टाटा समूह की सबसे अधिक कमाई करने वाली और देश की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) इस साल एक और रिकॉर्ड बनाएगी। कंपनी ने वित्त वर्ष 2021 के लिए 15 रुपये प्रति शेयर अंतिम लाभांश की घोषणा की है। इसके साथ ही टीसीएस अपने शेयरधारकों को किसी एक वित्त वर्ष के दौरान अब तक का सबसे बड़ा नकद तोहफा देगी। इसी साल जनवरी में 16,000 करोड़ रुपये की शेयर पुनर्खरीद को मिलाकर टीसीएस के शेयरधारकों को वित्त वर्ष 2021 में कंपनी से रिकॉर्ड 30,250 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे।
कंपनी कुल मिलाकर 38 रुपये प्रति शेयर इक्विटी लाभांश का भुगतान कर रही है। इस प्रकार वित्त वर्ष 2021 के लिए वह करीब 14,000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी। इससे टीसीएस लाभांश भुगतान के मोर्चे पर लगातार दूसरे साल देश की शीर्ष कंपनी बरकरार रहेगी। इस प्रकार टीसीएस वित्त वर्ष 2020 के खुद के रिकॉर्ड को तोड़ेगी। वित्त वर्ष 2020 में उसने अपने शेयरधारकों को करीब 27,400 करोड़ रुपये के इक्विटी लाभांश का भुगतान करते हुए लाभांश प्रदान करने वाली देश की शीर्ष कंपनी बन गई थी। लाभांश भुगतान के मोर्चे पर टीसीएस के बाद आईटीसी दूसरे पायदान पर रही। टीसीएस ने अपने शेयरधारकों को इक्विटी लाभांश के तौर पर करीब 12,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया। ताजा लाभांश भुगतान के साथ ही टीसीएस ने अपने शेयरधारकों को पिछले पांच वर्षों के दौरान रिकॉर्ड 1.2 लाख करोड़ रुपये और पिछले दस वर्षों के दौरान 1.6 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया।
वित्त वर्ष 2020 में देश में सूचीबद्ध सभी कंपनियों के कुल लाभांश भुगतान में टीसीएस की हिस्सेदारी करीब 15 फीसदी रही। टाटा संस को टीसीएस से लाभांश, शेयर पुनर्खरीद आदि के जरिये करीब 22,000 करोड़ रुपये की आय होगी। टीसीएस में टाटा संस की 72 फीसदी हिस्सेदारी है। टीसीएस के हालिया लाभांश भुगतान से टाटा संस को वित्त वर्ष 2021 के लिए अपने मुनाफे और बहीखाते को सुदृढ़ करने में मदद मिलेगी।
होल्डिंग कंपनी को हाल के वर्षों में अपने समूह की बड़ी कंपनियों को इक्विटी मदद करने के लिए ऋण के जरिये रकम जुटाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इससे समूह को दूरसंचार एवं विमानन कारोबार में हुए नुकसान की भरपाई करने में भी मदद मिली। टाटा समूह ने बिग बास्केट का अधिग्रहण करते हुए ई-कॉमर्स में भी दस्तक दी है। ऐसे में टीसीएस से प्राप्त नकदी के जरिये उसे ई-कॉमर्स कारोबार में हुए नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी।
हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना ??है कि टीसीएस की ओर से बड़े पैमाने पर किए गए लाभांश भुगतान से उसका नकदी भंडार खत्म हो जाएगा। इससे उसकी वित्तीय ताकत कम हो जाएगी और बड़े अधिग्रहण के जरिये नए क्षेत्रों में प्रवेश करने की उसकी क्षमता सीमित हो जाएगी। यह चिंता हाल के वर्षों में राजस्व और लाभ वृद्धि के मोर्चे पर कंपनी की लगातार सुस्त होती रफ्तार से पैदा हो रही है।