बीएस बातचीत
सीजन के लिहाज से कमजोर तिमाही में जेएसडब्ल्यू स्टील ने जून तिमाही के 582 करोड़ रुपये के नुकसान से उबरकर सितंबर में 1,595 करोड़ रुपये का एकीकृत शुद्ध लाभ दर्ज किया। अदिति दिवेकर और ईशिता आयान दत्त को दिए साक्षात्कार में जेएसडब्ल्यू स्टील के संयुक्त प्रबंध निदेशक और मुख्य वित्त अधिकारी (समूह) शेषगिरि राव ने कहा कि मई से सालाना आधार पर कुछ क्षेत्रों में सुधार देखने को मिला है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
सितंबर तिमाही में जेएसडब्ल्यू स्टील के राजस्व में इजाफा हुआ है। क्या है मांग में अचानक हुई उछाल का नतीजा है?
पहली तिमाही में भारतीय स्टील की मांग 50 फीसदी घटी, वहीं दूसरी तिमाही में सिर्फ 10 फीसदी घटी। सितंबर 2019 में भी देश में स्टील का उपभोग 85 लाख टन रहा था जबकि सितंबर 2020 में 80 लाख टन रहा। ऐसे में स्टील की मांग को लेकर देसी बाजार में काफी सुधार हुआ है। अंतर सिर्फ फ्लैट व लॉन्ग स्टील उत्पादों को लेकर है। लॉन्ग उत्पाद सीजन के लिहाज से कमजोरी के कारण घटा क्योंंकि निर्माण गतिविधियां सुस्त रही। उधर फ्लैट स्टील की स्थिति बेहतर रही। मई से हम सुधार देख रहे हैं लेकिन आश्चर्यजनक चीज वाहन कंपनियों की मांग है, जो वास्तव में वाणिज्यिक वाहनों में सुधार के बिना लौट आया है। दोपहिया व यात्री वाहनों की स्थिति काफी अच्छी है। वाहन क्षेत्र को होने वाली बिक्री 400 फीसदी बढ़ी है। मुझे भरोसा है कि यह अचानक मांग में हुई उछाल का नतीजा नहींं है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत है और सुदृढ़ भी। कृषि उपकरण, ट्रैक्टर और टिकाऊ उपभोक्ता भी बेहतर रहे हैं।
वाहन क्षेत्र को बिक्री में सालाना आधार पर बढ़ोतरी हुई है?
सालाना आधार पर 33 फीसदी बढ़ोतरी हुई जबकि तिमाही आधार पर 400 फीसदी। अगर हम सबसे अच्छी तिमाही (2018 की चौथी तिमाही) से अघर हम वाहन कंपनियोंं को बिक्री की तुलना करें तो हम उसके 80 फीसदी स्तर पर पहुंच गए हैं।
क्या आप देसी स्टील की मांग टिकाऊ देख रहे हैं?
टिकाऊपन कोई समस्या नहीं है। सवाल सिर्फ यह है कि क्या साल की शुरुआत में उद्योग ने जो 1.5-1.6 करोड़ टन गंवाए हैं वह तीसरी व चौथी तिमाही में रिकवर हो सकता है। मेरा मानना है कि निश्चित तौर पर ऐसा नहीं होगा। तीसरी-चौथी तिमाही में हम 1.5 करोड़ टन रिकवर करने में सक्षम नहीं होंगे, लेकिन तिमाहियों में मांग की रिकवरी उद्योग के लिए कोई मसला नहीं होगा।
आपको कर्नाटक व ओडिशा की खुद की लौह अयस्क खदानों का पूरा फायदा कब दिखेगा?
ओडिशा में हमारे चार खदान परिचालन में हैं। हमें यहां कुल 1.1 अरब टन के कुल संसाधन में से 2.9 करोड़ टन के लिए पर्यावरण मंजूरी मिली हुई है। इससे हम डोल्वी की जरूरतें पूरी कर सकते हैं, तब भी जब यह मार्च 2021 में 1 करोड़ टन का हो जाएगा तो 1.7 करोड़ लौह अयस्क की जरूरत सिर्फ ओडिशा खदान से पूरी हो जाएगी। 10 लाख टन वाले सेलम प्लांट के लिए माल पूरी तरह ओडिशा से आ सकता है। लेकिन अभी हम लॉजिस्टिक्स समस्या के कारण पूरी जरूरतें ओडिशा से पूरी नहींं कर सकते। अगले साल से हालंकि डोल्वी व सेलम के लिए हम ओडिशा पर निर्भर रह सकते हैं। कर्नाटक में हमारे आठ खदान परिचालन में हैं। विजयनगर में 2.2 करोड़ टन की जरूरत में से 70-80 लाख टन खुद के खदान से आएंगे। ऐसे में विजयनगर की 35 फीसदी जरूरतें खुद की खदान से पूरी हो जाएगी और बाकी हमें बाजार से खरीदना होगा।
भूषण पावर ऐंड स्टील पर अंतिम सुनवाई 3 नवंबर को होगी। इसका कारोबार जेएसडब्ल्यू को मिलने के बाद की अवधि के लिए आपने किस तरह की योजना बनाई है?
जब हम कंपनी का नियंत्रण हाथ में लेंगे तो भूषण पावर के लिए समाधान योजना का क्रियान्वयन होगा। इसके कायापलट की योजना है, जिसमें पूंजीगत खर्च शामिल है लेकिन हम अभी उसे साझा नहीं कर सकते क्योंकि समाधान योजना विचाराधीन है।
क्या आप भूषण पावर के लिए साझेदार तलाशेंगे?
हमारी योजना इस कारोबार को जेएसडब्ल्यू की बैलेंस शीट के साथ एकीकृत करने की नहीं है। इस कंपनी के लिए हमारे पास रोडमैप है। क्रियान्वयन के समय हम अपनी योजना साझा करेंगे।