कारोबारियों का इनपुट टैक्स (Input Tax Claim) वापसी का दावा अगर उन्हें आपूर्ति करने वाले से मिले आउटपुट टैक्स से मेल नहीं खाता है तो उन्हें अप्रत्यक्ष कर अधिकारियों से नोटिस मिल सकता है। नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो दावे में बढ़ाकर बताए गए कर के बराबर राशि, उस पर ब्याज और जुर्माना भी कारोबारी से वसूला जा सकता है।
ये सभी प्रस्ताव वस्तु एवं सेवा कर (GST Council Meeting) परिषद की 11 जुलाई को होने वाली बैठक में रखे जा सकते हैं। बैठक से पहले अधिकारियों की एक समिति ने इनपुट टैक्स क्रेडिट के दावे की गुंजाइश कम करने के लिए जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की व्यवस्था सख्त करने का प्रस्ताव रखा है ताकि फर्जीवाड़ा रोका जा सके।
केंद्र और राज्यों के अधिकारियों वाली विधि समिति ने जीएसटीआर-2बी (आपूर्तिकर्ता द्वारा दिए गए विवरण का खुद तैयार हुआ विवरण) और जीएसटीआर-3बी (मासिक रिटर्न सारांश) में इनपुट टैक्स क्रेडिट के बीच अंतर पाए जाने मामले से निपटने के उपाय सुझाए हैं। अगर 20 फीसदी या 25 लाख रुपये से अधिक का अंतर हो तो मामले की जांच किए जाने का सुझाव है।
मामले के जानकार परिषद के एक सदस्य ने कहा कि जब तक उक्त पंजीकृत कारोबारी नोटिस में बताई गई राशि जमा नहीं करता या रकम नहीं चुकाए जाने का संतोषजनक कारण नहीं बताता तब तक ऐसे व्यवसाय को आगे की कर अवधि के लिए जीएसटीआर-1 में आपूर्ति विवरण या चालान प्रस्तुत नहीं करने दिया जाएगा। इससे पहले बेमेल चालान के मामले में भी यही उपाय अपनाया गया था।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर एम एस मणि ने कहा, ‘इनपुट टैक्स क्रेडिट में विसंगति रोकने के लिए सभी कारोबारी अपने आपूर्तिकर्ताओं के साथ सक्रियता से संपर्क में रहते हैं मगर इस तरह की विसंगति के कई वास्तविक कारण भी हो सकते हैं। इस बारे में उद्योग के साथ चर्चा की जानी चाहिए ताकि किसी कारण से हुए बेमेल और जानबूझकर किए गए बेमेल के बीच अंतर किया जा सके।’
मल्टी-यूटिलिटी व्हीकल पर 22 फीसदी मुआवजा उपकर पर स्पष्ट होगा रुख
इसके अलावा फर्जी पंजीकरण की समस्या पर लगाम कसने के लिए विधि समिति ने संदिग्ध और जटिल लेनदेन में लगे धोखेबाज लोगों को बाहर करने के उपाय भी सुझाए हैं क्योंकि इससे सरकार को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
उपाय में कहा गया है कि नया पंजीकरण कराने पर मंजूरी के 30 दिन के भीतर या जीएसटीआर-1 में वस्तु एवं सेवाओं की आपूर्ति का विवरण देने से पहले बैंक खाते का ब्योरा देना होगा। इसके अलावा यह सुझाव भी दिया गया है कि अधिकारी द्वारा व्यावसायिक परिसरों के भौतिक सत्यापन के दौरान आवेदक की मौजूदगी जरूरी नहीं होगी।
परिषद की बैठक में मल्टी-यूटिलिटी व्हीकल पर 22 फीसदी मुआवजा उपकर पर रुख स्पष्ट किया जा सकता है। फिटमेंट समिति ने सभी यूटिलिटी वाहनों को एसयूवी मानने का सुझाव दिया है। परिषद ऑनलाइन गेमिंग पर कर के मामले में भी अंतिम निर्णय ले सकती है। हालांकि राज्य समिति द्वारा सौंपी गई दूसरी रिपोर्ट में इस पर 28 फीसदी की दर से कर लगाए जाने पर सहमति नहीं बन सकी है।