बैंकरों का मानना है कि भारतीय स्टेट बैंक द्वारा इस सप्ताह जारी किए गए टियर-2 बॉन्ड के आक्रामक मूल्य निर्धारण से इस तरह के नोट्स से धन जुटाने की प्रवृत्ति फिर बढ़ेगी और पिछले वित्त वर्ष की तुलना में इसकी मात्रा में वृद्धि होगी।
बुधवार को भारत के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक ने 15 साल के टियर-2 बॉन्डों से 75 अरब रुपये जुटाए हैं, जिसमें 10 साल का कॉल ऑप्शन और 7.42 प्रतिशत कूपन दर है, शुरुआत में इसके 7.45 प्रतिशत या इससे अधिक रहने की उम्मीद थी।
इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च के डायरेक्टर सौम्यजीत नियोगी ने कहा कि निवेशकों की मांग मजबूत है और बढ़ती जमा दरों की तुलना में दीर्घावधि वित्तपोषण इस समय सस्ता है, ऐसे में बैंक धन जुटाने का यह तरीका अपना सकते हैं, जिससे कि जमा और कर्ज के बीच की खाईं कम की जा सके।
बीमाकर्ताओं और भविष्य निधि की पूंजी बढ़ रही है और केंद्र सरकार व राज्यों को धन देने की सीमित संभावना है। ऐसे में पिछले कुछ महीने से निवेशकों के लिए बैंक बॉन्ड निवेश के तरजीही माध्यम बन गए हैं।
निजी क्षेत्र की एक बड़ी बीमा कंपनी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शीर्ष बीमा फर्में अपने निवेश को अलग अलग जगह लगाने पर विचार कर रहे हैं, जो तुलनात्मक रूप से सुरक्षित हो और सरकार के बॉन्डों की तुलना में बेहतर रिटर्न मिल सके।
रॉकफोर्ट फिनकैप के संस्थापक वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन को उम्मीद है कि बैंक इस साल टियर-2 बॉन्डों से 350 अरब रुपये तक जुटा सकते हैं, जो वित्त वर्ष 2024 में जुटाए गए 239 अरब रुपये से करीब 50 प्रतिशत अधिक है।