Tyre price hike in India: भारत में टायर की मैन्युफैक्चरिंग करने वाली प्रमुख कंपनियां लगातार तीसरी तिमाही में कीमतें बढ़ाने की तैयारी कर रही हैं। कच्चे माल की बढ़ती लागत, विशेष रूप से प्राकृतिक रबर (natural rubber) की कीमतों में लगातार हो रही वृद्धि की भरपाई के लिए कीमतें बढ़ाने की योजना है।
महंगाई के दबाव के चलते इनपुट लागत बढ़ गई है, जिससे सीएट (CEAT) और जेके टायर (JK Tyre) जैसी कंपनियों के प्रॉफिट मार्जिन पर असर पड़ा है। हालांकि रेवेन्यू में स्थिर वृद्धि हो रही है। इस कारण से दोनों कंपनियों ने लागत का कुछ बोझ उपभोक्ताओं पर डालने का फैसला लिया है।
CEAT ने हाल ही में अपने पैसेंजर और कमर्शियल टायर सेगमेंट में कीमतों में 3-4 प्रतिशत का इजाफा किया है। कंपनी ने मौजूदा तिमाही में कीमतों में और वृद्धि की योजना बनाई है। अपनी ताजा अर्निंग रिपोर्ट में, कंपनी ने दूसरी तिमाही में रिकॉर्ड 3,300 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया। सालाना आधार पर कंपनी का रेवेन्यू 8.2 प्रतिशत बढ़ा है। हालांकि, बढ़ती इनपुट लागत के कारण इसका ऑपरेटिंग मार्जिन FY25 के पहली तिमाही के 12.47 प्रतिशत से घटकर दूसरी तिमाही में 11.71 प्रतिशत हो गया।
CEAT के सीएफओ कुमार सुब्बैया ने कहा, “इन लागत दबावों को प्रबंधित करने के लिए हमने सभी सेगमेंट में कीमतें बढ़ाई हैं और अगली तिमाही में और वृद्धि की उम्मीद है।” कंपनी के ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर (OEM) डिवीजन ने भी 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की है। हालांकि, इसका असर अगली तिमाही में पूरी तरह से दिखाई देगा।
इसी तरह, JK Tyre भी लागत दबाव से जूझ रही है और पिछली दो तिमाहियों में लगभग 3-4 प्रतिशत की “अंडर-रिकवरी” दर्ज की है। कंपनी ने अक्टूबर और नवंबर में 1-2 प्रतिशत की चुनिंदा मूल्य वृद्धि की है और तीसरी तिमाही में और बढ़ोतरी पर विचार कर रही है।
JK Tyre के प्रबंध निदेशक अंशुमान सिंघानिया ने कहा कि कंपनी ने लागत की कुछ हद तक भरपाई की है, लेकिन बाजार की स्थिति को लेकर सतर्क है। उन्होंने कहा, “हमें उम्मीद है कि रबर की कीमतों में हालिया सुधार से कुछ राहत मिलेगी, लेकिन हम जरूरत पड़ने पर सावधानीपूर्वक कीमतों में इजाफा करने के लिए तैयार हैं।”
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JK Tyre के ऑपरेटिंग मार्जिन में भी गिरावट आई है, जो FY25 की पहली तिमाही के 12.81 प्रतिशत से घटकर FY25 की दूसरी तिमाही में 10.69 प्रतिशत हो गया है।
CEAT और JK Tyre दोनों का कहना है कि रिप्लेसमेंट टायर बाजार में मजबूत मांग कीमतों में बढ़ोतरी के प्रभाव को कम करने में मदद कर रही है। सिंघानिया ने कहा, “हमें मांग पर बहुत अधिक प्रभाव की उम्मीद नहीं है, खासकर रिप्लेसमेंट बाजार में, जहां आंतरिक मांग मजबूत बनी हुई है।”
हालांकि, उद्योग विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि प्राकृतिक रबर की कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव उद्योग के लिए चुनौती बना हुआ है। अखिल भारतीय रबर उद्योग संघ के अध्यक्ष शशि सिंह ने कहा, “प्राकृतिक रबर की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव देखा गया है, जिसमें 13 प्रतिशत की कमी के बाद 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई।”
सिंह ने कहा, “निर्माता इन लागतों को तेजी से वहन नहीं कर सके, जिससे मार्जिन पर दबाव बढ़ा और सप्लाई चेन बाधित हुई। इसे और जटिल बना रही है भारत की वर्तमान रबर की कमी, जो केवल उच्च टैरिफ पर आयात के माध्यम से पूरी हो रही है।”
सिंह ने बताया कि लगभग 5.5 लाख टन की कमी के कारण भारत का टायर उद्योग आयातित रबर पर अत्यधिक निर्भर है, और इन शुल्कों से उत्पादन लागत पर भारी बोझ पड़ रहा है।