कोविड महामारी के दौर में डिजिटल भुगतान में आई तेजी के बीच घडिय़ां एवं आभूषण बनाने वाली कंपनी टाइटन ने ऐसी घडिय़ां उतारी हैं जिनसे संपर्क में आए बगैर भुगतान किया जा सकता है।
कंपनी ने इस घड़ी को ‘टाइटन पे’ का नाम दिया है। कंपनी ने घड़ी के जरिये भुगतान करने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के साथ भागीदारी की है। एसबीआई के योनो खाताधारकों संपर्क रहित पीओएस मशीनों पर टाइटन पे घड़ी को टैप कर आसानी से भुगतान कर सकते हैं और उन्हें स्वाइप करने या बैंक के कार्ड की जरूरत नहीं पड़ेगी।
टाइटन ऐसी घड़ी के विकास में करीब 2 वर्षों से लगी हुई थी लेकिन महामारी फैलने के बाद उसने इसे जल्द लाने की कोशिशें तेज कर दी। टाइटन की मुख्य कार्याधिकारी (घड़ी एवं पहनने वाले उत्पाद) सुपर्णा मित्रा कहती हैं, ‘हमारा पहले से ही मानना था कि ऐसे उत्पाद का भविष्य है और कोविड ने अचानक ही यह दिखा दिया कि भविष्य आ चुका है।’
स्टार्टअप टैपी टेक्नोलॉजिज ने घड़ी के पट्टे में लगने वाली सुरक्षित एनएफसी चिप विकसित की है। इस चिप की वजह से घड़ी से किसी पीओएस मशीन को छुए बगैर भी भुगतान संभव हो पाता है। इस चिप को किसी भी पहने जाने वाले उत्पाद में लगाकर उसे स्मार्ट भुगतान उपकरण बनाया जा सकता है।
एसबीआई के योनो ऐप का इस्तेमाल करने वाले ग्राहकों के लिए ‘वियरेबल्स’ का विकल्प आएगा जिसे चुनने के बाद भुगतान की प्रक्रिया को तीन चरणों में पूरा किया जा सकता है।
जब कोई व्यक्ति इस घड़ी को मास्टरकार्ड-सक्षम पीओएस मशीन के पास ले जाता है तो वह पिन नंबर दर्ज किए बगैर ही 2,000 रुपये तक का भुगतान कर सकता है। इन घडिय़ों के जरिये भुगतान की सुविधा देश भर में करीब 20 लाख मास्टरकार्ड-सक्षम पीओएस मशीनों पर उपलब्ध होगी।
अगर यह घड़ी खो जाती है या चोरी हो जाती है तो ग्राहक को फौरन इसकी सूचना बैंक को देनी होगी। वह योनो ऐप के जरिये भी घड़ी में लगे चिप को ब्लॉक कर सकता है। एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार ने इसे पूरी तरह सुरक्षित उत्पाद बताते हुए कहा, ‘इस घड़ी के जरिये अधिकतम 2,000 रुपये तक की ही भुगतान सीमा होने से ग्राहक को बड़े नुकसान की भी चिंता नहीं होगी।’
टाइटन ने इस रेंज की घडिय़ों की कीमत 2,995 रुपये से लेकर 5,995 रुपये तक रखी है। इन घडिय़ों को टाइटन की वेबसाइट से ही खरीदा जा सकता है। टाइटन के प्रबंध निदेशक सी के वेंकटरमन कहते हैं, ‘टाइटन डिजाइन एवं नवाचार के मामले में हमेशा ही अव्वल रहा है। हमने हमेशा ही अपने उपभोक्ताओं की बदलती जरूरतों का ध्यान रखते हुए नए उत्पाद उतारे हैं। इस घड़ी के लिए एसबीआई एकदम सही साझेदार है।’ टाटा समूह की कंपनी टाइटन ने अपनी पहली स्मार्ट घड़ी 2016 में उतारी थी। कोविड के दौरान लगे लॉकडाउन में उसकी बिक्री पर काफी बुरा असर पड़ा है। पहली तिमाही में उसका राजस्व 89 फीसदी तक गिर गया। बिक्री बढ़ाने के लिए कंपनी उपहार देने की रणनीति पर काम कर रही है।