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अमेरिका जा रहा है टॉप टैलेंट, भारत के ‘ब्रेन ड्रेन’ पर बोले सचिन बंसल; कहा- देश में AI डेवलपमेंट के लिए चाहिए बड़ा निवेश

Sachin Bansal on India's brain drain: सचिन बंसल ने चीनी टेक्नोलॉजी स्टार्टअप 'DeepSeek' का उदाहरण दिया, जिसने कम लागत में OpenAI को चुनौती देने वाला एक LLM डेलवप किया।

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पीरज़ादा अबरार   
Last Updated- March 07, 2025 | 9:58 AM IST

Sachin Bansal on India’s brain drain: फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर और टेक दिग्गज सचिन बंसल ने कहा कि भारतीय कंपनियों के पास आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) फाउंडेशन मॉडल और लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLMs) डेवलप करने का बड़ा अवसर है। हालांकि, इसके लिए भारी कैपिटल इन्वेस्टमेंट, प्रतिबद्धता और कुशल प्रतिभा (skilled talent) की जरूरत होगी।

बंसल ने गुरुवार रात Redseer की ओर से आयोजित बेंगलुरु के एक कार्यक्रम में कहा, “मैं इस बारे में काफी सोचता हूं, लेकिन LLMs बनाने को लेकर चुनौती ये है कि यह एक फुल टाइम जॉब है, इसे साइड प्रोजेक्ट की तरह नहीं किया जा सकता। इसके लिए बहुत ज्यादा पैसे की जरूरत होती है,” अगर आप टैलेंट और पैसा एक साथ ला सके हैं यह एक मौका है और भारतीय ऐसा कर सकते हैं।

बंसल ने चीनी टेक्नोलॉजी स्टार्टअप ‘DeepSeek’ का उदाहरण दिया, जिसने कम लागत में OpenAI को चुनौती देने वाला एक LLM डेलवप किया। उन्होंने कहा कि बेंचमार्क लगातार बदल रहे हैं। लेकिन समस्या यह है कि गोल पोस्ट लगातार बदल रहा है। अगर आप कल के बेंचमार्क को पूरा करने में सक्षम है, तो बेंचमार्क लगातार बदल रहा है।

‘ब्रेन ड्रेन’ एक बड़ी चुनौती

सचिन बंसल ने प्रतिभा पलायन (Brain Drain) यानी भारतीय टैलेंट का विदेशों में जाने को एक बड़ा चैलेंज बताया है। बंसल ने कहा, “मैंने IIT से कंप्यूटर साइंस में ग्रेजुएशन किया, और मेरे बैच के 80% लोग भारत से बाहर हैं। वे या तो प्रोफेसर हैं, या गूगल जैसी कंपनियों में AI पर काम कर रहे हैं, या फिर अपना स्टार्टअप चला रहे हैं। हमारा बेस्ट टैलेंट अमेरिका चला जा रहा है।”

इसके विपरीत, चीन और ताइवान में प्रतिभाशाली लोग वापस आकर DeepSeek, Baidu और TSMC (Taiwan Semiconductor Manufacturing Company Limited) जैसे घरेलू टेक प्लेटफॉर्म बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीयों ने अमेरिका में बड़ी सफलता पाई है और वहां शीर्ष पदों पर हैं, जबकि चीनी टैलेंट की मौजूदगी अमेरिका में तुलनात्मक रूप से कम है। हालांकि, चीन में घरेलू स्तर पर AI और टेक्नोलॉजी का तेजी से विकास हो रहा है। बंसल ने कहा, “भारतीय दुनिया के बाहर बड़े AI प्रोजेक्ट बना रहे हैं, हमें किसी को इस विजन को आगे बढ़ाने की जरूरत है।”

भारत का अपना AI फाउंडेशन मॉडल जल्द

30 जनवरी 2025 को केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की थी कि भारत अगले 8-10 महीनों में अपना ‘संप्रभु फाउंडेशन मॉडल’ (Sovereign Foundation Model) तैयार करेगा। MeitY (इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय) पिछले 18 महीनों से AI फाउंडेशन मॉडल के विकास पर काम कर रहा है। इसे मार्च 2024 में केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी दिए गए 10,372 करोड़ रुपये के ‘INDIAai मिशन’ के तहत डेवलप किया जा रहा है।

UPI क्रांति और Navi का विस्तार

फ्लिपकार्ट छोड़ने के बाद सचिन बंसल ने 2018 में ‘Navi Technologies’ नामक फिनटेक स्टार्टअप शुरू किया। 2018 में जब वॉलमार्ट (Walmart) ने 16 अरब डॉलर में फ्लिपकार्ट में हिस्सेदारी खरीदी, तो बंसल और उनके को-फाउंडर बिन्नी बंसल अरबपति बन गए और शुरुआती निवेशकों को बड़ा मुनाफा मिला।

बंसल ने कहा कि Navi का विजन वित्तीय सेवाओं (financial services) को बड़े पैमाने पर लोगों तक पहुंचाना है।
PhonePe, Google Pay और Paytm के बाद Navi भारत का चौथा सबसे बड़ा UPI ऐप बन चुका है। उन्होंने नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) और सरकार को धन्यवाद दिया, जिन्होंने छोटे फिनटेक खिलाड़ियों को UPI मार्केट में प्रतिस्पर्धा करने में मदद की। बंसल ने कहा, “NPCI और सरकार ने छोटे खिलाड़ियों की मदद के लिए प्रयास किए हैं, और हम इस प्रयास के सबसे बड़े लाभार्थी हैं।”

भविष्य में क्रेडिट आधारित होंगे UPI ट्रांजैक्शन

सचिन बंसल का अनुमान है कि अगले पांच वर्षों में UPI ट्रांजैक्शन का बड़ा हिस्सा ‘क्रेडिट ड्राइवेन’ होगा। अभी बैंक अकाउंट से भुगतान किया जाता है, लेकिन भविष्य में अधिकतर भुगतान क्रेडिट प्रोडक्ट्स से होंगे। उन्होंने बताया कि Navi ने UPI को अपने बिजनेस का केंद्र बिंदु (front and center) बनाया है, जबकि दूसरी कंपनियों ने इसे साइड एक्टिविटी की तरह ट्रीट किया।

बंसल ने कहा कि Amazon, Flipkart और WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म पर UPI ढूंढना भी मुश्किल है। किसी ने UPI को अपने बिजनेस का मुख्य हिस्सा नहीं बनाया, लेकिन हमने इसे केंद्र में रखा और पूरी ताकत से इसे बढ़ाया है। उन्होंने कहा कि UPI की असली कहानी अभी पूरी नहीं हुई है और आने वाले वर्षों में इसमें बड़े बदलाव होंगे।

First Published : March 7, 2025 | 9:58 AM IST