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प्रौद्योगिकी स्टार्टअप को चीन से झटका

Last Updated- December 15, 2022 | 2:45 AM IST

चीन ने प्रौद्योगिकी के निर्यात के लिए नए नियम जारी किए हैं जिससे भारतीय स्टार्टअप के चीन की कंपनियों के साथ प्रौद्योगिकी साझेदारी सौदे को झटका लग सकता है। भारतीय स्टार्टअप को इस प्रकार के सौदे के तहत प्रौद्योगिकी अथवा बौद्धिक संपदा (आईपी) की साझेदारी के लिए चीन से काफी निवेश आता है। लेकिन नए नियमों से उसमें बाधा आ सकती है।
चीन ने विनियमित निर्यात की सूची में अब 23 प्रौद्योगिकी को शामिल किया है जिसमें डेटा एनालिसिस के आधार पर व्यक्तिगत सूचना वाली सेवाएं, कृत्रिम बौद्धिकता (एआई), वॉइस रिकॉग्निशन और कंटेन्ट रिकमेंडेशन एनालिसिस शामिल हैं। हालांकि इसे बाइटडांस, हुआवे और वीचैट जैसी कंपनियों की प्रमुख बौद्धिक संपदा की सुरक्षा के लिए चीन की प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि इससे उन भारतीय स्टार्टअप को झटका लग सकता है जिन्होंने चीन के वेंचर कैपिटल (वीसी) निवेशकों के साथ निवेश सौदे में आईपी सह-सृजन भी शामिल है।
ग्रेहंड रिसर्च के संस्थापक एवं सीईओ संचित वीर गोगिया ने कहा, ‘यदि किसी चीनी निवेशक के साथ भारतीय स्टार्टअप के निवेश सौदे में आईपी साझेदारी और आईपी सह-सृजन शामिल है तो उसमें जाहिर तौर पर विवाद पैदा हो सकता है। हालांकि अधिकतर प्रौद्योगिकी का विकास भारत में स्थानीय तौर पर किया जाता है लेकिन यदि कुछ मामलों में चीन के निवेशक प्रौद्योगिकी कुशलता के संदर्भ में आगे बढ़ता है तो वह दीर्घावधि में कंपनी को प्रभावित कर सकता है।’
एडटेक, फूडटेक और फिनटेक क्षेत्र में पेटीएम, जोमैटो, स्विगी, बैजूस, डाउटनट जैसी तमाम भारतीय कंपनियों में चीन के निवेशकों का निवेश है। खबरों के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों के दौरान चीन के निवेशकों ने भारतीय स्टार्टअप क्षेत्र में 4 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया है जिनमें देश के 30 यूनिकॉन (1 अरब डॉलर का कारोबार) में से लगभग आधे शामिल हैं।
वेंचर गुरुकुल कैपेबिलिटी फंड के संस्थापक एवं मैनेजिंग पार्टनर महेंद्र स्वरूप ने कहा, ‘चीन के नए प्रौद्योगिकी नियम का दैनिक कामकाज पर कोई खास प्रभाव नहीं दिखेगा लेकिन निवेशक भारतीय कंपनियों पर अपना नियंत्रण हासिल करने के लिए अनोखा तरीका तलाश सकता है।’ वेंचर गुरुकुल कैपेबिलिटी फंड में सह-निवेशक के तौर पर चीन के तीन वेंचर कैपिटल फंड शामिल हैं।
प्रमुख वेंचर कैपिटल फंडों के अनुसार, टेनसेंट, श्याओमी और अलीबाबा जैसी चीन की प्रमुख प्रौद्योगिकी कंपनियों के निवेश का दायरा काफी व्यापक है जो दुनिया भर में फैला हुआ है। ऐसे में यदि कोई एक धागा भी खींचा जाएगा तो पूरी घंटी बजेगी।

First Published - August 31, 2020 | 11:43 PM IST

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