गांवों के मॉल भी काट रहे हैं माल

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 2:02 PM IST

रिटेल स्टोरों में शॉपिंग करना अब ग्रामीणों की भी पहली पसंद बनता जा रहा है। खेती में हो रही अच्छी कमाई का असर ग्रामीण इलाकों में स्थित रिटेल चेन्स पर साफ दिखाई देने लगा है।


दैनिक उपभोग के उत्पाद (एफएमसीजी), किराना, टिकाऊ उपभोक्ता सामान और कपड़ा बाजार काफी तेजी से विकास कर रहा है। हालांकि शहरों में स्थित रिटेल स्टोरों को आर्थिक मंदी, बढ़ती महंगाई दर और ब्याज दर में हुई बढ़ोतरी के कारण ग्राहकों की बेरुखी का सामना करना पड़ रहा है।

डीसीएम श्रीराम कंपनी के हरियाली किसान बाजार के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने कहा, ‘गेहूं और चावल के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि होने के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों के मुकाबले कमाई में ज्यादा इजाफा हुआ है। पिछले एक साल में दाल, चावल और दूध के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है। आज किसानों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसा है।’

कंपनी के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और महाराष्ट्र में लगभग 180 स्टोर हैं। कंपनी के इन स्टोरों में एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री में 30-40 फीसदी का इजाफा हुआ है। अप्रैल -जून की तिमाही में किराना उत्पादों की बिक्री में भी तीन आंकड़ों में वृद्धि हुई है।

आईटीसी की एग्री बिजनेस के मुख्य  कार्यकारी एस शिवकुमार ने बताया, ‘इस साल अप्रैल जून की तिमाही में एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री में लगभग 25 फीसदी का इजाफा हुआ है। यह पिछले कई साल के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं। खेतों में हो रही पैदावार की अच्छी कीमत मिलने से और किसानों के लिए सरकार की तरफ से किए जा रहे प्रयासों के कारण किसानों की कमाई में भी इजाफा हुआ है।’ कंपनी के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में 13 स्टोर हैं।

खाद्य पदार्थों की कीमत में बढ़ोतरी होना ही इसकी मुख्य वजह नहीं है। बल्कि रिलायंस, स्पेन्सर्स और सुभिक्षा जैसी बड़ी रिटेल कंपनियां अब कच्चा माल किसानों से सीधे खरीदती हैं। इससे किसानों को बिचौलियाें को भी कमीशन नहीं देना पड़ता है। खेती से हुई कमाई पर सरकार भी टैक्स नहीं लगाती है। सरकार की कर्जमाफी योजना से भी किसानों की खर्च करने योग्य कमाई में इजाफा हुआ है। इसके अलावा खाद्य उत्पादों की पैदावार बढ़ाने के लिए भी सरकार ने लगभग 5,000 करोड़ रुपये की राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अभियान की भी घोषणा की है।

इस कारण अगर ग्रामीण क्षेत्रों में एफएमसीजी उत्पादों की बिक्री में इजाफा हो तो इसमें कोई हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए। गुप्ता ने कहा, ‘जब खर्च करने वाली कमाई में इजाफा होता है तो इसका एक अच्छा हिस्सा कपड़ो, एफएमसीजी उत्पादों और पढ़ाई पर खर्च किया जाता है। मुझे लगता है कि हम इसी दौर से गुजर रहे हैं। इसके साथ ही सरकार की ऋण माफी योजना से भी किसानों को फायदा हुआ है।’

First Published : July 29, 2008 | 11:45 PM IST