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आखिर टाटा स्टील को ब्रिटेन में मदद क्यों मांगनी पड़ रही है?

ब्रिटेन में बढ़ती मुश्किलों के बीच टाटा स्टील को सहारे की जरूरत क्यों महसूस हो रही है

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ईशिता आयान दत्त   
Last Updated- December 02, 2025 | 9:05 AM IST

टाटा स्टील का पोर्ट टैलबॉट प्लांट इस समय एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है। सितंबर 2024 में यहां की आखिरी बड़ी भट्टी बंद कर दी गई। अब कंपनी पुराने तरीके से स्टील नहीं बनाएगी। उसकी जगह एक नई बिजली से चलने वाली भट्टी लगाई जा रही है जिसे इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस कहा जाता है। यह भट्टी कम प्रदूषण वाला स्टील बनाएगी। इस बदलाव पर लगभग 1.25 बिलियन पाउंड खर्च हो रहा है जिसमें से 500 पाउंड सरकार दे रही है। नया प्लांट साल 2027 के अंत तक तैयार होने की उम्मीद है। जब तक नया प्लांट नहीं बनता कंपनी दूसरे देशों से स्टील की पट्टियां (स्लैब) मंगाकर काम चला रही है जिससे काम और सामान लाने ले जाने की व्यवस्था काफी मुश्किल हो गई है।

बाजार की कमजोर हालत कंपनी की कमाई को कैसे प्रभावित कर रही है?

नई भट्टी लगाने के दौरान कंपनी का खर्च काफी बढ़ गया है, लेकिन इसी समय दुनिया में स्टील के दाम बहुत नीचे आ गए हैं। धीरे धीरे यहां विदेशी सस्ता स्टील ज्यादा मात्रा में आ रहा है, जिससे टाटा स्टील यूके की कमाई पर सीधा असर पड़ा है। कंपनी चाहती थी कि बदलाव का यह समय बिना ज्यादा नुकसान के पूरा हो जाए, लेकिन अब अगले साल की दूसरी तिमाही तक फायदा नुकसान बराबर करना मुश्किल लग रहा है। हाल की तिमाहियों में कंपनी का घाटा बढ़ा है, हालांकि पिछले साल के मुकाबले थोड़ा सुधार जरूर है। कंपनी के MD टी वी नरेंद्रन का कहना है कि सुधार तो होगा, लेकिन धीरे धीरे होगा, क्योंकि बाजार की हालत बहुत कमजोर है।

लागत में कटौती से क्या फायदा हो रहा है?

टाटा स्टील यूके खर्च कम करने के लिए बड़े स्तर पर काम कर रही है। पिछले साल कंपनी ने 200 पाउंड बचाए थे और इस साल भी इतना ही बचाने की योजना है। 1 बिलियन पाउंड की कुल तय लागत में से लगभग 40 प्रतिशत घटा दिया गया है। इसके लिए कंपनी ने कर्मचारियों की संख्या कम की है, कई कॉन्ट्रैक्ट दोबारा बदले हैं और दफ्तर में होने वाले खर्च पर रोक लगाई है। कंपनी का कहना है कि भारी स्टील बनाने वाले पुराने हिस्सों को बंद किए बिना इतनी बचत करना संभव नहीं था। हालांकि खर्च कम होने के बाद भी बाजार में चल रही कमजोरी इन बचतों का पूरा फायदा नहीं होने दे रही है।

UK में बढ़ते आयात से स्थिति क्यों बिगड़ रही है?

ब्रिटेन के स्टील उद्योग की सबसे बड़ी समस्या यह है कि कई तरह के उत्पादों में विदेशी स्टील की आने वाली सीमा घरेलू जरूरत से भी ज्यादा रखी गई है। इसी कारण बाजार में बाहर का सस्ता स्टील भर जाता है। साल 2018 से अब तक ब्रिटेन में फ्लैट स्टील की मांग लगभग 33 प्रतिशत कम हो गई है, लेकिन आयात की सीमा 20 प्रतिशत बढ़ गई है। इससे देश में स्टील के दाम लगातार नीचे जा रहे हैं। टाटा स्टील का कहना है कि सरकार को यूरोप की तरह अपनी व्यापार नीति और आयात नियमों को कड़ा करना चाहिए। नरेंद्रन ने कहा कि अगर सरकार यूरोप जैसी नीतियां अपनाती है, तो कंपनी की स्थिति जल्दी सुधार सकती है।

UK कारोबार लंबे समय से संघर्ष क्यों कर रहा है?

टाटा स्टील ने साल 2007 में कोरस कंपनी को खरीदने के बाद से ब्रिटेन के कारोबार में 6.8 बिलियन पाउंड लगा दिए हैं। यह पैसा प्लांट को बेहतर बनाने, पेंशन की समस्याएं सुलझाने और पुराने नुकसान भरने में खर्च हुआ है। इसके बावजूद कंपनी का कारोबार यहां लगातार दबाव में बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि अगले दो साल तक ब्रिटेन की इकाई को नुकसान झेलना पड़ेगा। यहां कर्मचारियों पर होने वाला खर्च भी बहुत ज्यादा है, इसलिए सरकार की मदद के बिना कंपनी के लिए फायदा नुकसान बराबर करना बहुत मुश्किल हो जाता है।

UK में स्टील उत्पादन लगातार क्यों गिर रहा है?

COVID-19 के समय हुई परेशानियों, रूस और यूक्रेन के युद्ध, बिजली और गैस के संकट और बढ़ती महंगाई ने ब्रिटेन के स्टील उद्योग को भारी नुकसान पहुंचाया है। पिछले चार साल से यहां स्टील का उत्पादन लगातार कम होता जा रहा है। अगले साल यूरोप में एक नया नियम (CBAM) लागू होगा जिससे वहां बाहर से आने वाला स्टील महंगा पड़ जाएगा। इसके बाद कई देश अपना स्टील यूरोप की जगह ब्रिटेन भेजना शुरू कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ब्रिटेन ने अपनी व्यापार नीति को मजबूत नहीं किया, तो आयात का दबाव और बढ़ जाएगा और स्थिति और खराब हो सकती है।

यूरोप में टाटा स्टील की स्थिति बेहतर क्यों मानी जा रही है?

जहां ब्रिटेन में हालत कठिन है, वहीं टाटा स्टील का यूरोप में नीदरलैंड वाला कारोबार बेहतर होता दिखाई दे रहा है। वहां की सरकार ने प्रदूषण कम करने में मदद के लिए कंपनी को €2 बिलियन यूरो का सहारा दिया है। आने वाले पांच साल में कुल 10 में से 6 मिलियन टन क्षमता को हरा स्टील बनाने वाली तकनीक में बदला जाएगा। यूरोप में स्टील के दाम आम तौर पर मजबूत रहते हैं, इसलिए जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में यूरोप वाला कारोबार टाटा स्टील की कमाई को काफी बढ़ा सकता है। इसके मुकाबले ब्रिटेन की इकाई की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सरकार कितना सहयोग देती है।

First Published : December 2, 2025 | 9:00 AM IST