डायरेक्ट टू मोबाइल (डी2एम) तकनीक के परीक्षण के लिए चल रही प्रायोगिक परियोजना का विस्तार शुरुआत के 19 शहरों से आगे करने का निर्णय लिया गया है। अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय हाल में हुई अंतर-मंत्रालय बैठक में लिया गया।
दूरसंचार विभाग (डीओटी) के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘सभी मंत्रालयों में इस बात पर व्यापक सहमति है कि डी2एम तकनीक भारत के लिए लाभदायक होगा। प्रायोगिक परीक्षण फिलहाल प्रसार भारती की ओर से किया जा रहा है जिसका विस्तार अब टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में किया जाएगा जहां से देश भर में डी2एम की शुरुआत के साथ ही काफी मांग आने की उम्मीद है।’ हालांकि अधिकारियों का कहना है कि भारत में मोबाइल फोन में डी2एम तकनीक को शामिल करने को अनिवार्य बनाने का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है।
दूरसंचार विभाग के अधिकारियों ने कहा, ‘हमने पहले भी कहा था कि डी2एम तकनीक के लिए जरूरी हैंडसेट और संबंधित उपकरणों के घरेलू उत्पादन में मदद के लिए एक योजना लाई जा सकती है। यह विकल्प आगे भी है। लेकिन अब तक ऐसा कोई आदेश नहीं है।’
डीओटी से इस बाबत पूछे गए सवाल पर कोई टिप्पणी नहीं मिली। डी2एम एक ऐसी प्रस्तावित प्रसारण तकनीक है जो बिना इंटरनेट कनेक्शन के उपभोक्ताओं के स्मार्टफोन पर मल्टीमीडिया सामग्री प्रसारित करने में सक्षम है। एक बार जब हैंडसेट को टीवी सिग्नल हासिल करने की सुविधा मिल जाती है तो यह लाइव टीवी भी स्ट्रीम कर सकता है। लेकिन भारतीय बाजार में ऐसे हैंडसेट की कमी है।
इस बीच भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने राष्ट्रीय प्रसारण नीति पर अपनी सिफारिश के हिस्से के रूप में भारत में डी2एम का समर्थन किया है। टेलीविजन और मोबाइल उपकरणों के लिए डिजिटल प्रसारण के इस्तेमाल और विस्तार को केबल और सैटेलाइट प्रसारण के साथ एक पूरक प्रसारण तकनीक मानी जानी चाहिए। ट्राई के अधिकारियों ने संकेत दिए हैं कि इस मुद्दे पर आगे कोई परामर्श की बात अभी तय नहीं है।