Vedanta vs OCCRP: अदाणी समूह के बाद अनिल अग्रवाल समर्थित वेदांत समूह पर भी ऑर्गनाइज्ड क्राइम ऐंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (ओसीसीआरपी) ने आरोप लगा दिए हैं। उसकी रिपोर्ट में कहा गया है कि वेदांत ने तेल एवं खनन उद्योग के लिए पर्यावरण सुरक्षा के मानदंड नरम कराने के लिए भारत सरकार को चुपचाप मना लिया। इसमें सरकार पर भी समूह के कहने पर कानून में खामोशी से संशोधन करने का आरोप लगाया गया है।
भारतीय उद्योग समूहों पर आज जारी ओसीसीआरपी की दूसरी रिपोर्ट में कहा गया कि वेदांत के अग्रवाल ने नीति में परिवर्तन कराने की कोशिश की ताकि खनन कंपनियों को पर्यावरण के लिए नए सिरे से मंजूरी हासिल किए बगैर ही उत्पादन 50 फीसदी तक बढ़ाने की इजाजत मिल सके।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि अग्रवाल ने जनवरी 2021 में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर को एक पत्र लिखकर कहा था, ‘खनन संबंधी नीति में बदलाव से तत्काल उत्पादन बढ़ने तथा आर्थिक वृद्धि होने के साथ ही सरकार को भारी भरकम राजस्व भी मिलेगा। रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।’
ओसीसीआरपी ने कहा कि अग्रवाल ने यह सुझाव भी दिया कि केवल एक अधिसूचना जारी कर ये बदलाव किए जा सकते हैं। वेदांत ने आज जारी बयान में आरोपों को न तो कबूल किया और न ही खारिज किया मगर कंपनी के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमारी कंपनी पर्यावरण का ध्यान रखते हुए देश में ही उत्पादन बढ़ाकर आयात कम करने के लक्ष्य के साथ काम करती है। इसे ध्यान में रखते हुए कंपनी राष्ट्र के विकास के लिए तथा भारत को प्राकृतिक संसाधनों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के लिए समय-समय पर सरकार को सुझाव देती रहती है।’
वित्त वर्ष 2023 के लिए वेदांत की ‘सस्टेनेबिलिटी रिपोर्ट’ के अनुसार कंपनी ने दबाव बनाने, अपने हित साधने या ऐसे किसी भी काम के लिए पिछले चार साल में एक पाई भी खर्च नहीं की। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2023 में स्थानीय, क्षेत्रीय या राष्ट्रीय राजनीतिक अभियानों और उम्मीदवारों पर 1,550 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2022 में 1,230 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2020 में 1,140 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। कंपनी ने कहा कि वित्त वर्ष 2021 में उसने इस मद में कुछ भी खर्च नहीं किया था।
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ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि अग्रवाल का पत्र मिलने के बाद ‘जावडेकर फौरन हरकत में आ गए’। उन्होंने अग्रवाल के पत्र पर ‘अति महत्त्वपूर्ण’ लिखकर अपने मंत्रालय के सचिव और वन महानिदेशक को नीतिगत मसले पर बात करने के लिए कहा। खबर लिखे जाने तक पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई थी।
ओसीसीआरपी की रिपोर्ट में वेदांत की तेल कंपनी – केयर्न ऑयल ऐंड गैस पर भी तेल अन्वेषण परियोजनाओं के लिए जनसुनवाई रद्द कराने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया गया। रिपोर्ट में कहा गया, ‘खनन में सरकार ने जनसुनवाई के बगैर ही चुपचाप कानून बदल दिया। उसके बाद से राजस्थान के उत्तरी रेगिस्तान में केयर्न की कम से कम छह परियोजनाओं को हरी झंडी दी गई है।’