टीका बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक नाक से दिए जाने वाले अपने टीके (इन्ट्रानेजल वैक्सीन) बीबीवी154 का परीक्षण तीन चरणों में कर रही है। कंपनी का यह टीका फिलहाल परीक्षण के दूसरे चरण में है। हैदराबाद की यह कंपनी अपना टीका तीन विभिन्न रूपों में आजमाएगी। कंपनी सबसे पहले टीके के असर का अध्ययन करने के लिए दो खुराक नाक से देगी। दूसरे प्रयोग के तौर पर कोवक्सीन की खुराक लगाने के बाद नेजल वैक्सीन लगाई जाएगी। तीसरे प्रयोग में पहले नेजल वैक्सीन की खुराक दी जाएगी और फिर कोवैक्सीन लगाई जाएगी।
इस परीक्षण की मदद से यह समझने की कोशिश की जाएगी कि इनमें कौन सा मिश्रण अधिक कारगर रहता है और शरीर में लंबे समय तक प्रतिरोधी क्षमता बनाए रखता है। इस लिहाज से इन्ट्रानेजल वैक्सीन का इस्तेमाल कोवैक्सीन के टीके के साथ आजमाया जाएगा। कोवैक्सीन टीका मांशपेशी में लगाया जाएगा। इस परीक्षण की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने कहा, ‘नेजल वैक्सीन दो खुराक के रूप में दी जा सकती है मगर कंपनी यह परीक्षण कर रही है कि कोवैक्सीन के साथ इसका इस्तेमाल असरदार रहता है या नहीं। कुल मिलाकर कंपनी अपने नेजल वैक्सीन का इस्तेमाल कोवैक्सीन के साथ एक अधिक टिकाऊ प्रतिरोधी क्षमता बनाने के लिए करेगी।’
समाचार लिखे जाने तक भारत बायाटेक ने इस संबंध में बिज़नेस स्टैंडर्ड के सवाल का जवाब नहीं दिया था। हालांकि दोनों टीकों के कार्य करने का तरीका अलग-अलग है और वे थोड़ी भिन्न प्रतिरोधी विकसित करते हैं।
अशोक यूनिवर्सिटी में वरिष्ठ विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील ने कहा कि श्वास नली में विभिन्न प्रकार की ऐंटीबॉडी मौजूद रहती हैं जिन्हें आईजीए ऐंटीबॉडी कहा जाता है, जो रोगाणुओं से सुरक्षा देती हैं। जमील ने कहा, ‘अगर कोई टीका मांशपेशी में लगाया जाता है तो आईजीए ऐंटीबॉडी पर्याप्त मात्रा में नहीं बन पाती है।’ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) में सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च इन वाइरोलॉजी के पूर्व प्रमुख जैकब जॉन ने नेजल वैक्सीन के बारे में कहा कि नेजल वैक्सीन दो कारणों से एक अच्छा प्रयोग है। यह स्टराइल इम्युनिटी (शरीर में रोगाणु एवं विषाणु को प्रतिरूप तैयार करने से रोकने वाली प्रतिरोधी क्षमता) तैयार करती है और इसे लगाना भी आसान होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब किसी व्यक्ति की श्वास नली में स्टराइल इम्युनिटी विकसित हो जाती है जिससे उस व्यक्ति से संक्रमण नहीं फैलता है। इस पूरे मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने कहा कि दूसरे चरण के परीक्षण के लिए जरूरी लोग उपलब्ध हैं। करीब 650 लोग इस परीक्षण का हिस्सा हो सकते हैं। पहले चरण में 175 लोगों पर परीक्षण किया गया था। इस बीच, भारत बायोटेक ने बच्चों पर कोवैक्सीन टीके का परीक्षण पूरा कर लिया है। कंपनी इस वक्त उपलब्ध आंकड़ों का अध्ययन कर रही है और उसके बाद नियामकों इनकी समीक्षा के लिए सौंपेगी।
