बिज़नेस-टू-बिज़नेस ई-कॉमर्स स्टार्टअप उड़ान ने भारत की सबसे बड़ी बिस्कुट विनिर्माता पार्ले प्रॉडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई)में शिकायत दर्ज की है। उड़ान ने शिकायत में आरोप लगाया है कि पार्ले अपनी दबदबे की हैसियत का दुरुपयोग कर रही है और बिना किसी स्पष्ट वजह के उसे अपने रोजमर्रा के उत्पादों की आपूर्ति करने से इनकार कर रही है।
पार्ले विश्व मेंं सबसे ज्यादा बिकने वाले बिस्कुट में से एक ‘पार्ले-जी’ की विनिर्माता है, जिसका उसके कुल कारोबार में 50 फीसदी से ज्यादा योगदान है। पार्ले का भारत में ग्लूकोज बिस्कुट के बाजार में दबदबा है। इसके पार्ले-जी बिस्कुट का स्टॉक करना छोटे एवं मझोले दुकानदारों और उड़ान जैसे प्लेटफॉर्म के लिए बहुत जरूरी होता है।
उड़ान ने कहा है कि इस वजह से उसे खुले बाजार से पार्ले के उत्पाद खरीदने पड़ रहे हैं। इससे वह पार्ले के उन अन्य मौजूदा वितरकों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रही है, जो पार्ले से सीधे बिस्कुट खरीद सकते हैं। इससे उड़ान की प्रतिस्पर्धी क्षमता घटी है और लागत बढ़ी है। इससे उड़ान से उत्पाद खरीदने वाले छोटे दुकानदारों की तादाद भी घट रही है।
शिकायत में कहा गया है कि पार्ले का उड़ान को पार्ले-जी एसकेयू की आपूर्ति करने से लगातार इनकार करना साफ तौर पर सौदे से इनकार का मामला है और और इस तरह अधिनियम की धारा 4(2) के तहत दबदबे का दुरुपयोग है। इस शिकायत को बिज़नेस स्टैंडर्ड ने भी देखा है। इस बारे में पार्ले को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला। उड़ान के प्रवक्ता ने इस घटनाक्रम पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उड़ान ने शिकायत में आरोप लगाया कि पार्ले का चुनिंदा वितरकों के साथ समझौते करना और उड़ान के साथ सीधे सौदे करने से इनकार करना तथा उसे खुले बाजार में पार्ले के वितरकों से उत्पाद खरीदने को बाध्य करना ‘जानबूझकर सौदे से इनकार करने’ का मामला है।
यह अधिनियम की धारा 3 (4) के हिसाब से प्रतिस्पर्धा रोधी है, जिसका भारत में प्रतिस्पर्धा पर काफी प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उड़ान ने आरोप लगाया कि वह ‘निष्पक्ष और न्यायोचित’ तरीके से मामले के समाधान के लिए पार्ले के साथ 24 महीनों से बातचीत कर रही है, लेकिन पार्ले लगातार भेदभाव कर रही है। इसने कहा कि बी2बी ई-कॉमर्स एक नया कारोबारी मॉडल है। यह छोटे दुकानदारों की समस्या का समाधान करता है, जो इस भेदभाव से प्रभावित हो रहे हैं।
हाल में सीसीआई ने देश की सबसे बड़ी कार विनिर्माता मारुति सुजूकी इंडिया लिमिटेड (एमएसआईएल) पर गैर-प्रतिस्पर्धी गतिविधियों के लिए 200 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। यह मामला डीलरों को कारों पर छूट देने के लिए बाध्य करने से संबंंधित था। सीसीआई के अगस्त के आदेश में डीलरों और मारुति के अधिकारियों के बीच बहुत से ईमेल के आदान-प्रदान के अंश: शामिल किए गए थे। इनसे यह साफ हो गया कि छूट पर नियंत्रण डीलरों का नहीं बल्कि मारुति का था।