facebookmetapixel
चार घंटे चली चर्चा के बाद संसदीय समिति को इंडिगो के जवाब से संतोष नहीं, उड़ान रद्द होने पर जांच जारीRBI के नए नियमों से ऐक्सिस फाइनैंस में पूंजी निवेश का रास्ता खुला: अमिताभ चौधरीतीन क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक मार्च तक अपने IPO मसौदे जमा करेंगे, सरकार ने दिए दिशानिर्देशनैशनल हेराल्ड मामले में अदालत के संज्ञान न लेने के बाद खरगे बोले: PM अपने पद से दें इस्तीफाविदेश मंत्री एस. जयशंकर ने नेतन्याहू से की मुलाकात, भारत-इजराइल साझेदारी को नई मजबूतीप्रधानमंत्री मोदी को मिला इथियोपिया का सर्वोच्च सम्मान, भारत-अफ्रीका रिश्तों में नया अध्यायAI के दौर में भी दुनिया भर में मानवीय अनुवाद सेवाओं की मांग में जबरदस्त उछालSEBI ने बदला म्यूचुअल फंड खर्च का खेल, निवेशकों को राहत और AMC को संतुलनWTO में MFN को खत्म करने के अमेरिकी प्रस्ताव का विरोध करेगा भारत, बहुपक्षीय व्यवस्था पर टकरावमिलावटी पनीर-खोया पर FSSAI सख्त, होटल-रेस्तरां में उपयोग रोकने के दिए निर्देश

हमें बैंकरों से ऐसी सख्ती की उम्मीद नहीं थी

Last Updated- December 12, 2022 | 12:27 AM IST

बीएस बातचीत
आरबीआई द्वारा श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस और श्रेय इक्विपमेंट फाइनैंस के बोर्डों को अलग किए जाने के एक दिन बाद श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर के प्रवर्तक एवं पूर्व चेयरमैन हेमंत कनोडिय़ा ने ईशिता आयान दत्त के साथ बातचीत में बताया कि भुगतान को आसान बनाने के लिए उन्होंने एनसीएलटी की मदद ली थी। पेश हैं उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:
आरबीआई ने श्रेय इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस और श्रेय इक्विपमेंट फाइनैंस के बोर्डों को हटा दिया है और इसके लिए प्रशासनिक समस्याओं का हवाला दिया है। आपका इस बारे में क्या कहना है?

श्रेय ने हमेशा से उच्च प्रशासनिक मानकों का पालन किया है। यदि आप हमारे बोर्डों को देखें तो पता चलेगा कि हमारे पास उच्च स्तर के पेशेवर हैं। वे ऊंचे ओहदों से आए हैं और हमें कुछ गलह करने की अनुमति नहीं देंगे। हम प्रक्रिया-आधारित संगठन हैं। कंपनी को पूरी तरह से पेशेवरों द्वारा संचालित किया जाता है। दैनिक आधार पर, गतिविधियों में हमारी सक्रियता काफी कम रहती है। लेकिन हमेशा अच्छा करने की संभावना बनी रहती है। प्रक्रियाओं के संदर्भ में (जिसमें आरबीआई ने बदलावों का सुझाव दिया है), हमने इससे संबंधित बदलाव लाने की तुरंत कोशिश की है। इसलिए, हम उत्साहित हैं। पिछले 10 महीनों में भी, जब नकदी प्रवाह के नियंत्रण को लेकर बैंकों के साथ काफी टकराव देखा गया था, कंपनी अपनी प्रक्रिया और प्रणालियों के दम पर 3,000-3,500 करोड़ रुपये हासिल कर सकती थी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस सब को नहीं सराहा गया और सख्त कार्रवाई की गई। यदि हमारा इरादा सही नहीं होता तो हम सभी लेनदारों को ब्याज सहित पूरा पैसा चुकाने के लिए पिछले साल अक्टूबर में एनसीएलटी नहीं गए होते। हमारा यह भी कहना है कि यदि यह स्वीकार्य नहीं है तो कृपया बताएं कि क्या सही है। हम भुगतान की प्रक्रिया आसान बनाने के लिए एनसीएलटी गए और हमने कभी सोचा भी नहीं था कि हमें इस तरह की गंभीर कार्रवाई का सामना करना होगा।
क्या आप यह कह रहे हैं कि एनसीएलटी में जाने की वजह से यह स्थिति पैदा हुई?
इससे बैंकरों में नाराजगी पैदा हुई। लेकिन यह कदम बैंकरों के खिलाफ नहीं था। हम अक्टूबर में नियमित रूप से अपने भुगतान को लेकर सजग रहे थे। इसलिए, हम पर दबाव नहीं पड़ा था। साथ ही इस बारे में कोई दिशा-निर्देश नहीं था जो हमसे जुड़ा हो सकता था। हमने अपने ग्राहकों के लिए मोरेटोरियम भी बढ़ाई थी।

आरबीआई ने संभावित संबद्घ पक्ष के 8,576 करोड़ रुपये के लेनदेन को हरी झंडी दिखाई और श्रेई ने कहा कि वह शर्तों का पुन: आकलन करेगी। क्या ऐसा किया गया था?
संबद्घ पक्ष ने कंपनीज अधिनियम और इंड-एएस के अनुरूप कार्य किया। कंपनी ने पिछले कई वर्षों से दिशा-निर्देशों पर अमल किया है। ये ऋण 2-3 महीने में नहीं दिए गए थे, ये 2015 के समय के दौरान दिए गए ऋण थे। कई ढांचागत वित्त को संबद्घ पक्ष के तौर पर दिखाया गया है, लेकिन यदि हम पुनर्गठन नहीं करते, तो हम अपना भुगतान अलग नहीं करते। आरबीआई ने कहा कि इसे संबद्घ पक्ष के तौर पर समझा जाएगा। इसलिए, हमारा कहना है कि हम इसे संभावित संबद्घ पक्ष के तौर पर दिखा रहे हैं और हम इससे बाहर निकलेंगे। हालांकि इन ऋणों से बाहर निकलने में समय लगेगा।

केपीएमजी ऋणदाताओं के लिए फॉरेंसिक ऑडिट कर रही थी। क्या निष्कर्ष सामने आए थे और क्या ऋणदाताओं को उसके बाद कर्ज समाधान को लेकर मदद मिली थी?
हमें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। इस बारे में हमारे साथ चर्चा नहीं की गई।

लेकिन क्या ऑडिट सितंबर में पूरा  हो गया?
नहीं, ऐसा नहीं हुआ है। यह तीन महीने पहले ही शुरू हुआ है।

सोमवार को श्रेई के बयान में आरबीआई के कदम के बाद कानूनी सहारा लिए जाने का संकेत दिया गया। क्या आप अदालत जा रहे हैं?
हम यह नहीं पता। हमारी टीम और वकील इस बारे में चर्चा कर रहे हैं।

First Published - October 6, 2021 | 11:30 PM IST

संबंधित पोस्ट