हें उम्मीद है कि उनके आपूर्तिकर्ता पर्यावरण की दृष्टि से जिम्मेदार होंगे। बोली प्रक्रिया के दौरान उत्सर्जन, ऊर्जा, जल और अपशिष्ट पर डेटा मांगने के संदर्भ में ग्राहकों की संख्या में तेजी आई है।’ हालांकि इन्फोसिस ने इस बारे में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और विप्रो तथा टीसीएस ने भी अभी तक अपनी प्रतिक्रिया नहीं दी है।
बन्र्सटीन के अनुसार, इन्फोसिस का 50 प्रतिशत उत्सर्जन अपरोक्ष है। 80 प्रतिशत अपरोक्ष उत्सर्जन व्यावसायिक यात्राओं और कर्मचारियों की आवाजाही की वजह से है। विप्रो के मामले में उसके कुल कार्बन उत्सर्जन में यात्रा का 37 प्रतिशत योगदान है। टेक महिंद्रा के लिए यह करीब 26.8 प्रतिशत है।
नैसकॉम के अनुसार, आईटी कंपनियों के लगभग 95 प्रतिशत कर्मचारी लॉकडाउन के दौरान घर से काम कर रहे थे। टीसीएस और इन्फोसिस के लिए यह प्रतिशत करीब 99 था। टेक महिंद्रा ने वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही के मुकाले 2021 की पहली तिमाही में व्यावसायिक यात्रा में 90 प्रतिशत तक की कमी की।
कंपनियां वीजा संबंधित समस्याओं और यात्रा खर्च कम करने के लिए अपने व्यवसायों के लिए स्थानीय कर्मियों की नियुक्ति पर जोर दे रही हैं। उदाहरण के लिए, इन्फोसिस ने घोषणा की है कि वह वर्ष 2023 तक 12,000 स्थानीय कर्मचारियों को नियुक्त करेगी। डब्ल्यूएफएच और अन्य पहलों से भारतीय आईटी कंपनियों को राजस्व प्रतिशत के तौर पर यात्रा खर्च घटाने में मदद मिलेगी। बन्र्सटीन के अनुसार, टीसीएस में, वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में इसमें 0.7 प्रतिशत कमी आई, जो वित्त वर्ष 2020 की तीसरी तिमाही में या कोविड-19 लॉकडाउन से पहले 2.1 प्रतिशत था।

First Published - September 15, 2020 | 11:50 PM IST

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